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Wednesday 27 May 2020

प्रमुख पत्र पत्रिकाएँ , उनके सम्पादक और उनके ईमेल ऐड्रेस

पत्रिकाओं/सम्पादकों के ई -मेल

1. हंस, संजय सहाय (संपादक), editorhans@gmail.com
2. पाखी, pakhimagazine@gmail.com
3. बया, गौरीनाथ (संपादक), rachna4baya@gmail.com
4. पहल, ज्ञानरंजन (संपादक), edpahaljbp@yahoo.co.in, editorpahal@gmail.com
5. अंतिम जन- दीपक श्री ज्ञान (संपादक)- antimjangsds@gmail.com, 2010gsds@gmail.com
6. समयांतर- पंकज बिष्ट (संपादक)- samayantar.monthly@gmail.com, samayantar@yahoo.com
7. लमही- विजय राय (संपादक)- vijayrai.lamahi@gmail.com
8. पक्षधर- विनोद तिवारी (संपादक)- pakshdharwarta@gmail.com
9. अनहद- संतोष कुमार चतुर्वेदी (संपादक)- anahadpatrika@gmail.com
10. नया ज्ञानोदय- लीलाधर मंडलोई (संपादक)- nayagyanoday@gmail.com, bjnanpith@gmail.com
11. स्त्रीकाल, संजीव चन्दन (संपादक), themarginalized@gmail.com,
12. बहुवचन- अशोक मिश्रा (संपादक)- bahuvachan.wardha@gmail.com
13. अलाव- रामकुमार कृषक (संपादक)- alavpatrika@gmail.com
14. बनासजन- पल्लव (संपादक)- banaasjan@gmail.com
15. व्यंग्य यात्रा, प्रेम जनमेजय (संपादक), vyangya@yahoo.com, premjanmejai@gmail.com
16. अट्टहास (हास्य व्यंग्य मासिक), अनूप श्रीवास्तव (संपादक), anupsrivastavalko@gmail.com
17. उद्भावना- अजेय कुमार (संपादक)- udbhavana.ajay@yahoo.com
18. समकालीन रंगमंच- राजेश चन्द्र (सम्पादक)- samkaleenrangmanch@gmail.com
19. वीणा-राकेश शर्मा,veenapatrika@gmail.com
20. मुक्तांचल-डॉ मीरा सिन्हा,muktanchalquaterly2014@gmail.com,
21. शब्द सरोकार-डॉ हुकुमचन्द राजपाल,sanjyotima@gmail.com,
22. लहक-निर्भय देवयांश,lahakmonthly@gmail.com
23. पुस्तक संस्कृति। संपादक पंकज चतुर्वेदी।editorpustaksanskriti@gmail.com
24. प्रणाम पर्यटन हिंदी त्रैमासिक संपादक प्रदीप श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
25. PRANAMPARYATAN@YAHOO.COM
26. समालोचन वेब पत्रिका, अरुण देव (सम्पादक)
devarun72@gmail.com
27. वांग्मय पत्रिका, डॉ. एम. फ़िरोज़. एहमद, (सम्पादक), vangmaya@gmail.com
28. साहित्य समीर दस्तक (मासिक), कीर्ति श्रीवास्तव (संपादक), राजकुमार जैन राजन (प्रधान सम्पादक), licranjan2003@gmail.com
29. कथा समवेत (ष्टमासिक), डॉ. शोभनाथ शुक्ल (सम्पादक), kathasamvet.sln@gmail.com
30. अनुगुंजन (त्रैमासिक), डॉ. लवलेश दत्त (सम्पादक), sampadakanugunjan@gmail.com
31. सीमांत, डॉ. रतन कुमार (प्रधान संपादक), seemantmizoram@gmail.com
32. शोध-ऋतु, सुनील जाधव (संपादक), shodhrityu78@yahoo.com
33. विभोम स्वर, पंकज सुबीर (संपादक), vibhomswar@gmail.com, shivna.prakashan@gmail.com
34. सप्तपर्णी, अर्चना सिंह (संपादक), saptparni2014@gmail.com
35. परिकथा, parikatha.hindi@gmail.com
36. लोकचेतना वार्ता, रविरंजन (संपादक), lokchetnawarta@gmail.com
37. युगवाणी, संजय कोथियल (संपादक), yugwani@gmail.com
38. गगनांचल,डॉक्टर हरीश नवल (सम्पादक), sampadak.gagnanchal@gmail.com
39. अक्षर वार्ता, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा (प्रधान संपादक), डॉ मोहन बैरागी (संपादक) aksharwartajournal@gmail.com
40. कविकुंभ, रंजीता सिंह (संपादक), kavikumbh@gmail.com
41. मनमीत, अरविंद कुमार सिंह(संपादक), manmeetazm@gmail.com
42. पू्र्वोत्तर साहित्य विमर्श (त्रैमासिक), डॉ. हरेराम पाठक (संपादक), hrpathak9@gmail.com
43. लोक विमर्श, उमाशंकर सिंह परमार (संपादक), umashankarsinghparmar@gmail.com
44. लोकोदय, बृजेश नीरज (संपादक), lokodaymagazine@gmail.com
45. माटी, नरेन्द्र पुण्डरीक (संपादक), Pundriknarendr549k@gmail.com
46. मंतव्य, हरे प्रकाश उपाध्याय (संपादक), mantavyapatrika@gmail.com
47. सबके दावेदार, पंकज गौतम (संपादक), pankajgautam806@gmail.com
48. जनभाषा, श्री ब्रजेश तिवारी (संपादक), mumbaiprantiya1935@gmail.com, drpramod519@gmail.com
49. सृजनसरिता (हिंदी त्रैमासिक), विजय कुमार पुरी (संपादक), srijansarita17@gmail.com
50. नवरंग (वार्षिकी), रामजी प्रसाद ‘भैरव’ (संपादक), navrangpatrika@gmail.com
51. किस्सा कोताह (त्रैमासिक हिंदी), ए. असफल (संपादक), a.asphal@gmail.com, Kotahkissa@gmail.com
52. सृजन सरोकार (हिंदी त्रैमासिक पत्रिका), गोपाल रंजन (संपादक), srijansarokar@gmail.com, granjan234@gmail.com
53. उर्वशी, डा राजेश श्रीवास्तव (संपादक), urvashipatrika@gmail.com
54. साखी (त्रैमासिक), सदानंद शाही (संपादक), shakhee@gmail.com
55. गतिमान, डॉ. मनोहर अभय (संपादक), manohar.abhay03@gmail.com
56. साहित्य यात्रा, डॉ कलानाथ मिश्र (संपादक), sahityayatra@gmail.com
57. भिंसर, विजय यादव (संपादक), vijayyadav81287@gmail.com
58. सद्भावना दर्पण, गिरीश पंकज (संपादक), girishpankaj1@gmail.com
59. सृजनलोक, संतोष श्रेयांस (संपादक), srijanlok@gmail.com
60. समय मीमांसा, अभिनव प्रकाश (संपादक), editor.samaymimansa@gmail.com
61. प्रवासी जगत, डॉ. गंगाधर वानोडे (संपादक), gwanode@gmail.com pravasijagat.khsagra17@gmail.com
62. शैक्षिक उन्मेष, प्रो. बीना शर्मा (संपादक), dr.beenasharma@gmail.com
63. पल प्रतिपल, देश निर्मोही (संपादक), editorpalpratipal@gmail.com
64. समय के साखी, आरती (संपादक), samaysakhi@hmail.in
65. समकालीन भारतीय साहित्य, रणजीत साहा (संपादक), secretary@sahitya-akademi.gov.in
66. शोध दिशा, डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (संपादक), shodhdisha@gmail.com
67. अनभै सांचा, द्वारिका प्रसाद चारुमित्र (संपादक), anbhaya.sancha@yahoo.co.in
68. आह्वान, ahwan@ahwanmag.com, ahwan.editor@gmail.com
69. राष्ट्रकिंकर, विनोद बब्बर (संपादक), rashtrakinkar@gmail.com
70. साहित्य त्रिवेणी, कुँवर वीरसिंह मार्तण्ड (संपादक), sahityatriveni@gmail.com
71. व्यंजना, डॉ रामकृष्ण शर्मा (संपादक), shivkushwaha16@gmail.com
72. एक नयी सुबह (हिंदी त्रैमासिक), डॉ. दशरथ प्रजापति (संपादक), dasharathprajapati4@gmail.com
73. समकालीन स्पंदन, धर्मेन्द्र गुप्त 'साहिल' (संपादक), samkaleen.spandan@gmail.com
74. साहित्य संवाद , संपादक - डॉ. वेदप्रकाश, sahityasamvad1@gmail.com
75. भाषा विमर्श ( अपनी भाषा की पत्रिका), अमरनाथ (प्रधान संपादक), अरुण होता (संपादक), amarnath.cu@gmail.com
76. विश्व गाथा, पंकज त्रिवेदी (संपादक), vishwagatha@gmail.com
77. भाषिकी अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल, प्रो. रामलखन मीना (संपादक), prof.ramlakhan@gmail.com
78. समवेत, संपादक-डॉ.नवीन नंदवाना, editordeskudr@gmail.com
79. तदभव, संपादक: अखिलेश, akhilesh_tadbhav@yahoo.com
80. रचना संसार, भारत कात्यायन (संपादक), rachanasansar@gmail.com
81. शब्द सुमन मासिक पत्रिका, सम्पादक-डॉ रामकृष्ण लाल ' जगमग', 2015shabdsuman@gmail.com
82. अनुराग लक्ष्य, संपादक- विनोद कुमार, vinodmedia100@gmail.com
83. सरस्वती सुमन (मासिक), संपादक- आनन्दसुमन सिंह, saraswatisuman@rediffmail.com
84. आधारशिला (मासिक), संपादक- दिवाकर भट्ट, adharshila.prakashan@gmail.com, editor.adharshila@gmail.com
85. प्रेरणा-अंशु (राष्ट्रीय मासिक), संपादक- प्रताप सिंह, prernaanshu@gmail.com
86. युवादृष्टि (मासिक), संपादक- बी सी जैन, suggestion.abtyp@gmail.com, abtypyd@gmail.com
87. संवदिया(सर्जनात्मक साहित्यिक त्रैमासिकी), संपादक- अनीता पंडित, प्रधान संपादक- मांगन मिश्र'मार्तण्ड', samvadiapatrika@yahoo.com
88. सोच विचार, संपादक-डॉ. जितेन्द्र नाथ मिश्र, sochvicharpatrika@gmail.com
89. त्रैमासिक आदिज्ञान, संपादक-जीतसिंह चौहान, adigyaan@gmail.com
90. पतहर तिमाही, संपादक-विभूति नारायण ओझा, hindipatahar@gmail.com
91. चौराहा (अर्द्धवार्षिक), संपादक - अंजना वर्मा, anjanaverma03@gmail.com
92. निराला निकेतन पत्रिका बेला, संपादक -संजय पंकज, dr.sanjaypankaj@gmail.com
93. इंदु संचेतना(साहित्य परिक्रमा), गंगा प्रसाद शर्मा'गुण शेखर'(प्रधान संपादक),थिएन कपिंग(कार्यकारी संपादक,चीन),बिनय कुमार शुक्ल(संपादक), indusanchetana@gmail.com, indusanchetana.blogspot.in
94. समय सुरभि अनंत (त्रैमासिक ), सम्पादक- नरेन्द्र कुमार सिंह, samaysurabhianant@gmail.com
95. औरत मासिक पत्रिका, संपादक डॉ विधुल्लता ,भोपाल (मध्यप्रदेश), aurat.vidhu@gmail.com
96. वार्ता वाहक-श्रीवत्स करशर्मा(संपादक), vartavahak@gmail.com,
97. नागरी संगम-डॉ हरिपाल सिंह(प्रधान संपादक), nagrilipiparishad1975@gmail.com
98. सेतु (पिट्सबर्ग से प्रकाशित), अनुराग शर्मा, setuhindi@gmail.com
99. स्त्री, प्रो. कुसुम कुमारी (संपादक), chitra.anshu4@gmail.com
100. चिंतन दिशा, संपादक-हृदयेश मयंक, chintandisha@gmail.com
101. आधुनिक साहित्य, संपादक डॉ. आशीष कंधवे, aadhuniksahitya@gmail.com
102. अनभै, संपादक- डॉ.रतनकुमार पाण्डेय, anbhai@gmail.com
103. कथाबिंब - सं.डॉ.माधव सक्सेना अरविंद, kathabimb@gmail.com
104. संयोग साहित्य- सं.मुरलीधर पाण्डेय, lordsgraphic@gmail.com
105. नई धारा – संपादक- शिवनारायण, editor@nayidhara.com
106. नया पथ- संपादक- मुरली मनोहर प्रसाद सिंह/चंचल चौहान, jlsind@gmail.com
107."समकालीन त्रिवेणी" सम्पादक-अखिलेश श्रीवास्तव 'चमन  trivenisevanyas@gmail.com
108  ' शब्दिता ' ;  प्रधान संपादक- डॉ राम कठिन सिंह:  rksingh.neford @gmail.com
109  साहित्‍य विमर्श,सम्पादक-एम एम चन्द्रा . Editordpb17@gmail.com
110  लेखन' पत्रिका,संपादक-मोती लाल
प्रयागराज,उ प्र
motilal379@rediffmail.com
111.अखिल गीत शोध दृष्टि सम्पादक :डॉ0 गीता सिंह
shodhdrishti@gmail. com
9415082614
112 देस हरियाणा  haryanades@gmail.com
113 युगतेवर drrskni,@gmail.com
114  इंडिया इनसाइड
संपादक- अरुण सिंह
editor.indiainside@gmail.com
gmindiainside@gmail.com
115  गांव के लोग-रामजी यादव gaonkelogbsb@gmail.com
116  "शब्दसृष्टि" (हिंदी-मराठी द्विभाषिक पत्रिका), संपादक : डा. मनोहर
shabdasrishti@gmail.com

Saturday 23 May 2020

Brief introduction (संक्षिप्त परिचय ) GHANSHYAM SHARMA

नाम : घनश्याम शर्मा 

पिताजी: - श्री श्रीराम शर्मा 
माताजी: - 'माँ' श्रीमती सुरेश देवी 

जन्मतिथि : 08.1986 

जन्म स्थान : गाँव- ब्राह्मणवास नौ, जिला - महेन्द्रगढ़(हरियाणा) 

निवास स्थान :- पिलानी, राजस्थान। 

शिक्षा - एम.ए.(हिंदी, समाज शास्त्र , शिक्षा), बी.एड., एमबीए(ए), आरएससीआईटी, सीटैट, रीट, एचटैट टीजीटी(दो बार), एचटैट पीजीटी(दो बार), यूजीसी नेट-जेआरएफ(दो बार) 

अनुभव - पिछले लगभग 10 सालों से स्कूल, कॉलेज , कोचिंगों में अध्यापन का अनुभव ।

रुचि: कविताएँ- कहानियाँ लिखना, संगीत सुनना, क्रिकेट, बैडमिंटन खेलना। 

पत्र व्यवहार का पता - घनश्याम (पीजीटी-हिंदी), केवि नं. 4, नीलाद्रि विहार, पो.ऑ.- शैलाश्री विहार, भुवनेश्वर, जिला -खुर्दा(ओडिशा) 751021. 

प्रकाशित पुस्तकें : 1. 'किसलय' -2018
 2. 'मेरी रचना कोश' -2019 
3. 'गुलदस्ता' -2019
 4. 'काव्य-दर्पण' -2019 
5. 'काव्य-संगम' -2019
 ( उपर्युक्त पांच साझा-काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित) 

ओनलाइन प्रकाशन :- 1. kositimes.com वेबसाइट पर गीत " मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा..." प्रकाशित।
 2. Storymirror.com पर "मज़दूर", "मैं अब सूरज बन गया हूँ", "कर प्रयास" और "फिर रहा हूँ भागा-भागा " जैसे कई गीत प्रकाशित। 
3. matrubhashaa.com पर "आग देशभक्ति वाली" गीत प्रकाशित।
 4. janbhashahindi.com पर "ऐसा गीत सुनाएँ" कविता प्रकाशित।
 5. “ amarujala.com” पर ‘देश को आगे बढ़ाएँ’ कविता प्रकाशित । 

सम्मान :- 1. राजल वेलफेयर एंड डवलपमेंट संस्थान, जोधपुर और वेबपोर्टल साहित्य दर्शन डोट कोम द्वारा "मातृभाषा गौरव सम्मान" से सम्मानित। 
2. स्टोरीमिरर द्वारा "LITERARY COLONEL" की उपाधि से विभूषित। 
विशेष उपलब्धि :- स्टोरीमिरर द्वारा "ओथर ओफ द वीक" विजेता और “ऑथर ऑफ़ द ईयर” के लिए नॉमिनेट । 

 अन्य उपलब्धियाँ :- 1. के. वि. एस. में टीजीटी चयनित,
2. केविएस में दो बार पीजीटी चयनित ,
3. नवोदय में पीजीटी चयनित , 
4. एचएसएससी में पीजीटी चयनित ,
5. एचपीएससी के साक्षात्कार के लिए चयनित ।

संप्रति : केवि नं.- 4, भुवनेश्वर में हिंदी स्नातकोत्तर शिक्षक पद पर कार्यरत। 



Youtube channel  :- https://youtu.be/aMRltxf6Vfg





संपर्क- 8278677890 
ई.मेल.- jaimaranisati@gmail.com

Wednesday 20 May 2020

CCA CALENDAR 2020-21 KVS

👏👏👏👏साभार प्राप्त 👏👏👏👏







KENDRIYA VIDYALAYA JHARSUGUDA
C.C.A. PROGRAMME FOR SECONDARY CLASSES: 2020-21
S.N.
ACTIVITIES
DAY
1. 1
House Meeting
27.06.2020
2. 2
Hindi Poem recitation
04.07.2020
3. 3
Sanskrit Poem Recitation
18.07.2020
4. 4
English Poem Recitation
25.07.2020
5. 5
Hindi Debate
29.08.2020
6. 6
Skit (Hindi/English)
19.09.2020
7. 7
Group Song
26.09.2020
8. 8
Group Dance
03.10.2020
9.  
Solo Song
17.10.2020
10.  
Rangoli
07.11.2020
11.  
English Debate
21.11.2020
12. 9
English Story Telling
28.11.2020
13. 10
Extempore
05.12.2020
14. 12
Quiz(General)
19.12.2020

S.NO.
DATE
OBSERVATION DAYS
1
01.04.2020
Utkal Diwas
2
22.04.2020
Earth Day
3
21.06.2020
World Yoga day
4
July 1st Week
Van Mahotsav
5
11.07.2020
World Population Day
6
31.07.2020
Munshi Prem Chand Jayanti
7
03.08.2020
Sanskrit Day Celebration
8
12.08.2020
International Youth Day
9
15.08.2020
Independence Day
10
20.08.2020
Sadbhawna Diwas
11
29.08.2020
National Sports Day
12
05.09.2020
Teachers day Celebration
13
08.09.2020
Literacy Day
14
14.09.2020
Hindi Diwas Celebration
15
02.10.2020
Gandhi Jayanti
16
31.10.2020
Rashtriya Ekta Diwas
17
11.11.2020
National Education Day
18
14.11.2020
Children’s day Celebration
19
01.12.2020
AIDS Day
20
10.01.2021
World Hindi diwas
21
12.01.2021
Swami Vivekananda Jayanti
22
15.01.2021
Army Day
23
23.01.2021
Netaji Subhash Chandra Jayanti
24
25.01.2021
National Water Day
25
26.01.2021
Republic day Celebration
26
28.02.2021
National Science Day

(C.C.A. I/C)(PRINCIPAL)

CCA activities benefits ..सहशैक्षिक क्रियाकलाप का लाभ

*सह पाठयक्रम गतिविधियाँ : अर्थ, परिभाषा, उदाहरण, महत्व एवं लाभ*:-

*€सह पाठयक्रम गतिविधियों का अर्थ*€



    पहले सह पाठयक्रम गतिविधियों को पाठ्येतर गतिविधियाँ के रूप में जाना जाता था जो गैर शैक्षणिक पाठ्यक्रम का एक हिस्सा था। यह बच्चे और छात्रों के व्यक्तित्व विकास के विभिन्न पहलुओं को विकसित करने में मदद करता है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भावनात्मक, शारीरिक, आध्यात्मिक और नैतिक विकास जरूरी है जहाँ सह पाठयक्रम गतिविधियाँ पूरक के रूप में काम करता है। सह पाठयक्रम गतिविधियाँ आपके पाठयक्रम का ही नहीं बल्कि आपके जिंदगी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।  यह एक ऐसी गतिविधियाँ है जो आपके बच्चे  के विभिन्न विकास  जैसे बौद्धिक विकास, भावनात्मक विकास, सामाजिक विकास, नैतिक विकास और सौंदर्य विकास में अहम् भूमिका निभाता है।


*#सह पाठयक्रम गतिविधिओं की परिभाषा#*

  सह पाठयक्रम गतिविधियाँ एक ऐसा पाठयक्रम है जो मुख्य पाठ्यक्रम के पूरक के रूप में काम करता है। ये पाठ्यक्रम का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जो छात्रों के व्यक्तित्व का विकास करने के साथ ही कक्षा शिक्षा को मजबूत करने में सहायक है। इस तरह की कार्यक्रम स्कूल के नियमित समय के बाद आयोजित किया जाता है इसलिए इसे पाठ्येतर गतिविधियां के रूप में जाना जाता है।



*#सह पाठयक्रम गतिविधिओं के उदाहरण#*

खेल
संगीत
बहस
कला
नाटक
बहस और चर्चा
भाषण प्रतियोगिता
कहानी लेखन प्रतियोगिता
निबंध लेखन प्रतियोगिता
कला शिल्प
प्रतियोगिता
सजावट
स्कूल पत्रिका में लेख
लोक संगीत
लोक नृत्य
फूलों की सजावट
स्कूल  सजावट
मूर्ति निर्माण
फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता
चार्ट और मॉडल की तैयारी
एल्बम बनाना
फोटोग्राफी
क्ले मॉडलिंग
खिलौना बनाना
साबुन बनाना
टोकरी बनाना
त्योहार के उत्सव मानना


*#छात्र और सह पाठयक्रम गतिविधिओं की भूमिका#*

   सह पाठयक्रम गतिविधिओं द्वारा छात्र व्यावहारिक ज्ञान के अनुभव को जान पाता है। बहुत हद तक यह क्लास शिक्षण और प्रशिक्षण को मजबूत करता है। बौद्धिक व्यक्तित्व के लिए क्लास रूम टीचिंग जरूरी है जबकि सौंदर्य विकास ,चरित्र निर्माण, आध्यात्मिक विकास इत्यादि में सह पाठयक्रम गतिविधिओं का होना जरूरी है। यह स्कूल तथा कॉलेज के छात्रों के बीच समन्वय, समायोजन , भाषण प्रवाह आदि विकसित करने के लिए मदद करता है।

*#सह पाठयक्रम गतिविधिओं के लाभ#*

    वैसे तो सह पाठयक्रम गतिविधिओं के बहुत सारे फायदे हैं। लेकिन यहां पर कुछ महत्वपूर्ण लाभ के बारे में बताया है।

 * सह पाठयक्रम गतिविधियाँ खेल, अभिनय, गायन एवं कविता पाठ को प्रोत्साहित करता है।

*गतिविधियाँ जैसे खेल, बहस में भागीदारी, संगीत, नाटक, आदि शिक्षा को पूर्ण करने में मदद करता है।

*यह बहस के माध्यम से स्वतंत्र रूप से खुद को अभिव्यक्त करने के लिए छात्रों को सक्षम बनाता है।

* खेल बच्चों को फिट और ऊर्जावान बनने में मदद करता है।

*स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के लिए मदद करता है।

* यह गतिविधियाँ बताता है कि किसी भी काम को संगठित रूप में कैसे करना चाहिए, कौशल विकसित कैसे किया जाये, सहयोग और विभिन्न प्रस्थिथिओं में समन्वय कैसे रखा जाये।

* यह समाजीकरण, आत्म-पहचान और आत्म मूल्यांकन का अवसर प्रदान करता है।

* यह निर्णय लेने में आप को एकदम सही बनाता है।

* यह अपनेपन की भावना विकसित करने में मदद करता है।


*#पाठयक्रम गतिविधियाँ के आयोजन में शिक्षक की भूमिका#*

1.   शिक्षक को एक अच्छा योजनाकार होना चाहिए ताकि विभिन्न गतिविधियों को व्यवस्थित ढंग से पूरा किया जा सके।

2.   शिक्षक का कर कर्त्तव्य होना चाहिए कि वह पाठयक्रम गतिविधियों प्रदर्शन करते हुए बच्चों को अधिक से अधिक अवसर दे।

3.   शिक्षक को एक अच्छा आयोजक होना चाहिए ताकि छात्रों को इसके बारे में अधिक से अधिक फायदा उठा सके ।


*#आउटडोर सह पाठयक्रम गतिविधिओं की सूची#*

सामूहिक परेड
सामूहिक ड्रिल
योग
व्यायाम
साइकिल चलाना
बागवानी
क्रिकेट
फ़ुटबॉल
बास्केटबाल
वालीबाल
कबड्डी
खो-खो
हाथ गेंद
लंबी पैदल यात्रा
सामूहिक प्रार्थना
सुबह की सभा
पड़ोस में समाज सेवा
गांव सर्वेक्षण


*#इंडोर सह पाठयक्रम गतिविधिओं की सूची#*

नाटक
संगीत और नृत्य
चित्रांकन और रंगाई
सजावट
क्ले मॉडलिंग
प्राथमिक चिकित्सा
सिलाई
रंगोली
बुक बाइंडिंग
कार्ड बोर्ड काम
चमड़े का काम
आयोजन स्कूल पंचायत
कला और शिल्प


-👏👏 साभार

Sunday 17 May 2020

Creative KV4 Competition ...पत्रिका प्रकाशित

सभी का अभिनंदन ...

Creative kV4 competition

From home
You can take help
From dad n mom !!


   Creative Kv 4 competition में भाग लेने वाले सभी बच्चों की
कविताओं , कहानियों , पेंटिंज़ , पोस्टर आदि को यहाँ एक साथ पब्लिश किया जा रहा है । इस प्रतियोगिता में बच्चों ने बड़े ही उत्साह से भाग लिया और बहुत ही सुंदर रचनायें प्रस्तुत कीं।  हर बच्चे की अधिकतम दो रचनाओं को इस ब्लॉग पर स्थान दिया गया है और न्यूनतम एक रचना होना अनिवार्य है ।

  शीघ्र ही इस प्रतियोगिता का परिणाम भी घोषित किया जाएगा ।

  आप आनंद लीजिए बच्चों की कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता का :—



*मानवता*

मानव की सभ्यता में, खो गया है मानवता
मानव की सृष्टि में, छुपा था मानवता
मानवता को जीवन में,
हमने क्यों खो दिया है?
न करते मार, न होते अत्याचार
बेटियों का हुआ बलात्कार
हत्या हुई बार बार।
बेटियां तो वरदान है,
उसमें जीवन देने का दान है,
मानवता को अपनाना होगा,
सुन्दर समाज बनाना होगा,
सबको यह निर्णय लेना होगा,
आपस में भाई - चारे को अपनाना होगा,
वही मानवता को फिर से लाना होगा,
तभी सुन्दर होगा यह राष्ट्र,
जिसमें हम करते है बास,
तभी कहलाएगा भारतवर्ष महान।

Name - Biswajit Badapanda
Class - १२ A
Roll no. - २२
Kendriya Vidyalaya No.४



*आस्था*

*यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है*
यह कहानी मेरी परनानी की जुबानी ।  एक बार उनके गांव में बहुत जोरों की बाढ़ आई थी। हर जगह पानी ही पानी भर गया था घर के अंदर से लेकर बाहर तक जहां भी आंख जाती पानी ही पानी था बहुत तकलीफ से गुजर रहे थे इसी बीच गांव में एक   प्रथा के अनुसार  हर घर को   कुछ पैसे गांव के मंदिर के लिए देने पड़ते थे। उसी समय  पैसे देने की बारी हमारे घर की थी ।
  बाढ़ के कारण कोलकाता से परनाना जी के भेजे पैसे नहीं मिल पाए थे । परनानी बहुत उदास थी चारों और पानी ,घर के सारे वास्तु भीगे हुए ,धान चावल आदि  । खाने की दिक्कत के साथ-साथ पास में पैसे भी न थे । फिर भी मंदिर के लिए  योगदान देना जरूरी था । इसी परेशानी में परनानी जी भगवान के कक्ष में गई ,रोते-रोते  भगवान से प्रार्थना की , हे प्रभु इस परिस्थिति से कैसे निकला जाये "भगवन सब कुछ आपके हाथ में है" यह परनानी बोले।
भगवान से  यह निवेदन करते करते   सोने को चली गई। इस चिंता के साथ अगर पानी ज्यादा दिनों तक घर के अंदर रहा तो मिट्टी की दीवार धस जाएगी बस एक पलंग को पत्थरों के सहारे  ऊंचे में रखे थे तभी परनानी ने सपने में देखा सफेद वस्त्र पहने हुए कोई व्यक्ति आकर उन्हें  मानो कह रहे हैं,' घबराओ मत कल सुबह तक सब कुछ सही हो जाएगा चिंता मत करो बस मुझ पर विश्वास रखो ।' यही कहते हुए परनानी से  दूर होते जा रहे थे जाते वक्त  एक आवाज आ रही थी …
… *ठक,* *ठक*, *ठक* जैसे कोई लकड़ी का चप्पल हो । उसी आवाज को सुनकर घबराहट में अचानक परनानी की आंख खुल गई ,देखती है तो भोर हो चुकी थी धड़ाम से उठ बैठी उठते के साथ  रो पड़ी क्योंकि  परनानी ने देखा  उनके मुट्ठी में कुछ पैसे थे और जो पानी घर के अंदर था सुख के पीछे के तलाब  तक चली गई थी परनानी आश्चर्यचकित हो गई ,कौन थे वह! जो यह चमत्कार कर गए ।
तभी परनानी को एहसास हुआ की सोने से पहले जो   ठाकुर जी को प्रार्थना की थी कहीं ठाकुर जी तो नहीं पधारे थे मैं अभागन सोती रह गई  देख भी नहीं पाई इसी सोच में रोते हुए ठाकुर जी को प्रणाम करने जब गई देखती है तो  ठाकुर के पादुका में मिट्टी के अवशेष  लगे थे  ,यह देखते ही वह फूट-फूट कर  रो पड़ी। सुबह के कामों में व्यस्त रह गई और  मंदिर के प्रबंधक जब आए तो उन्हें पैसे दे दिए ।
इसी से यह एहसास होता है कि भगवान पर आस्था रखने से वह जरूर सुनते हैं।
अनेकों बार ऐसे अनेक परिस्थिति में ठाकुर ने मेरी पर नानी जी को सहायता  की थी।

 नाम: रुद्राक्ष राय
 कक्षा :9 ब
  स्कूल :केंद्रीय विद्यालय  क्रमांक 4  भुवनेश्वर







ाम प्रीतिश्री परीड़ा
कक्षा - आँठवीं ‘ब'
सेशन - 2020-2021
दिनांक - 05/04/2020
दिन शनिवार 
पिता का नाम प्रताप चंद्र परीड़ा
माता का नाम  दीप्ति परीड़ा
विद्यालय का नाम  केन्द्रीय विद्यालय नं-4 भुवनेश्वर 












काला रंग: अभिशाप या आशीर्वाद 

क्या है मेरा कोई कसूर?

तो क्यों मुझे रोने के लिए कर रहे हो तुम मज़बूर,
शायद यहीं राज़ है तुम्हारा,जिस से होते हो तुम मशहूर।

मिला मुझे यह अनोखा जन्म मेरी माँ के कोख से
और वहीं से मिला मुझे यह श्याम रंग का अवतार,

है मुझे मेरे इस काले रंग पर नाज़
चाह के भी बंद नहीं कर सकते हो तुम मेरी आवाज़।

काला धागा,काला टीकाकाला तिल बचाता है तुम्हें बुरीनज़रों से
बस मेरे ही काले रंग से है तुम्हें इतना एतराज़,
बना के रखा है इसे एक रीति रिवाज।

दिया है रब ने यह रंग मुझे पता नहीं सोचकर एकआशीर्वाद या अभिशाप
पर इस के लिए मुझे ही करना पड़ रहा है पश्चाताप।

कभी कोई बोलता विनाशिनी तो कभी कुलक्षिणी
पर पता है मुझे कि हूँ मैं सुलक्ष्मी।

पता नहीं क्या है खुदा की इस के पीछे साज़िश
पर रब से एक है गुज़ारिश
दे शक्ति मुझे ताकि मैं कर सकूँ इस समाज को बदलनेकी कोशिश।  













ये कोरोना है या भगवान 
र युग में पाप का नाश करने भगवान ने अवतार लिया
इस युग में पाप का नाश करने कोरोना ने अवतार लिया ।
सर्वश्रेष्ठ प्राणि ने मचाया  हर जगह आतंक
धरती में बचे बहुत ही कम संत।
हर जगह नारियों का अपमान हुआ
पेड़ों को  काटने का काम हुआ। 
जगह नारियों का अपमान हुआहर जगह पेड़ों को काटने का काम हुआ।
र्यावरण को हमने किया  दुशित  ,
जानवरों को मार कर हमेशा के लिए किया मुर्छित। 
हर जगह हमने नफ़रत फैलाई,
पाप की हमने हमेशा करी बढाई।
ाम के आचरण को हमने झुटलाया,
गलत कामों को हमने बढाया।
देखो कैसे हमारी धरती तप रही है, 
हमारे अत्याचारों से बिलख रही है।
पाप का नाश करने भगवान ने अवतार लिया
कोरोना के माध्यम से संहार किया। 
हे प्रभु आपसे है मेरी एक गुहार
हमे मौका दीजिए और एक बार,
नहीं करेंगे हम गलती  बार बार। 
         
ाम -जयश्री पृष्टि 
जन्मतिथि -24-03-2006
जन्मस्थान -आइजोल, मिज़ोरम
पिता का नाम - नरेंद्र कुमार पृष्टि
माता का नाम - पुष्प लता पुष्टि
वर्तमान पता- भी आई  एम,शैलश्री िहार, भुवनेश्वर, ओडिशा
पिनकोड -751021
कक्षा -आठवी (2019-2018)
विद्यालय -केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 
ीलाद्रि विहार
भुवनेश्वर , ओडिशा

ाम  - आयुष्मती शर्मा
कक्षा   - आठवीं ‘ब’
सेशन  - 2020-2021
दिनांक  - 29/03/2020
दिन    रविवार 
पिता का नाम – शिवप्रसाद शर्मा
विद्यालय का नाम – केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक  4 , भुवनेश्वर 









़िंदगी

होती है कुछ पलों की ये ज़िंदगी,

आज बचपन,
कल जवानी,
परसो बुढ़ापा फिर ख़तम कहानी।


होता है एक जहां ये ज़िंदगी,
जी भरके रोते है तो करार मिलता है,
इस जहां में कहां सबको प्यार मिलता है,
गुज़र जाती हैं ये ज़िंदगी इम्तिहानों के दौर से,
एक ज़ख्म भरता है,
तो वहीं दूसरा तैयार मिलता है।


वैसे तो एक किताब है ये ज़िंदगी,
पर काश,
फाड़ सकते उन पन्नों को जिन्होंने रुलाया है,
जोड़ सकते उन लम्हों को जिन्होंने हसाया है,
हिसाब लगा पाते की कितना खोया है और कितना पाया है।


होता है बड़ा अजीब ये ज़िंदगी,
कभी हार तो कभी जीत होती है,
मुस्कुराओ तो लोग जलते है,
ख़ामोश रहो तो सवाल करते है


एक सुहाना सफर है ये ज़िंदगी,
मत पूछो मंज़िल का पता,
आंखों में आंसू और दिल में ख्वाब रख को,
लंबा सफर है ज़िंदगी का जरूरी सामान रख लो।





अरे ! तुम क्या जानोगे क्या होती है ये ज़िंदगी,
अगर जानना है,
तो कभी किसी भिखारी के कटोरे पे फेंके सिक्के गिन लेना,
कभी अपनी मां की त्याग देख लेना,
कभी किसी मजदूर के हांथ के छाले देख लेना।

--आयुष्मती शर्मा


ाम  - आयुष्मती शर्मा
कक्षा   - आठवीं ‘ब’
सेशन  - 2020-2021
दिनांक  - 29/03/2020
दिन    रविवार 
पिता का नाम – शिवप्रसाद शर्मा
विद्यालय का नाम – केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक  4 , भुवनेश्वर 









शहीद--भगत

सरफरोशी की तमन्ना तब
हमारे दिल में आया था,
लहू का प्रत्येक कतरा
इंकलाब लाया था
क्या हिन्दूक्या मुस्लिम,
पूरा हिंदुस्तान उस दिन रोया था,
23 मार्च 1931 का दिन काल बनके आया था,
जब फांसी के फंदे पर
तीन वीरों को झुलाया था,
सुखदेवभगतराजगुरु के
मन को कोई दूजा  भाया था,
खुशी-खुशी वतन के वास्ते
मौत को गले लगाया था।

इंकलाब का नारा लिए
हमसे विदा लेने की ठानी थी,
लटक गए तुम फांसी पर परन्तु मुंह
से एक शब्द तक नहीं निकली थी,
देख ऐसी वीरता तुम्हारी
पूरा जग है रोया था,
खुशी-खुशी वतन के वास्ते
मौत को गले लगाया था।

सीने में जुनून का राग था,
 मौत का कोई डर था,
 परवाह थी अपने प्राण की,
छोड़ मोह माया इस जग का
अपनों को छोड़ के आया था,
भारत माता को गोद लिया था,
इस वतन को है अपनाया था,
लेके जन्म इस पुनीत भूमि पर,
अपना फर्ज निभाया था,
खुशी-खुशी वतन के वास्ते
मौत को गले लगाया था।

अलविदा कहकर चल दिए,
दिखाकर सपना आज़ादी का,
सपना हुआ आपका सच
पर रोज़ दिखता है दृश्य बर्बादी का,
कहीं गरीब भूखा मारता है,
तो कहीं अमीरों का घर भरता है,
कहीं जात-पात की शोर होती है,
तो कहीं नारी पर भरभरता बरस आती है,
यही अफसाना है आज़ाद भारत का,
जब जब याद आया आपका
इन आंखों ने अश्रुधारा बहाया था,
खुशी-खुशी वतन के वास्ते
मौत को गले लगाया था।

टुकड़े टुकड़े कर गोरों ने
भारत मां का सीना चीरा था,
हिन्दू मुस्लिम के पंगो ने
भाईचारा को बहकाया था,
जातिवाद के इस खेल में
लड़ाई सबकी मजबूरी थी,
कुछ को हिंदुस्तान मिला तो
कुछ ने पाया पाकिस्तान था,
देखते ही देखते बंट गया ये समाज अपना
ऐसा तो नहीं देखा था आपने सपना,
सरहद के उस विभाजन का
आज असर कुछ गहरा दिखता है,
भारत-पाक् के उन सीमाओं पर
हर रोज़ जवान मौत की मार मरता है,
आपके सपनों पर ये भारत
खरा  उतार पाया था,
सलाम उन वीरों को जिन्होंने
खुशी-खुशी वतन के वास्ते
मौत को गले लगाया था।

जय भगत !
जय भारत !
इंकलाब ज़िंदाबाद !

-आयुष्मती श‌र्मा



                   




सच्चा अौर  ईमानदार भूत (कहानी )

   रमेश नामक एक गरीब दूधवाला एक छोटे से गांव में रहता था। उसके पास एक गाय और उसका बछड़ा भी था। रोज सुबह वह अपने गाय से दूध निकालकर बाज़ार में बेचकर  सौ- डेढ़ सौ रुपए कमाता था। रमेश कभी अपने दूध में पानी नहीं मिलाता था इसलिए लोग रमेश से दूध लेना पसंद करते थे।
   ऐसे करते करते वह बहुत अमीर बन गया। उसे देखकर उसके पड़ोसी  देव  ने एक दिन सोचा कि,"अगर रमेश ऐसे करके अमीर बन गया तो मैं क्यों नहीं बन सकता "।
   देव का लालच बढ़ता ही गया। उसके अगले सुबह ही वह एक गाय ले आया। जब वह उससे दूध निकालने गया तो गाय बस चार-पाँच लीटर ही दूध दिया।
    देव गाय को फिर जोर-जोर से मारने लगा। फिर देव  दूध में पानी मिलाकर बाज़ार में बेचने गया तो कोई उससे दूध नहीं लिए। फिर देव गुस्सा हो गया।उसने अपने मन में ठान लिया कि वह रमेश की गाय चुरा लेगा।
     उसी रात देव रमेश की गाय चुरा लिया।
उसके अगले सुबह जब रमेश गाय के पास गया तो गाय नहीं थी । वह परेशान हो गया। सबसे पूछा लेकिन किसी ने गाय को नहीं देखा।
      रमेश निराश हो कर घर आया और रोने लगा। उसी समय एक भूत आया और पूछा क्या हुआ? रमेश ने सारी बात बताई। तभी भूत बोला,"मैं सभी सच्चे लोगों की मदद करता हूं और मैं तुम्हारी मदद भी करुंगा "। यह सुनकर रमेश खुश हो गया।
      भूत ने फिर अपने मंत्र से रमेश को बीस लीटर दूध देने वाली गाय दी और कहा,"इसको तुम रखो जल्द ही मैं तुम्हे तुम्हारी गाय दे दूँगा । उसके अगले सुबह उसने गाय को ढूंढ़ लिया और सोचा कि इस को थोड़ा सबक देगें। फिर भूत ने गाय के अदंर प्रवेश किया। जब देव गाय से दूध निकालने बैठा तो गाय ने  एक जोर से लात मारी। देव गिर गया और डर गया तो उसने गाय को खोल दिया। फिर भूत गाय के अदंर से निकल आया और रमेश को दे दिया। रमेश खुश हो गया। भूत फिर उधर से चला गया । उसी दिन से रमेश दोनों गाय को पालने लगा।

शिक्षा- लालच और चोरी सबसे खराब चीज़ है।

नाम- आदित्यदित्य पलटासिहं
कक्षा- छ्ठी 'ब'
तारीख- 28-03-2020-21
दिन- शनिवार
माता-दीप्ति रानी दाश
विद्यालय- केंद्रीय ‌विद्यालय क्रमांक-४
 भुवनेश्वर



*मैं जवान पर वृद्ध मेरी पहचान*

नज़रें न हटाओ उनसे
निगाहें न छिपाओ
वो है अलादीन का चिराग
उनको अपने सर पर बिठाओ।।

ज़िंदगी मेहनत की गुज़ार दी
धन दौलत अपने बच्चों के नाम की
सिर्फ़ सही सलामत रहने की चाह की
बदले में और कुछ न मांग की।।

सारी सारी रात, पूरा पूरा दिन
न कुछ खाया, न सोया
हमारी सेवा में अपना
सब कुछ गवाया।।

उन्होंने अपना आज बिगाड़ा
और हमारा कल संवारा
उनके जीवन में न करो अंधियारा
मुश्किल वक्त में उनका बनों सहारा।।

उनके स्नेह लाड प्यार के बदले
हमनें उन्हें क्या दिया?
सिर्फ़ गुस्सा , झगड़ा, मार
अरे हाथों से नहीं तो बातों की वार।।

वो ज़माना कुछ और ही था
बुज़ुर्ग घर के मुखिया कहलाते
सारे फैसले वही सुनाते
हर नियम उनसे हो आते।।

अरे बाहर वाले तो छोड़ो
घर वाले भी न पूछते
खुद खून का रिश्ता खून तोड़ता
और वृद्धाश्रम का स्थान दिखता।।

अब ज़िंदगी यहीं गुजारनी है
अकेलेपन के पल भी यहीं काटने है
अपने भाग्य को कोसते रहे
न जाने किस जन्म की
सज़ा भूगोत रहे।।

वृद्ध होते हैं भगवान
वृद्धाश्रम में नहीं उनका स्थान
अरे खुदगर्जों, मानव जाति का तो रख लो सम्मान
क्यूं जीतेजी ले रहे हो उनकी जान।।

मेरी मानो, अभी से ठानो
अपने मां बाप के दर्द को पहचानो
उनके किए कुर्बानी को जानो
उन्हें ऐसे जीतेजी मत मारो।।

नाम: श्रेयांसि महापात्र
दसवीं कक्षा। अनुक्रमांक:२२
केंद्रीय विद्यालय क्र:४, भुवनेश्वर
                                       धन्यवाद






































हर घर तिरंगा har ghar tiranga selfie my gov connect

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