1.नए और अप्रत्याशित विषयों पर रचनात्मक लेख
शब्द सीमा- 120-150कुल 5 अंक
1. विषयवस्तु – 3 अंक
2. भाषा - 1 अंक
3. कल्पनाशीलता – 1 अंक
** किसी नए विषय पर कल्पना करके कम समय में अपने विचारों को सुंदर और व्यवस्थित तरीके से अभिव्यक्त करना ही ‘अप्रत्याशित विषयों पर रचनात्मक लेख’ कहलाता है
नए और अप्रत्याशित विषयों पर रचनात्मक लेख के लिए जरूरी बातें:-
1. किसी भी नए विषय पर लिखने से पहले उसकी उचित रूपरेखा बना ले।
2. किसी भी अप्रत्याशित विषय पर लिखने से पहले उससे सम्बंधित जानकारियों का संकलन करें।
3. संकलित विचारों का विषय के साथ उचित तालमेल बनाएँ।
4. अप्रत्याशित लेखन में यथासम्भव ‘मैँ या हम’ शैली का प्रयोग करें।
5. रचनात्मक लेखन विषय के दायरे में ही होना चाहिए।
रचनात्मक लेखन को सरल बनाने के सामान्य तरीके:-
1. लिखने से पहले सम्बंधित विषय की एक रूपरेखा बनाएँ और सभी विचारों को उस रूपरेखा में ढ़ालकर शानदार तरीके से लिखने की शुरुआत करें।
2. विषय को आरम्भ करना, विस्तार करना और उसका समापन करना आदि पर लिखने से पहले ही विचार करें।
3. विषय की कल्पना करें और विचारों को स्वयँ के साथ घटित मानकर ‘मैं’ शैली में ही लिखने का प्रयास करें।
4. विषय विस्तार में सभी विचारों का सुंदर तरीके से तालमेल बनाएँ और प्रयास करें कि वह एक कडी के रूप में ही हों।
नए और अप्रत्याशित विषयो पर रचनात्मक लेख के सम्भावित उदाहण :-
1.अगर मैँ पंछी होता अथवा काश! मैं उड़ पाता
2. बाढ़ या बाढ़ के बाद का मंजर अथवा बाढ़ की एक भयानक रात
3. नारी अब तू ही नारायणी अथवा भारत की बदलती नारी
4. बारिश का वो सुहावना दिन अथवा बारिश में भीगता बचपन
5. चांदनी रात और मैं अथवा चांद के साथ गप-शप
6. मेरी पहली यात्रा अथवा पहली पिकनिक
7. माँ! मैं भी दुनिया में आना चाहती हूँ अथवा बेटी पढ़ेगी तो दो घर सँवारेगी
8. वन तुम हो तो हम हैं अथवा पेड ही हैं हमारे प्राण
9. मेरी बचपन वाली दीपावली अथवा प्रिय शिक्षक की विदाई
10. यातायात चालान सब पर भारी अथवा पढ़-लिखकर भी मैं बेरोजगार
11. भारत के अंतरिक्ष की ओर बढ़ते कदम
2. कार्यालयी पत्र
कार्यालयी पत्र औपचारिक पत्र होते है। सरकारी ,गैर सरकारी, संदर्भों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को औपचारिक पत्र कहा जाता है। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन-व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों को को शामिल किया जाता है।
औपचारिक पत्रों के प्रकार-
1) सरकारी,अर्धसरकारी और व्यावसायिक संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र – इनकी विषयवस्तु प्रशासन,कार्यालय और व्यापार से संबंधित होती है। कार्यालयी पत्रों का प्रारूप एवं भाषा-शैली का स्वरूप निश्चित होता है।
2) सामान्य जीवन व्यवहार तथा अन्य विशिष्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र – ये पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों से संबद्ध अधिकारियों को लिखे जाते हैं। इनकी विषयवस्तु आम जीवन से संबद्ध होती है। इनके प्रारूप में स्थिति व संदर्भ के अऩुसार परिवर्तन हो सकता है।
ध्यान रखने योग्य बातें :-
⮚ सरकारी पत्र के शीर्ष पर कार्यालय,विभाग,या मंत्रालय का नाम व पता लिखा जाता है।
⮚ जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका नाम,पदनाम,पता आदि बाईं तरफ लिखा जाता है।
⮚ विषय शीर्षक के अंतर्गत संक्षेप में यह लिखा जाता है कि पत्र किस प्रयोजन के लिए लिखा जा रहा है।
⮚ विषय के बाद बाईं तरफ महोदय संबोधन लिखा जाता है।
⮚ पत्र के बाईं तरफ ही प्रेषक का पता और तारीख दी जाती है।
⮚ पत्र के अंत में भवदीय शब्द का प्रयोग अधोलेख के रूप में होता है।
⮚ भवदीय के नीचे पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में पत्र लिखने वाले का नाम मुद्रित होता है। नाम के नीचे पदनाम लिखा जाता है।
⮚ औपचारिक-पत्रों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) प्रार्थना-पत्र - जिन पत्रों में निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वे 'प्रार्थना-पत्र' कहलाते हैं। प्रार्थना पत्र में अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन आदि के लिए लिखे गए पत्र आते हैं। ये पत्र स्कुल के प्रधानाचार्य से लेकर किसी सरकारी विभाग के अधिकारी को भी लिखे जा सकते हैं।
(2) कार्यालयी-पत्र - जो पत्र कार्यालयी काम-काज के लिए लिखे जाते हैं, वे 'कार्यालयी-पत्र' कहलाते हैं। ये सरकारी अफसरों या अधिकारियों, स्कूल और कॉलेज के प्रधानाध्यापकों और प्राचार्यों को लिखे जाते हैं। इन पत्रों में डाक अधीक्षक, समाचार पत्र के सम्पादक, परिवहन विभाग, थाना प्रभारी, स्कूल प्रधानाचार्य आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।
(3) व्यावसायिक-पत्र - व्यवसाय में सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपयों के लेन-देन के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हें 'व्यवसायिक-पत्र' कहते हैं। इन पत्रों में दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।
औपचारिक-पत्र (प्रारूप) के निम्नलिखित सात अंग होते हैं -
(1) 'सेवा में' लिख कर, पत्र प्राप्तकर्ता का पदनाम तथा पता लिख कर पत्र की शुरुआत करें।
(2) विषय - जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें।
(3) संबोधन - जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/महोदया, माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें।
(4) विषय-वस्तु- इसे तीन अनुच्छेदों में लिखना चाहिए-
* पहला अनुच्छेद – "सविनय निवेदन यह है कि" से वाक्य आरंभ करना चाहिए, फिर अपनी समस्या या विषय के बारे में लिखें।
* दूसरा अनुच्छेद – इसमें विषय का विस्तार,विचार,सुझाव आदि लिखें।
* तीसरा अनुच्छेद – "आपसे विनम्र निवेदन है कि" लिख कर आप उनसे क्या अपेक्षा (उम्मीद) रखते हैं, उसे लिखें।
(5) हस्ताक्षर व नाम- धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीया, प्रार्थी लिखकर अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।
(6) प्रेषक का पता- शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड आदि।
(7) दिनांक।
औपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए-
* प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द) – श्रीमान, श्रीयुत, मान्यवर, महोदय आदि।
* अभिवादन – औपचारिक-पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।
* समाप्ति – आपका आज्ञाकारी शिष्य/आज्ञाकारिणी शिष्या, भवदीय/भवदीया, निवेदक/निवेदिका, शुभचिंतक, प्रार्थी आदि।
दूरदर्शन अधिकारी के नाम पत्र का उदाहरण :-
** अपने पसंदीदा कार्यक्रम की चर्चा करते हुए उस टी.वी चैनल के कार्यक्रम निदेशक को पत्र लिखकर कार्यक्रम को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए दो सुझाव दीजिए।
सेवा में,
निदेशक
दूरदर्शन केन्द्र
नई दिल्ली- 110001
विषय – कार्यक्रम को और अधिक रोचक बनाने हेतु सुझाव
महोदय,
मैं आपके केन्द्र से किशोरों के लिए प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का नियमित दर्शक हूँ। मुझे आपके चैनल से प्रसारित होने वाले अनेक कार्यक्रम पसंद हैं,जिनमें विज्ञान प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम विशेष रूप से प्रिय है।
युवाओं के लिए आने वाला यह कार्यक्रम अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं रोचक है।विभिन्न संस्थाओं के छात्र-छात्राओं का भाग लेना,आम जनता की सहभागिता और योग्य शिक्षकों द्वारा मार्गदर्शन देना बहुत अच्छा लगता है। इस कार्यक्रम को देखकर मेरी तथा मेरे जैसे अनेक छात्रों की विज्ञान में रूचि बढ़ी है।
इस कार्यक्रम को और भी रोचक बनाया जा सकता है,जिसके लिए मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूँ-
1. यह कार्यक्रम साप्ताहिक के स्थान पर दैनिक हो।
2. स्कूलों में भी आयोजित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के अंश दिखाए जाने से कार्यक्रम और भी रूचिकर बन सकता है।
धन्यवाद ।
भवदीय
क.ख.ग
परीक्षा भवन
06 अक्टूबर 2019
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आवेदन पत्र का उदाहरण
गाँधी जी के जीवन और दर्शन पर लगाई जाने वाली प्रदर्शनी में काम करने हेतु कुछ युवक-युवतियों की आवश्यकता है। व्यवस्थापक, गाँधी दर्शन,राजघाट, नई दिल्ली को स्ववृत्त का उल्लेख करते हुए एक आवेदन पत्र लिखिए।
सेवा में,
व्यवस्थापक
गाँधी दर्शन
राजघाट,नई दिल्ली
विषय- प्रदर्शनी में कार्य करने हेतु आवेदन-पत्र
महोदय,
मुझे दिनांक----- के दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ है कि आपके संस्थान द्वारा गाँधी जी के जीवन और दर्शन पर आधारित प्रदर्शनी लगाई जा रही है। इसके लिए कुछ युवक-युवतियों की आवश्यकता है। मैं इस प्रदर्शनी में काम करना चाहती हूँ क्योंकि गाँधी जी मेरे जीवन के आदर्श हैं। उनके दर्शन से मैं बहुत प्रभावित हूँ।आज की अनेक समस्याएँ गाँधी-दर्शन का पालन करने से समाप्त हो सकती हैं। आशा है आप मुजे इस प्रदर्शनी में काम करने का अवसर प्रदान करेंगें।
मेरा संक्षिप्त स्ववृत्त इस प्रकार है-
नाम क.ख.ग
पिता का नाम श्री अ.ब.स
माता का नाम श्रीमती य.र.ल
जन्मतिथि 20.9.1997
वर्तमान पता मकान संख्या -00,अबस कॉलोनी, कखग नगर
शैक्षिक योग्यताएँ-
क्रमांक कक्षा एवं वर्ष बोर्ड वि.वि विषय अंक प्रतिशत
1. दसवीं2014के.मा.शि.बोर्ड सभी अनिवार्य विषय 85
बारहवीं 2016 के.मा.शि.बोर्ड मानविकी 80
स्नातकपंजाब वि.वि मानविकी 82
विशेष रुचि – गाँधी दर्शन का विशेष अध्ययन ।
-विद्यालय एवं वि.वि स्तर पर भाषण प्रतियोगिताओं में सहभागिता ।
आवश्यक सभी प्रमाण-पत्रों की सत्यापित प्रतिलिपियाँ इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न हैं।
भवदीय,
क.ख.ग
परीक्षा भवन
07 अक्टूबर 2019 ****************
संपादक के नाम पत्र का उदाहरण
शहरों में भारी वाहन-चालक यातायात के नियमों की धज्जियाँ उड़ाते देखे जाते हैं। इस समस्या पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक समाचार पत्र,
दिल्ली ।
विषय – शहर में यातायात संबंधी अव्यवस्था के संबंध में ।
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र का नियमित पाठक हूँ। अपने इस पत्र के माध्यम से मैं प्रशासन का ध्यान शहर में यातायात की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।शहर के सभी चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें लगी हुई हैं,फिर भी वाहन चालक यातायात के नियमों की अनदेखी करते हैं और दुर्घटना का कारण बनते हैं। माल से भरे ट्रक तेज गति से ट्रक चलाते हैं। सीमा से अधिक माल उनके ट्रक में भरा होता है जिससे अक्सर दुर्घटनाएँ हो जाती है और बेकसूर लोगों की जान तक चली जाती है। प्रशासन से मेरा अनुरोध है कि इस प्रकार वाहन चलाने वाले चालकों को दंडित करे जिससे अन्य लोग भी इस प्रकार नियमों की अवहेलना नहीं करें।
आशा है आप मेरे इस पत्र को अपने समाचार पत्र में प्रकाशित कर प्रशासन और जनता तक मेरा संदेश पहुँचाएंगें।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
क.ख.ग
परीक्षा भवन
दिनांक- 5 अक्टूबर 2019
सर सामग्री का बैकग्राउंड रंग वाइट कीजिए . सामग्री पढने में आँखों पर ज्यादा जोर नही पढ़ेगा|
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