लघुकथा - लेखन
कक्षा - नवीं
….और विमान बदल गया
✍️घनश्याम शर्मा
आज विमान फिर एक कोने में बैठा सुबक रहा था । काफ़ी दिनों से वो अपने पापा से नया मोबाइल दिलवाने की ज़िद कर रहा था , क्योंकि विद्यालय में सब स्मार्टफ़ोन से कक्षाएँ ले रहे थे । आज फिर वो ठीक से कक्षाएँ नहीं ले पाया । विमान को अपने पापा पर बड़ा ग़ुस्सा आ रहा था कि एक मोबाइल तक उसके पापा नहीं ख़रीद रहे ।
ग़ुस्सा नियंत्रण से बाहर हो रहा था ।विमान ने निर्णय लिया कि आज पापा पर ग़ुस्सा वहीं उतारूँगा, जहाँ वो काम करते हैं।
अतः वो चल पड़ा ऑटो रिक्शा स्टैंड की ओर ।
स्टैण्ड पर भीड़ थी । एक आदमी बीच में लगभग अधमरा पड़ा था । लोगों द्वारा पूछने पर उसने बताया कि उसने पिछले काफ़ी दिनों से पेटभर खाना नहीं खाया , सो हल्के -से चक्कर आ गए, पर उसकी हालत ज़्यादा ख़राब थी । बातों-बातों में पता चला कि बेटे को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए एक मोबाइल लेना था । घर में इतने पैसे नहीं थे । अपना खाना कम करके ही पैसे जमा कर रहे थे, ताकि बेटे को सब सुविधाएँ दे सकें और पढ़-लिखकर परिवार को तंगहाली से बाहर निकाल सके।
विमान सबकुछ सुन रहा था । ये विमान के पापा ही थे ।
तभी विमान को याद आया कि कैसे वो कक्षा में मस्ती करता रहता है, गृहकार्य नहीं करता, अध्यापकगण से डाँट सुनता है, बहुत ज़्यादा बातें करता है, कई बार घर के पैसे फ़ालतू में ख़र्च कर देता है, कम अंक लाता है, खेलों, आर्ट, संगीत आदि को भी मज़ाक़ में लेता है, जबकि उसके पापा सपना देख रहे हैं कि विमान बड़ा आदमी बनकर परिवार को ग़रीबी के दलदल से बाहर निकालेगा ।
सोचते-सोचते विमान की आँखों ने कब उसके गालों को गीला कर दिया, पता ही नहीं चला। उसने मुट्ठी भींचकर प्रण किया कि अब से वो एक-एक पल का सदुपयोग करेगा । पढ़ाई के साथ ही घर के कामों में भी हाथ बँटाएगा, पापा का सहयोग करेगा और सबसे बढ़कर पढ़ेगा … ख़ूब पढ़ेगा । जैसे ही विमान ये दृढ़ निश्चय किया , वैसे ही उसने पाया कि उसके शरीर में अपार शक्ति समा गई है। वो ऊर्जा, सकारात्मकता और पवित्रता से भर गया है।
किसी ने सच ही कहा है , माता-पिता को सच्चा प्यार करने वाला बच्चा हमेशा कुछ रचनात्मक करता रहता है, पढ़ाई भी करता है और समय का हमेशा आदर करता है।
~ घनश्याम शर्मा
केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर
उम्दा....
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