विभिन्न महापुरुषों की हिंदी-विषयक सूक्तियाँ :—
(गृह मंत्रालय के पत्र से साभार उद्धृत )
१. हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है ।
- स्वामी दयानंद
२. हिंदी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है ।
-डॉ. सम्पूर्णानंद
३. भारतीय सभ्यता की अविरल धारा प्रमुख रूप से हिंदी भाषा से ही जीवंत तथा सुरक्षित रह पाई है।
- अमित शाह (गृह मंत्री )
४. समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।
-जस्टिस कृष्ण स्वामी अय्यर
५. भारतीय भाषाएँ नदियाँ हैं और हिंदी महानदी ।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
६. हिंदी जैसी सरल भाषा दूसरी नहीं है।
- मौलाना हसरत मोहानी
७. भाषा की सरलता , सहजता और शालीनता अभिव्यक्ति को सार्थकता प्रदान करती है।हिंदी ने इन पहलुओं को ख़ूबसूरती से समाहित किया है।
- नरेंद्र मोदी (प्रधान मंत्री )
८. राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की एकता और उन्नति के लिए आवश्यक है।
- महात्मा गांधी
९. हिंदी राष्ट्रीयता के मूल को सींचती है और उसे दृढ़ करती है। -पुरुषोत्तम दास टंडन
१०. हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।
- सुमित्रानंदन पंत
११. हिंदी भाषा एक ऐसी सार्वजनिक भाषा है, जिसे बिना भेदभाव प्रत्येक भारतीय ग्रहण कर सकता है।
- मदन मोहन मालवीय
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