ghanshyamsharmahindi.blogspot.com

Tuesday 13 April 2021

मेरा शिक्षण-दर्शन (statement of teaching philosophy) (हिंदी में) आप चाहें तो थोड़े-से फेरबदल के साथ हर कक्षा के लिए प्रयोग कर सकते हैं ।

 





ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक -४

भुवनेश्वर 





मेरा शिक्षण-दर्शन 


विषय :- हिंदी 

कक्षा - बारहवीं

पाठ:— दिन जल्दी-जल्दी ढलता है

भक्तिन



मेरा शिक्षण-दर्शन 




            मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी देखकर और उसे अमल में लाकर सीखता है । अतः मैं अपने विद्यार्थियों के समक्ष प्रथम उदाहरण मेरा ही रखता हूँ । जिस दिन मैं कक्षा में बहुत ऊर्जावान होता हूँ, उस दिन वे भी बहुत उत्साहित होते हैं । जिस दिन मेरा उत्साह कम होता है, उस दिन वे भी कम उत्साहित होते हैं ।


          अतः मेरे अनुसार एक अध्यापक जो कुछ बच्चों को सिखाना चाहता है,  वह न केवल बोले बल्कि वैसा ही आचरण भी करें क्योंकि बच्चे बोली हुई बातों से ज़्यादा उनके समक्ष की गई गतिविधियों से सीखते हैं । उनके समक्ष की गई गतिविधियों द्वारा सीखा गया ज्ञान उनके मानस पटल पर लंबे समय तक रहता है ।


        अतः मेरे शिक्षण दर्शन की निम्नलिखित प्राथमिकताएँ  होंगी:—


  • समय तेज़ गति से चल रहा है, उसका सदुपयोग करें ।

  • अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित होने से ही लक्ष्य शीघ्र और अवश्य मिलते हैं ।

  • अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना ।

  • किसी को उसकी कमियों सहित स्वीकार करना ।

  • अपना काम ईमानदारी से करना ।

  • समय आने पर त्याग व परोपकार हेतु तैयार रहना ।

  • अपने से छोटों व अपने घर पर काम करने वालों के प्रति आत्मीय व स्नेहपूर्ण व्यवहार करना । 


          मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी के जीवन में एक अध्यापक प्रमुख भूमिका निभाता है । मेरे शिक्षण सिद्धांतों पर मैं स्वयं चलता हूँ, अतः विद्यार्थी भी खुशी-खुशी व अनायास ही इन पर चल पड़ते हैं । शिक्षण-अधिगम के समय संपूर्ण इकाई या प्रमुख बिंदुओ को दो - तीन बार दोहरा दिया जाता है ताकि विद्यार्थी अच्छे से समझ सकें। उसके पश्चात भी अगर विद्यार्थी को कोई शंका होती है तो उस शंका को दूर करने का प्रयास किया जाता है ।




घनश्याम शर्मा 

स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी 

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक - ४

भुवनेश्वर 




ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ



मेरा शिक्षण-दर्शन 


विषय :- हिंदी 

कक्षा - आठवीं 

पाठ:— ध्वनि, लाख की चूड़ियाँ 




            मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी देखकर और उसे अमल में लाकर सीखता है । अतः मैं अपने विद्यार्थियों के समक्ष प्रथम उदाहरण मेरा ही रखता हूँ । जिस दिन मैं कक्षा में बहुत ऊर्जावान होता हूँ, उस दिन वे भी बहुत उत्साहित होते हैं । जिस दिन मेरा उत्साह कम होता है, उस दिन वे भी कम उत्साहित होते हैं ।


          अतः मेरे अनुसार एक अध्यापक जो कुछ बच्चों को सिखाना चाहता है,  वह न केवल बोले बल्कि वैसा ही आचरण भी करें क्योंकि बच्चे बोली हुई बातों से ज़्यादा उनके समक्ष की गई गतिविधियों से सीखते हैं । उनके समक्ष की गई गतिविधियों द्वारा सीखा गया ज्ञान उनके मानस पटल पर लंबे समय तक रहता है ।


        अतः मेरे शिक्षण दर्शन की निम्नलिखित प्राथमिकताएँ  होंगी:—

हमारे द्वारा अर्जित अनुभव और ज्ञान से अन्य को भी लाभ पँहुचाना।

नैतिक मूल्यों का विकास।

धैर्य और संतोष का संचार करना।

उनका प्रकृति से लगाव करवाना।

लुप्त होती कलाओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना।

सहानुभूति व समानुभूति का विकास करना। 


          मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी के जीवन में एक अध्यापक प्रमुख भूमिका निभाता है । मेरे शिक्षण सिद्धांतों पर मैं स्वयं चलता हूँ, अतः विद्यार्थी भी खुशी-खुशी व अनायास ही इन पर चल पड़ते हैं । शिक्षण-अधिगम के समय संपूर्ण इकाई या प्रमुख बिंदुओ को दो - तीन बार दोहरा दिया जाता है ताकि विद्यार्थी अच्छे से समझ सकें। उसके पश्चात भी अगर विद्यार्थी को कोई शंका होती है तो उस शंका को दूर करने का प्रयास किया जाता है ।




घनश्याम शर्मा 


स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी 

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक -४,

भुवनेश्वर 



ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ



केंद्रीय विद्यालय क्रमांक -४

भुवनेश्वर 


मेरा शिक्षण-दर्शन 


विषय :- हिंदी 

कक्षा - छठी 

पाठ:— १.  वह चिड़िया जो 

२. बचपन 




मेरा शिक्षण-दर्शन 



            मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी देखकर और उसे अमल में लाकर सीखता है । अतः मैं अपने विद्यार्थियों के समक्ष प्रथम उदाहरण मेरा ही रखता हूँ । जिस दिन मैं कक्षा में बहुत ऊर्जावान होता हूँ, उस दिन वे भी बहुत उत्साहित होते हैं । जिस दिन मेरा उत्साह कम होता है, उस दिन वे भी कम उत्साहित होते हैं ।


          अतः मेरे अनुसार एक अध्यापक जो कुछ बच्चों को सिखाना चाहता है,  वह न केवल बोले बल्कि वैसा ही आचरण भी करें क्योंकि बच्चे बोली हुई बातों से ज़्यादा उनके समक्ष की गई गतिविधियों से सीखते हैं । उनके समक्ष की गई गतिविधियों द्वारा सीखा गया ज्ञान उनके मानस पटल पर लंबे समय तक रहता है ।


        अतः मेरे शिक्षण दर्शन की निम्नलिखित प्राथमिकताएँ  होंगी:—


# बच्चों में साहस भरना ।

# उनका प्रकृति से लगाव करवाना ।

# धैर्य व संतोष का संचार करना ।

# हर परिस्थिति में ख़ुश रहना सिखाना।

# नैतिक मूल्यों का विकास 



          मेरा विश्वास है कि विद्यार्थी के जीवन में एक अध्यापक प्रमुख भूमिका निभाता है । मेरे शिक्षण सिद्धांतों पर मैं स्वयं चलता हूँ, अतः विद्यार्थी भी खुशी-खुशी व अनायास ही इन पर चल पड़ते हैं । शिक्षण-अधिगम के समय संपूर्ण इकाई या प्रमुख बिंदुओ को दो - तीन बार दोहरा दिया जाता है ताकि विद्यार्थी अच्छे से समझ सकें। उसके पश्चात भी अगर विद्यार्थी को कोई शंका होती है तो उस शंका को दूर करने का प्रयास किया जाता है ।




घनश्याम शर्मा 


स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी 

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक -४,

भुवनेश्वर 




ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ






2 comments:

  1. श्रेष्ठतम विचार

    ReplyDelete
  2. सर 12 हिन्दी की पाठ योजना भेजिए plz

    ReplyDelete

हर घर तिरंगा har ghar tiranga selfie my gov connect

  +91 93554 13636 *नमस्कार*   my gov connect द्वारा *हर घर तिरंगा* अभियान चलाया जा रहा है।      इसके अंतर्गत दिए गए नम्बर पर *Hi* लिखकर भेजे...