ghanshyamsharmahindi.blogspot.com

Saturday, 4 April 2020

E content raghuveer sahay

4. रघुवीर सहाय
(कैमरे में बंद अपाहिज)

    
मुख्य बिंदु – कविता का सारांश, काव्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न, पद्यांश पर आधारित काव्य सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्न, कविता की विषयवस्तु पर आधारित परीक्षोपयोगी प्रश्न |
कविता का सारांश-
इस कविता में कवि ने समाज तथा मीडिया का विकलांगों (दिव्यांगों) के प्रति रवैया बताया है। मीडिया तरह-तरह के व्यर्थ सवाल पूछकर उसकी पीड़ा को भुनाना चाहता है। दूरदर्शन कार्यक्रम संचालक उसके कष्टों को दूर करने बजाय उन्हें लोगों को सुनाकर सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं ताकि यह कार्यक्रम लोकप्रिय हो सके। इस तरह करुणा जगाने के मकसद से शुरु हुआ कार्यक्रम क्रूर बन जाता है तथा मीडिया की संवेदनहीनता का बोध कराती पंक्ति ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ इस कार्यक्रम की वास्तविकता को सामने ले आती है |
काव्यांश पर आधारित अर्थ ग्रहण सम्बन्धी प्रश्न
काव्यांश (1)
● निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें –
“हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएंगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्‍या अपाहिज हैं ?
तो आप क्‍यों अपाहिज हैं ?”

1. कवि और कविता का नाम लिखिए |
2. दूरदर्शन के संचालक स्वयं को कैसा मानते हैं ?
3. हम एक दुर्बल को लाएंगे – पंक्ति का व्‍यंग्‍यार्थ स्पष्ट कीजिए ?
4. कार्यक्रम संचालक क्या-क्या प्रश्न पूछता है ?

काव्यांश (2)
● निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें –
​​“हमें दोनों एक संग रुलाने हैं  
आप और वह दोनों
(कैमरा)
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
(परदे पर वक्त की कीमत है )
अब मुस्कराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गयी )
धन्यवाद |”
1 कैमरे वाले एक और कोशिश क्यों करना चाहते हैं ?
2 कैमरा एक साथ क्या करना चाहता है ?
3 परदे पर किसकी कीमत है और क्यों ?
4 दूरदर्शन वालों ने इस कार्यक्रम को कैसा बताया है ?

काव्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्न
काव्यांश (1)
● काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें –

“फिर हम परदे पर दिखलाएंगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिये
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं |”
1. काव्यांश में प्रयुक्त छंद कौन सा है ?
2. काव्यांश की भाषा-शैली पर टिप्पणी कीजिए।
3. काव्यांश के भाव सौंदर्य की विशेषताएँ लिखिए ?

काव्यांश (2)
● काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें –
​​  “हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
         आप और वह दोनों
         (कैमरा)
         बस करो
         नहीं हुआ
         रहने दो
         (परदे पर वक्त की कीमत है )
         अब मुस्कराएँगे हम
         आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
         ( बस थोड़ी ही कसर रह गयी )
          धन्यवाद |”
1 काव्यांश के शिल्प पक्ष पर टिप्पणी लिखिए
2 भाव सौन्दर्य स्पष्ट करें |
3 कोष्ठक में दिए गए शब्दों से कविता की भाषा में क्या विशेष प्रभाव उत्पन्न हुआ है ?
कविता की विषयवस्तु पर आधारित परीक्षोपयोगी प्रश्न :-  
(1) कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है – विचार कीजिए |
(2)  हम समर्थ शक्तिमान और हम एक दुर्बल को लाएंगे, पंक्ति के माध्यम से क्या व्यंग्य किया है ?
(3)  ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है ?
(4) दूरदर्शन पर एक अपाहिज का साक्षात्कार किस उद्देश्य से दिखाया जाता है?
(5) अंधे को अंधा कहना किस मानसिकता का परिचायक है?
(6) कविता में यह मनोवृत्ति किस प्रकार उद्घाटित हुई है?
(7) ‘हम समर्थ शक्तिवान एवं हम एक दुर्बल को लाएँगे’ में निहितार्थ स्पष्ट कीजिए।
(8) अपाहिज की शब्दहीन पीड़ा को मीडियाकर्मी किस प्रकार अभिव्यक्त कराना चाहता है?
(9) क्या मीडियाकर्मी सफल होता है‚ यदि नहीं तो क्यों?
(10) नाटकीय कविता की अंतिम परिणति किस रूप में होती है?
(11) दूरदर्शन पर प्रसारित होनेवाले कार्यक्रमों में सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त कीजिए |
(12) “कैमरे में बंद अपाहिज “ कविता व्यावसायिक दबाव के तहत एक व्यक्ति के संवेदनशील रवैये को प्रस्तुत करती है | समीक्षा कीजिए |
काव्यांश पर आधारित अर्थ ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर :-
काव्यांश (1)
उत्तर 1 कवि का नाम – रघुबीर सहाय  कविता का नाम कैमरे में बंद अपाहिज
उत्तर 2 दूरदर्शन के संचालक स्वयं को समर्थ, शक्तिवान समझते हैं |
उत्तर 3 प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने मीडिया की अहंवादी सोच पर व्यंग्य किया है जो स्वयं को सर्व शक्तिमान समझता है तथा आम आदमी को शक्तिहीन तथा असमर्थ |
 उत्तर 4 कार्यक्रम संचालक निम्नलिखित प्रश्न पूछता है –
‘तो आप क्‍या अपाहिज हैं?
   तो आप क्‍यों अपाहिज हैं ?
   आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा
   देता है ?
काव्यांश (2)
 उत्तर 1 कैमरे वाले एक और कोशिश इस लिए करना चाहते हैं ताकि इस बार वे अपाहिज की तस्वीर को अधिक सम्वेदनशील दिखा सकें जिससे अधिकाधिक दर्शक उनके साथ जुड़ सकें |
 उत्तर 2 कैमरा एक साथ अपाहिज और दर्शकों को रुलाना चाहता है |
 उत्तर 3 परदे पर वक्त की कीमत है क्योंकि उनके समय का एक एक पल पहले से कार्यक्रम के लिए निश्चित होता है |
 उत्तर 4 दूरदर्शन वालों ने इस कार्यक्रम को सामाजिक उद्देश्य से युक्त बताया है |
काव्यांश पर आधारित काव्य सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर
काव्यांश (2)
उत्तर 1 काव्यांश में मुक्त छंद का प्रयोग किया गया है |
उत्तर 2 खड़ी बोली में लिखित इस काव्यांश की भाषा सहज सरल तथा शैली नाटकीय है | व्यंग्य का पुट शानदार है | बिम्बों का प्रभावी प्रयोग हुआ है | कला पक्ष की सहज अभियक्ति से कविता जीवंत बन पड़ी है |
उत्तर 3 काव्यांश में कवि ने व्यंग्यात्मक ढंग से मीडिया और दूरदर्शन के चमक-दमक भरे वातावरण के पीछे काम कर रही व्यावसायिकता और अमानवीयता से पूर्ण मानसिकता का पर्दाफाश किया है | समाज का यह वर्ग असहायों की पीड़ा बेचकर लाभ कमाने और लोकप्रियता अर्जित करने से परहेज नहीं करता |


काव्यांश (3)
उत्तर 1  काव्यांश की भाषा सहज,सरल एवं प्रवाहमयी खड़ी बोली है जिसमें तत्सम,तद्भव एवं विदेशज शब्दों का प्रयोग है | मुक्त छंद तथा भावपूर्ण शैली का प्रयोग है |  
उत्तर 2  व्यंजना के माध्यम से कवि ऐसे अपाहिज व्यक्ति की ओर संकेत करता है जो अपनी वेदना अभिव्यक्त करना चाहता है और संवेदनहीन मीडियाकर्मी उसकी इस भावना को बेचकर धन कमाना चाहता है |ऐसे क्रूर कार्यक्रम को सामाजिक कार्यक्रम की संज्ञा देने में भी उन्हें कोई संकोच नही होता |
उत्तर 3  कोष्ठक में दिए गये शब्दों से कविता की भाषा में विशेष प्रभाव उत्पन्न हुआ है
क. नाटकीयता का प्रभाव विकसित करने में सहायक  
ख. विशेष निर्देशों का सरलता से स्पष्टीकरण
ग. कार्यक्रम को रुचिकर और आकर्षक बनाने में सहायक
कविता की विषयवस्तु पर आधारित परीक्षोपयोगी प्रश्नों के उत्तर :-
उत्तर (1) साधारण सी दिखने वाली इस कविता में गहरा अर्थ बोध है | मीडिया का संवेदनाहीन व्यवहार प्रस्तुत कविता का कथ्य है | कवि रघुवीर सहाय ने शारीरिक चुनौती झेल रहे लोगों की पीड़ा, यातना और वेदना को दूरदर्शन कार्यक्रम के माध्यम से समाज के समक्ष लाने की कोशिश की है पर कार्यक्रम संचालकों की व्यावसायिक सोच से इसका उद्देश्य पूर्णतया बदला दिखाई देता है | लाभ कमाना उनकी प्राथमिकता है, परदे पर वक्त की कीमत वो अच्छे से जानते हैं पर इंसान की भावनाएँ उनके लिए कोई मायने नहीं रखती | साक्षात्कारदाता दिव्यांग व्यक्ति से पूछे गए सवाल उनकी क्रूरता और संवेदनहीनता का ही प्रमाण हैं | अतः उपर्युक्त कथन सत्य है |
उत्तर (2) प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से यह व्यंग्य किया गया है कि मीडिया अपने आप को बहुत शक्तिशाली एवं समर्थ मानता है | कार्यक्रम का निर्माण उनकी मर्जी से ही होता है , किसी की मजबूरी और करुणा को भी वे बेच सकते हैं | प्रस्तुत कविता में भी जिस दुर्बल व्यक्ति की बात की गई है उसको भी मीडिया कर्मी द्वारा अपने अनुसार बात करने और व्यवहार करने पर बाध्य किया जाता है | मीडिया के लोगों को लगता है कि वे किसी का भी जीवन बना या बिगाड़ सकते हैं | यह उनकी अहंवादी सोच का परिचायक है |
उत्तर (3) पंक्ति का शाब्दिक अर्थ यह है कि टेलीविजन के परदे पर किसी कार्यक्रम को दिखाना काफी महंगा पड़ता है इसलिए समय महत्त्वपूर्ण होता है | दूसरी ओर प्रस्तुत कविता में प्रश्नकर्ता कार्यक्रम संचालक के प्रश्नों से यह बात स्पष्ट होती है कि अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना तथा अधिकाधिक पैसा कमाना उनकी प्राथमिकता है | वे दूरदर्शन के परदे एवं समय का इस्तेमाल अपने लाभ तथा लोकप्रियता पाने हेतु करना चाहते हैं | साक्षात्कारदाता के प्रति उनकी सहानुभूति बनावटी है तथा उसकी भावनाएँ उनके लिए कोई महत्व नही रखती | साक्षात्कार को बीच में ही रोक दिया जाना इसका प्रमाण माना जा सकता है |
उत्तर (4) दूरदर्शन पर एक अपाहिज का साक्षात्कार‚ व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिखाया जाता है।
उत्तर (5) अंधे को अंधा कहना‚ क्रूर और संवेदनशून्य मानसिकता का परिचायक है।
उत्तर (6) दूरदर्शन पर एक अपाहिज व्यक्ति को प्रदर्शन की वस्तु मान कर उसके मन की पीड़ा को कुरेदा जाता है‚ साक्षात्कारकर्ता को उसके निजी सुखदुख से कुछ लेना देना नहीं होता है।
उत्तर (7) साक्षात्कारकर्ता  स्वयं को पूर्ण मान कर‚ एक अपाहिज व्यक्ति को दुर्बल समझने का अहंकार पाले हुए है।
उत्तर (8) मीडियाकर्मी अपाहिज की लाल सूजी हुई आँखों को‚ पीड़ा की सांकेतिक अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है।
उत्तर (9) मीडियाकर्मी सफल नहीं होता क्योंकि प्रसारण समय समाप्त हो जाता है और प्रसारण समय के बाद यदि अपाहिज व्यक्ति रो भी देता तो उससे मीडियाकर्मी का व्यावसायिक उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता था उसलिए अब उसे अपाहिज व्यक्ति के आंसुओं में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
उत्तर (10) बार-बार प्रयास करने पर भी मीडियाकर्मी‚ अपाहिज व्यक्ति को रोता हुआ नहीं दिखा पाता । वह खीझ जाता है और खिसियानी मुस्कुराहट के साथ कार्यक्रम समाप्त कर देता है | ‘सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम’ शब्दों में व्यंग्य है, क्योंकि मीडिया के छद्म व्यावसायिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाती |
उत्तर (11) सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाए जानेवाले कार्यक्रमों में प्रस्तुतकर्ता में संवेदनशीलता का होना आवश्यक है | आजकल ऐसे कार्यक्रमों में व्यावसायिकता का बोलबाला दिखाई देता है | कार्यक्रम के संचालक केवल सनसनीखेज प्रस्तुति देकर दर्शकों को आकर्षित करना चाहते हैं जो सर्वथा अनुचित है |प्रचार माध्यम जनता को जागरूक बनाने के उद्देश्य से बनाए जाने चाहिए धन कमाने के उद्देश्य से नहीं |
उत्तर (12) यह कविता करूणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है | बाहरी तौर पर कार्यक्रम एक अपंग व्यक्ति के जीवन की समस्याओं से दर्शकों को दो–चार करवाने के उद्देश्य को लेकर चलता है पर संचालक महोदय का पूरा ध्यान दर्शकों की वाहवाही पाने में लगा रहता है | सस्ती भावुकता के लिए वह अपाहिज और दर्शकों दोनों को एक साथ रुलाना चाहता है इसके लिए वह हृदयहीन क्रूर प्रश्न पूछने से भी नहीं हिचकिचाता |

No comments:

Post a Comment

हर घर तिरंगा har ghar tiranga selfie my gov connect

  +91 93554 13636 *नमस्कार*   my gov connect द्वारा *हर घर तिरंगा* अभियान चलाया जा रहा है।      इसके अंतर्गत दिए गए नम्बर पर *Hi* लिखकर भेजे...