कम अंक आना आपका भविष्य निर्धारित नहीं कर सकता
सीबीएसई ने दसवीं - बारहवीं के परीक्षा-परिणाम घोषित कर दिए हैं। कुछ बच्चे बहुत अच्छे, कोई सबसे अच्छे तो कुछ बच्चे कुछ विषयों में सबसे अच्छे अंक लेकर आए हैं । उनके यहाँ अतीव ख़ुशी का माहौल है, होना भी चाहिए जी । इतनी बड़ी कामयाबी जो हासिल की है।
किंतु जिनके अच्छे अंक नहीं आए या जो इतने भी अंक न ला पाए कि अगली कक्षा में प्रोन्नत हो सकें , उनका क्या? क्या उन्हें हमेशा के लिए अपने आपको फ़ेल मान लेना चाहिए ? क्या वो किसी काम के नहीं ? क्या वो जीवन में कुछ नहीं कर पाएँगे ? ये सब जवाब ग़लत हैं मेरे दोस्त !
ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जो विद्यालयी जीवन में कुछ ख़ास नहीं कर पाए परंतु अपने जीवन में उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी कि युगों-युगों तक कई युग उन्हें याद करके उनकी मिसालें दिया करेंगे । ... तात्पर्य है कि अंक न तो आपका वर्तमान ही और न भविष्य ही निर्धारित करते हैं। अंक महज इतना बताते हैं कि इस वर्ष आपने जो पढ़ा वो नहीं आया या आप किसी बीमारी की चपेट में थे या आपकी योजना सही नहीं थी या आपने शायद वैसी कोशिश नहीं की , जैसी आपको करनी चाहिए थी । ... और यदि इनमें से कोई भी या अन्य कोई भी कारण रहा हो ... कोई भी मतलब कोई भी तो ये इस बात का प्रमाण बिल्कुल नहीं है कि आप नाकरा हैं, अयोग्य हैं । बिल्कुल भी नहीं । आपको यदि रोना है रो लो। उदास होना है हो लो । ग़ुस्सा आ रहा है ख़ुद पर और खाना नहीं खाओगे मत खाओ। परिवार के सदस्य , पड़ौसी या अध्यापकगण डाँट मार रहे हैं तो चुपचाप सुन लो । परंतु मेरे दोस्तों , भारत के उज्ज्वल भविष्यों मेरा कहा सौ प्रतिशत सच है कि आप जीवन में महान कामों के लिए बने हो और एक छोटी-सी परीक्षा आपके बड़े से सपनों को चूर कभी नहीं कर सकती ।
ऐसे हज़ारों उदाहरण हैं जब दसवीं- बारहवीं या कोई भी कक्षा फ़ेल ने अपने जीवन में सैकड़ों बड़ी सफलताएँ पाईं। अभी एक पुस्तक आई थी ‘ट्वेल्थ फ़ेल’ जो कि आईएएस मनोज शर्मा की सच्ची कहानी है कि कैसे एक बारहवीं फ़ेल लड़का बाद में आईएएस जैसी संसार की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक पास करता है।
प्रिय विद्यार्थियों ! यह समय हार मानने का नहीं बल्कि हारों को हरा और डरों को डरा देने का है।
ऐसा एक भी क़दम जो आपके परिवार को तोड़ सकता है , बिल्कुल नहीं उठाना । आपकी माँ, पिता , भाई, बहन , अन्य परिवार जन , सबको अपार ख़ुशी देनी हैं। अभी तो बहुत सारे अवसर आने हैं बहुत कुछ पाने के लिए ... अपना लोहा मनवाने के लिए ... उत्सव मनाने के लिए ... मिठाइयाँ बँटवाने के लिए ... बस भींचकर अपनी मुट्ठियाँ , आँखों के आँसुओं को आँखों ही में ज्वाला बनाकर, धड़कनों के साथ स्वयं धड़ककर , लम्बी-लम्बी साँसे भरकर , दृढ़ संकल्पित होकर तैयार हो जाओ ख़ुशियों की बारिशों को ज़बरदस्ती अपनी माँ के आँचल में डालने के लिए... क्या अपने पिता के चेहरे पर नहीं देखना चाहते उल्लास का वो भाव , जो आपने किसी फ़िल्म में देखा होगा विजेता के पिता के चेहरे पर ... तो बस आज ही , आज क्या अभी बना डालो एक नयी योजना जश्न की .. जीत की ... सपनों के सच होने की ... अपनों के ख़ुश होने की ...
तो आपने कर दी ना तैयारी शुरू ...
हाँ बेटा, आप जीतने के लिए बने हो, जीने के लिए बने हो । अपने माता-पिता के सीने के लिए बने हो ।
जीतने वालों के शब्दकोश में बहाने नहीं होते
उदासियों के लम्बे तराने नहीं होते
वो तो ख़ुशी-ख़ुशी करते हैं अपने काम सब
हारों के उनके जीवन में ठिकाने नहीं होते
जीवन सिर्फ़ पाने का नाम है, खोने का नहीं। हमने यहाँ सब कुछ पाया है। हम तो ख़ाली ही हाथ तो आए थे दोस्तों ...
आप निश्चित ही जीतेंगे
जय माता की
जय बद्री-केदार
जय जय
::::— एक समर्पित अध्यापक का सभी विद्यार्थियों के नाम संदेश —:::
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घनश्याम शर्मा
स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी
(विद्यालय सह-शिक्षा गतिविधि प्रभारी )
केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर
बीएससी नर्सिंग महाविद्यालय के पास,
पठियाल धार,
गोपेश्वर,
ज़िला-चमोली
उत्तराखंड
पिन कोड :— 246401
मोब:- 8278677890
मेल :— jaimaranisati@gmail.com
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