विमान की पहली परीक्षा
✍️घनश्याम शर्मा
“चल यार ! आज तो तू एक बार भी बाहर घूमने नहीं गया क्लास से , देख तो लंच टाइम भी हो गया है।” विमान का दोस्त टैंक लापरवाही से बोला ।
“तुम जाओ दोस्त ! आज मैंने रामानुज की नोटबुक ले रखी है। लंच टाइम तक सारा गणित का काम पूरा करना है और आज काम करके ही कहीं जाऊँगा या कुछ खाऊँगा” आत्मविश्वास के साथ विमान बोला ।
“क्या यार तू भी उस रामानुज की कोपी लाया है। देखा नहीं उसके कारण पिछली बार हम चारों को डाँट पड़ी थी । यदि वो भी काम न करे तो हम सब बच सकते हैं । पर वो हमेशा काम समय पर करता है और उसके कारण टीचर और मम्मी-पापा ग़ुस्सा हम पर होते हैं।” लगभग चिढ़ते हुए टैंक बोला ।
“देख दोस्त, रामानुज बहुत अच्छा लड़का है। उसके पापा देहरादून में सब्ज़ी का ठेला लगाते हैं,कई-कई दिन घर नहीं आते ताकि रामानुज और उसकी छोटी बहन को ठीक से पढ़ा सकें । … और मुझे गर्व है रामानुज पर कि वो अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के लिए एक पल भी ख़राब नहीं करता बल्कि पढ़ाई और काम में जुटा रहता है। मित्र टैंक ! रामानुज ही अपने पेरेंट्स को सच में चाहता है। हम तो बस पेरेंट्स की चिंता ही बढ़ा रहे थे । परंतु अब से मैंने निश्चय किया है कि मैं रामानुज से बढ़कर अपने घर की सहायता करने वाला हूँ और ...और ख़ूब पढ़ने वाला हूँ।” बहुत ही समझदारी और धैर्य से विमान ने कहा।
“मेरे प्रिय मित्र विमान, मैंने तो इतना सोचा ही नहीं था । मेरे पापा भी निजी विद्यालय में शिक्षक हैं । बहुत मेहनत करते हैं । मुझे लेकर चिंतित रहते हैं। अब मैं भी सारा काम करके पापा को सरप्राइज़ दूँगा और इस बार मेरे सारे अध्यापकगण पीटीएम में मेरी प्रशंसा ही करेंगे । धन्यवाद दोस्त सही राह दिखाने के लिए। भाग्यशाली हूँ कि तू मेरा दोस्त है।” ख़ुशी , उत्साह और दृढ़ता के साथ टैंक ने कहा ।
ये थी विमान की पहली परीक्षा । अभी तो बहुत-सी और परीक्षाएँ होंगी ।
मनुष्य जब भी कोई प्रतिज्ञा लेता है, निश्चय करता है तो उसे हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि अब परीक्षाओं का एक दौर शुरू होगा । ये ज़रूरी भी है। परीक्षाओं का आना ही इंगित करता है कि हम सही राह पर हैं और अब मिलेगी ही सफलताएँ और ख़ुशियाँ ।
~ घनश्याम शर्मा
केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर
मोब. - 8278677890
मेल :— jaimaranisati@gmail.com
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