4. ऐन फ्रेंक (ड़ायरी के पन्नें)
पाठ का सार:-
यह पाठ ‘ड़ायरी के पन्ने’ ऐन फ्रेंक द्वारा लिखित ‘द ड़ायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल’ नामक ड़ायरी से लिया गया है। इस ड़ायरी को ऐन फ्रेंक ने दो साल के अज्ञातवास के दौरान लिखी थी। 1938 के बाद से जर्मनी में यहूदियोँ का जीना दूभर हो गया था और 1940 के बाद से तो यहूदियों के उत्पीडन का दौर ही शुरु हो गया था। 1942 के जुलाई मास में फ्रैंक परिवार,जिसमें माता-पिता, तेरह वर्ष की ऐन उसकी बड़ी बहन मार्गोट तथा दूसरा वानदान परिवार जिसमे उनका बेटा पीटर तथा इनके साथ एक अन्य व्यक्ति मिस्टर डसेल आदि दो साल तक गुप्त आवास में रहे। गुप्त आवास में इनकी सहायता मिस्टर फ्रैंक के दप्तर में काम करने वाले कर्मचारियों ने की थी | ऐन फ्रेंक को यह डायरी उसके तेरहवे जन्मदिन पर उपहार में मिली थी उसमें उसने अपनी एक गुड़िया किट्टी को संबोधित किया है |
अज्ञातवास के दौरान ऐन पूरा दिन अंग्रेजी व फ्रेंच बोलती थी, पहेलियाँ बुझती थी, किताबों की समीक्षा करती, राजसी परिवारों की वंशावली देखती, सिनेमा और थियेटर की पत्रिका पढ़ती और उनमें से नायक-नायिकाओं के चित्र काटते बिताती थी | वह गुप्त आवास के बाहर की दुनिया के बारे में भी बताती थी कि सरकार ने गिल्डर नोट को अमान्य कर दिया है और हालैंड के समाज में गिरी हुई स्थिति के बारे में बताती है| चरों तरफ भूख, गरीबी, चोरी, अनैतिकता और बेरोजगारी फ़ैली हुई है| उसे लगता है कि खराब हालत के बाद भी बहुत कम लोग गलत के पक्ष में हैं|
ऐन ने इस डायरी में युद्ध संबंधी जानकरियाँ भी दी है- कैबिनेट मंत्री मि. बोल्के ने लंदन से डच प्रसारण में यह घोषणा की थी कि युद्ध के बाद युद्ध के दौरान लिखी गई डायरियों का संग्रह किया जाएगा | ऐन फ्रैंक ने नारी स्वतंत्रता के विषय को प्रमुखता से उठाया है और नारी को एक सिपाही के बराबर सम्मान देने की बात कही है| वह दुनियाँ में स्त्रियों की वास्तविक एवं प्रमाणिक स्थिति का उल्लेख करती है| उसने भविष्य के संबंध में जिन बातों की आशा की थी, आज वह सब पूरी हो रही है और स्त्रियों का जीवन बदल रहा है |
ऐन फ्रैंक की डायरी के द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध की भयानकता, हिटलर और नाजियों द्वारा यहूदियों का नरसंहार, डर, भुखमरी, गरीबी, मानवीय संवेदनाएँ प्रेम, घृणा, बचपन के सपने, कल्पनाएँ बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक और शारीरिक जरूरतें, अकेलापन आदि का सजीव वर्णन देखने को मिलता है|
1. ऐन कौन थी ? उसकी डायरी को इतिहास का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज क्यों माना जाता है?
उत्तर- ऐन फ्रैंक तेरह वर्ष की एक यहूदी परिवार की लड़की है, जो नीदरलैंड में अपने परिवार के साथ रहती थी | द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने नीदरलैंड पर अधिकार जमा लिया था | नाजियों की सांप्रदायिक घृणा के कारण कई यहूदी मौत के घाट उतार दिए गए थे | ऐन फ्रैंक का परिवार भी नाजियों के अत्याचार का शिकार हुआ, जिसकी वजह से यह यहूदी परिवार अज्ञातवास में चला गया था| ऐन फ्रेंक की डायरी को अपने समय का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है | यह डायरी यहूदियों पर ढाए गए अत्याचारों का एक प्रामाणिक दस्तावेज है | नाजी दमन के दस्तावेज के रूप इस डायरी का महत्त्वपूर्ण स्थान है | यह डायरी इतिहास के सबसे आतंकप्रद, भयावह और दर्दनाक अध्याय के साक्षात अनुभव के बारे में बताती है | ऐन फ्रेंक ने अपनी डायरी में तत्कालीन परिस्थितियों एवं सामाजिक-आर्थिक परिदृश्यों का जीवंत चित्रण किया है | इसमें नीजी सुख-दुःख तथा भावात्मक उथल-पुथल का भी चित्रण है|
2. ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर औरतों की शिक्षा और उनके मानवाधिकारों के बारे में ऐन फ्रेंक के विचारों को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- 13 जून 1944 के अंश में ऐन फ्रेंक समाज में स्त्रियों की स्थिति को लेकर चिंतित दिखाई देती है | उसके नाम में इस बात को लेकर गुस्सा है कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार और सम्मान क्यों नहीं दिया जाता है| ऐन का मानना था कि पुरुषों ने शुरू से ही औरतों पर इस कारण शासन करना शुरू किया है कि वह उनकी अपेक्षा शारीरिक रूप से ज्यादा ताकतवर है | ऐन के अनुसार यह गलत धारणा है और उन लोगों का विरोध करती है जो यह मानते हैं कि पुरुष ही कमा कर लाते हैं और बच्चों का पालन-पोषण करते हैं| जिसकी वजह से पुरुष वही करता है जो उसके मन में आए | ऐन को लगता है कि शायद अब स्थितियाँ बदल चुकी हैं | जो औरतें आज भी सहन करती हैं वह उनकी बेवकूफी है | कई देशों में तो उन्हें बराबरी का हक़ दिया जाने लगा है | आधुनिक महिलाएँ पूरी तरह से स्वतन्त्र होना चाहती हैं| ऐन महिलाओं की स्वतंत्रता के साथ उनके लिए सम्मान भी चाहती हैं और महिलाओं को पुरुषों से कम आँकने को गलत प्रथा मानती है| उसके अनुसार समाज में स्त्रियों का योगदान ज्यादा और महत्त्वपूर्ण है | वह पुस्तक मौत के खिलाफ़ मनुष्य का उदारहण देती है | प्रसव पीड़ा दुनिया की सबसे बड़ी तकलीफ है और इस तकलीफ को सहन करके भी स्त्री ने मनुष्य जाति को ज़िंदा रखा है| ऐन की इच्छा है कि स्त्री के विरोधी मनुष्यों की निंदा की जाए | वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है | उसके भीतर भविष्य को लेकर आशा एवं सपने हैं कि अगली सदी में स्थिति बदलेगी |
प्रायः पूछे जाने वाले महत्त्वपूर्ण प्रश्न
1. ऐन फ्रेंक कौन थी और उसे अज्ञातवास में क्यों जाना पड़ा?
2. ऐन फ्रेंक ने अपने थेले में क्या-क्या भरा था? और क्यों?
3. किट्टी कौन थी? ऐन ने किट्टी को संबोधित करते हुए डायरी क्यों लिखी थी?
4. ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर ऐन फ्रेंक के व्यक्तित्व के बारे में बताइए |
5. ऐन फ्रेंक की डायरी को इतिहास का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज क्यों कहा जाता है?
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