*मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।*
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
संग आपके मिलके , स्थापना दिवस मनाता हूँ।
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
मास दिसंबर, पंद्रह तारीख़ और तिरेसठ का वो साल ।
नींव पड़ी जिस दिन केवि की देश हमारा हुआ निहाल ।
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम और सीबीएसई बोर्ड यहाँ ।
शिक्षा का अवसर जैसा है, वैसा मिलता और कहाँ ?
बारह सौ से ज़्यादा मंदिर .., मैं आरती गाता हूँ ।
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
*{ ... अपने साथी अध्यापकगण से ...}*
देश की सेना ने अपना सब देश के नाम किया है।
अपने बच्चे सौंप हमें , हमपर एहसान किया है।
मिशन हमारा श्रेष्ठता-गति-नवाचार करना है ।
बिना रंग जो धुँधला सपना, वहाँ रंग भरना है।
राष्ट्रीय एकता का मैं एक नया बीज लगाता हूँ।
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
*{ ... सबसे ....}*
आओ करें प्रतिज्ञा मिलकर भारत श्रेष्ठ बनाएँगे ।
जाति-धर्म का वैर-भाव और भ्रष्टाचार मिटाएँगे ।
आतंक-ग़रीबी मिटा-मिटा हम, देश को फिर चमकाएँगे।
शिक्षा का फैला के उजाला, विश्वगुरु हो जाएँगे ।
देश को नम्बर वन करना, वो शपथ याद मैं दिलाता हूँ।
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
*{बच्चों से ....}*
आज आपकी क्षमता से कौन यहाँ अनजाना है ?
कैसा भी हो लक्ष्य कठिन , बस वो आपको पाना है।
पर्वत को दो चीर , वहाँ से गंगा कई निकालो तुम ।
देश बढ़ेगा, आगे बढ़कर देश को अभी सम्भालो तुम ।
गर्व हो रहा मुझको, जो मैं तुम्हें पढ़ाता हूँ ।
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
संग आपके मिलके , स्थापना दिवस मनाता हूँ।
मैं केवि का अध्यापक, केवि गीत सुनाता हूँ ।
©️घनश्याम शर्मा
केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर
No comments:
Post a Comment