* बद्रीदत्त पांडेय *
जन्म-मृत्यु :— 1882-1965
जन्म-स्थल :— कनखल , हरिद्वार
१. 1903 ई. से 1910 ई. तक देहरादून में ‘लीडर’ नामक अख़बार में काम किया ।
२. 1913 ई. में ‘अलमोडा’ अख़बार की स्थापना की और इसके ज़रिए स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी।
३. 1921 ई. में क़ुली बेगार आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
४. 1921, 1930, 1932, 1941 और 1942 में विभिन्न आंदोलन में जेल गए।
५. उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन का लाभ नहीं लिया और 1962 के युद्ध के समय अपने सारे मेडल और पुरस्कार सरकार को भेंट कर दिए ।
* नारायण दत्त तिवारी *
जन्म-मृत्यु :— 1925-2018
जन्म-स्थल :— नैनीताल
१. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे ।
२. केंद्र सरकार में विदेश मामलों के मंत्री और वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया ।
३. 1942 में ब्रिटिश सरकार ने इन्हें पंद्रह महीने के लिए जेल में डाल दिया ।
४. आँध्रप्रदेश के राज्यपाल रहे ।
जिला चमोली के स्वतंत्रता सेनानी
*बैरिस्टर मुकुंदी लाल*
जन्म - मृत्यु :— 1885-1982
जन्म स्थल :— गांव पाटली, जिला चमोली
उपलब्धियां :—
१_ इन्होंने कुली बेगार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
२_ 1969 में भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने गढ़वाल पेंटिंग्स नामक इन की प्रसिद्ध पुस्तक का प्रकाशन किया।
३_ मूलाराम स्कूल ऑफ गढ़वाल आर्ट की स्थापना का पूरा श्रेय मुकुंदी लाल को ही जाता है।
४_ इन्होंने तरुण कुमाऊं मासिक पत्र का संपादन किया।
५_ 1972 में इन्हें उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी की फेलोशिप से सम्मानित किया गया
*अनुसूया प्रसाद बहुगुणा*
जन्म-मृत्यु :— 1894-1943
जन्म स्थल :— चमोली
उपलब्धियां :—
१_ इन्हें गढ़ केसरी सम्मान से संबोधित किया जाता है।
२_इनका नाम अनुसूया देवी के नाम पर रखा गया क्योंकि इनका जन्म अनुसूया देवी के आश्रम में हुआ था।
३_1919 में इन्होंने बैरिस्टर मुकुंदी लाल के साथ कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए यह लाहौर गए।
४_ 1921 में श्रीनगर में गढ़वाल नवयुवक सम्मेलन नामक संगठन की स्थापना हुई जिसके यह अध्यक्ष बने।
५_ अगस्त मुनि का डिग्री कॉलेज नंदप्रयाग का इंटर कॉलेज और गोचर मेले के सिंह द्वारका नामकरण इनके नाम पर है।
६_ इस आंदोलन का बहुगुणा जी ने ही सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और 144 धारा का उल्लंघन करने के आरोप में इनको 4 माह की जेल हुई।
* हर्षदेव ओली*
जन्म-मृत्यु :— 1890-1940
जन्म-स्थल :— चंपावत
१. कुमाऊँ की जनता में ‘कुमाऊँ का बेताज बादशाह’ और ‘काली कुमाऊँ का शेर’ नाम से प्रसिद्ध।
२. अपने लेखों द्वारा राष्ट्रवादी विचारों का प्रसार ।
३. ‘ प्रबुद्ध भारत’ के प्रकाशन हेतु कार्य किया ।
४. 1905 ई. में बंग-भंग आंदोलन में सक्रिय भूमिका
५. 1924 ई. में गठित फोरेस्ट कमेटी के उपाध्यक्ष चुने गए ।
* मोहन जोशी *
जन्म-मृत्यु :— 1886-1940
जन्म-स्थल :— नैनीताल
१. 1930 में शांतिलाल त्रिवेदी के साथ मिलकर नगरपालिका अल्मोड़ा में तिरंगा झंडा फहराया।
२. इन्होंने क़ुली बेगार आंदोलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
३. वरिष्ठ पत्रकार जिन्होंने ब्रिटेन के अन्यायपूर्ण शासन की आलोचना भी की
४. ‘उग्र देशभक्त’ अल्मोड़ा अख़बार के द्वारा स्वराज की ज़ोरदार माँग की ।
५. ‘होमरूल लीग’ के सक्रिय सदस्य थे ।
* धूम सिंह चौहान*
जन्म-मृत्यु :— 1886-1953
जन्म-स्थल :— चमोली
१. गढ़वाल राइफ़ल में कप्तान के रूप में प्रथम विश्व-युद्ध में भाग लिया ।
२. खैबर दर्रे के प्रवेश द्वार पर घायल हुए किंतु युद्ध में विजय प्राप्त की और इंडीयन जनरल सर्विस मेडल हासिल किया
३. अपने गाँव सरमोला में प्राथमिक विद्यालय निर्माण के लिए दो नाली ज़मीन दान की ।
४. 1944 में गौचर मेले को राजकीय संरक्षण प्रदान करवाया
५. 1947 में इन्होंने जनता जूनियर हाई स्कूल की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
*२. भवानी सिंह रावत *
जन्म-मृत्यु :— 1910-1986
जन्म-स्थल :— पौड़ी गढ़वाल
१. हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र के सक्रिय सदस्य
२. लार्ड इरविन की रेलगाड़ी पर बम फेंकने वालों में शामिल
३. 1930 ई. में गाड़ोदिया स्टोर में डकैती में शामिल.
४. चंद्रशेखर आज़ाद , भगतसिंह आदि क्रांतिकारियों को दुगड्डा में प्रशिक्षण में सहयोगी .
५. 1967 ई. से 1973 ई. के बीच दुगड्डा में चंद्रशेखर आज़ाद के स्मारक का निर्माण करवाया .
जिला बागेश्वर के गुमनाम नायक
१_नाम _ मोहन सिंह मेहता 1897-1988
जन्म स्थल_ बागेश्वर
उपलब्धियां १_ ज़मींदार परिवार में जन्म लेने के बावजूद क़ुली बेगार आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया ।
२. बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी के जीवन से विशेष प्रभावित
३. अनेक समाज सुधारक आंदोलन में भाग लिया ।
४. राष्ट्रीय आंदोलनों में कई बार जेल गए ।
*२. बिशनी देवी शाह*
जन्म-मृत्यु :— 1902-1974
१. पहली बार कुमाऊँ के अलमोडा में तिरंगा गहराया .
२. उत्तराखंड की पहली महिला जो आज़ादी की लड़ाई के लिए जेल गईं.
३. 1931 में बागेश्वर में महिलाओं के अधिकारों के लिए जुलूस निकाला और शेरा दुर्ग में आधी नाली ज़मीन और पचास रुपए की राशि दान दीं.
४. 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी भागीदारी की .
५. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया .
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