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Saturday, 4 April 2020

E content kunwar narayan

3. कुँवर नारायण
(कविता के बहाने / बात सीधी थी पर)

कविता के बहाने :-
● कविता का अर्थ एवं विशेषताएँ समझाने का प्रयास किया गया है ।
● कविता की तुलना एक चिड़िया से की गयी है ।
● फूलों एवं बच्चों से की है ।
● कविता का विस्तृत रूप बताते हुए उसे बच्चे की तरह पवित्र, असीमित एवं बिना भेद- भाव के बताया गया है।
काव्यांश के प्रश्न :-
“कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कवि‍ता का खिलना भला फूल क्या जाने !
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने ?”
1. कविता की तुलना फूलों से क्यों की गई है?
उत्तर :-क्योंकि फूल भी सुंदर होता है और कविता भी| फूल अपनी सुन्दरता से सबको आकर्षित करता है और कविता भी अपनी रस, अलंकार और शिल्प संबंधी सुंदरता के कारण सबको अच्छी लगती है|
2. कविता का खिलना फूल क्यों नहीं जान सकता ?
उत्तर :- क्योंकि फूल एक-दो दिन अर्थात् थोड़े समय के लिए ही खिलता है परंतु कविता एक बार खिलकर सदियों तक सभी को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है| फूल का खिलना एक सीमित स्थान पर ही होता है परन्तु कविता देश और काल की सीमाओं से परे होती है|
3. कवि और कविता का नाम लिखें |
उत्तर :- कवि – कुँवर नारायण, कविता – कविता के बहाने | 
काव्यगत सौन्दर्य-बोध प्रश्न :-
“कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर  भीतर
इस घर उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने”
1.भाषा सम्बन्धी विशेषताएं बताइए |
उत्तर :- मानक हिंदी भाषा, मुहावरों का प्रयोग – सब घर एक कर देना प्रतीक-चिड़िया
2.कविता की उड़ान का क्या अर्थ है ?
उत्तर :- कविता में कल्पना का महत्त्व बताया गया है| कल्पना की कोई समय अथवा स्थान की सीमा नहीं होती | इसलिए कविता की भी कोई सीमा नहीं होती|  
3.कविता के पंख किसके प्रतीक हैं ?
उत्तर :- कविता के पंख कवि की कल्पना शक्ति के प्रतीक हैं| कविता की असीमित उड़ान के प्रतीक हैं|
महत्त्वपूर्ण प्रश्न :-
1. चिड़िया की उड़ान एवं कविता की उड़ान में क्या समानता है?
उत्तर :- उपकरणों की समानता :- चिड़िया एक घोंसले का सृजन तिनके एकत्र करके करती है| कवि भी उसी प्रकार अनेक भावों एवं विचारों का संग्रह करके काव्य रचना करता है।क्षमता की समानता :- चिड़िया की उड़ान और कवि की कल्पना की उड़ान दोनों दूर तक जाती हैं|
2.  सबघर एक कर देने के माने क्या है ?
 उत्तर :- ' सब घर एक कर देने के माने ' यह है कि कविता जातिभेद, वर्ण–भेद, देश-परदेश को नहीं देखती | जिस प्रकार एक बच्चा अपने पराए का भेद  किए बिना उन घरों में भी खेलते-खेलते चला जाता  जिनसे उसके परिवार वालों की दुश्मनी है वैसे ही कविता पर भी सीमाओं का बंधन नहीं होता वह दो दुश्मन देशों के बीच एक ही भाव से पढ़ी भी जाती है | कविता भी दो देशों के लोगों के दिलों को जोड़ती है | इस प्रकार कविता और बच्चे के बीच कवि समानता देखता है |
3. चिड़िया की उड़ान और कविता की उड़ान में क्या अंतर है ?
उत्तर :- चिड़िया की  उड़ान और कविता की उड़ान में यह अंतर है कि चिड़िया की उड़ान की एक सीमा है जबकि कविता की उडान असीम एवं अनंत है  |
4. “कविता की उड़ान “ को चिड़िया क्यों नहीं जान सकती है ?
उत्तर :- चिड़िया की उड़ान सीमित होती है जबकि कवि की कल्पनाएँ असीमित अनंत होती है , इसलिए कविता चिड़िया की उड़ान को नहीं समझ सकती है |
5. चिड़िया और कविता के सन्दर्भ में इस घर, उस घर से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :- ‘इस घर’ से कवि का आशय लौकिक जगत से है एवं ‘उस घर’ से कवि का आशय अलौकिक जगत से है | चूँकि चिड़िया की उड़ान सीमित है, लौकिक जगत तक ही सीमित है किन्तु कविता की उड़ान असीमित व अलौकिक जगत तक है |
6. फूलों के खिलने और कविता में क्या समानता है ?
उत्तर :- फूल रंग बिरंगे व् सुंदर होते हैं, प्रकृति में अपनी छटा बिखेरते हैं | फूलों को देखकर ह्रदय प्रस्फुटित होता है, ठीक उसी प्रकार कवि के ह्रदय में विभिन्न भावों का आगमन होता है, जिन्हें वह कविता के माध्यम से व्यक्त करता है | कविता को पढ़कर पाठक को आनंद की प्राप्ति होती है |
7. ‘कविता का खिलना फूल क्या जाने’ -कवि ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर :- फूल सीमित समय के लिए खिलते हैं,जबकि कविता दीर्घ जीवी होती है | उसमें वर्णित भाव सदैव आनंद प्रदान करते हैं | इसलिए कविता का खिलना फूल नहीं जान सकता है |
8. बच्चों व कविता के सन्दर्भ में यह घर, वह घर का क्या अर्थ है ?
उत्तर :- कवि का आशय है कि बच्चे खेल-खेल में अपने-पराये घरों की सीमाएँ भूल जाते हैं | ओर खेलते हुए सभी घरों को एक कर देते हैं | कवि भी यही कार्य करता है , वह समाज को बाँधता है |
बात सीधी थी पर :-
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
● भाषा के महत्त्व को दिखाया गया है ।
● भाषा की तुलना एक शरारती बच्चे से की गई है।
● पेंच कसना, चूड़ी मरना आदि प्रतीकों का वर्णन किया है।
● आडंबरपूर्ण भाषा का प्रयोग करने से भाषा को समझना कठिन हो जाता है ।
काव्यांश के प्रश्न :-
​​​“बात सीधी थी पर एक बार
​​​भाषा के चक्कर में
​​​थोड़ी टेढ़ी फंस गई
​​​उसे पाने के चक्कर में  
​​​भाषा को उलटा- पलटा
​​​तोडा, मरोड़ा
​​​घुमाया फिराया
​​​कि बात या तो बने
​​​या फिर भाषा के चक्कर से बाहर आए
​​​लेकिन इससे भाषा के साथ-साथ
​​​बात और भी पेचीदा होती चली गई”
1.बात किसके चक्कर में फँस गई ?
उत्तर :- बात भाषा के चक्कर  में फँस गई| भाषा को चमकदार बनाने के चक्कर में बात का अर्थ उलझ गया|

2.कवि किसको पाने की कोशिश करता है ?
उत्तर :- कवि टेढ़ी फँसी बात को वापस पाने की कोशिश करता है | वह उलझी हुई बात को सुलझाने की कोशिश करता है|

3.बात बाहर निकलने की अपेक्षा कैसे हो गई ?
उत्तर :- भाषा के चक्कर से बाहर निकलने की अपेक्षा बात और ज्यादा उलझ गई | उसका अर्थ और क्लिष्ट हो गया

काव्यगत सौंदर्य-बोध :-
“आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी ।
हारकर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमे कसाव था
न ताकत।“
1 . कविता के भाव-सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए|
उत्तर :- क. कविता में सुंदरता के स्थान पर अर्थ को महत्त्व दिया गया है|
     ख. भाषा को अधिक सुंदर बनाने के चक्कर में कविता के अर्थ को नहीं भूलना चाहिए|
​ ग. कविता वही प्रभावशाली होती है जिसका अर्थ लोगों को प्रभावित करे|
     घ. कविता के शिल्प-सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए|
     ड़. मानक हिंदी भाषा का प्रयोग है|
     च. ‘ज़ोर-ज़बरदस्ती’ जैसे उर्दू शब्दों का प्रयोग है|
     छ. ‘बात की चूड़ी मर जाना’ जैसे अभिनव प्रयोग किए गए हैं|​​
महत्त्वपूर्ण प्रश्न :-
1. भाषा को सहूलियत से बरतने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर :- भाषा को सहूलियत से बरतने का अभिप्राय है -अपनी बात को सरल , सुग्राह्यता, और बिना अलंकारिकता के प्रयोग करना | इससे बात का भाव आसानी से समझ में आ जाता है | यही भाषा का उद्देश्य भी है |
2. ‘भाषा के चक्कर में, जरा टेढ़ी फँस गई’ का आशय स्पष्ट करो |
उत्तर :- ‘भाषा के चक्कर में , जरा टेढ़ी फँस गई’ का आशय यह है कि सीधी सरल बात को जबरदस्ती अलंकृत करके उसे उलझा दिया गया | 
3. ‘उसे पाने की कोशिश में’ यहाँ उसे शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है और क्यों?
उत्तर :- ‘उसे पाने की कोशिश में’ का अर्थ है बात को भाषा के चक्कर से बाहर निकालना और उसका सही अर्थ समझाना| बिना अर्थ के भाषा का कोई लाभ नहीं| केवल चमत्कारपूर्ण भाषा यदि कोई अर्थ स्पष्ट न करे तो वह बेकार है|  
4. कवि बात के बारे में क्या बताता है ?
उत्तर :- कवि कहता है की बात साधारण थी पर परंतु वह भाषा के चक्कर में जटिल हो गई | 
5. कवि ने बात को पाने क चक्कर में क्या क्या किया ?
उत्तर :- कवि ने बात का अर्थ समझने के लिए भाषा को घुमाया-फिराया ,उलटा-पलटा, तोड़ा- मरोड़ा | परिणाम स्वरूप बात और पेचीदा हो गई | 
6. ‘पेंच खोलने की बजाय कसना’- पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करो |
उत्तर :- पंक्ति का अर्थ है कि बात को स्पष्ट करने के बजाय उसे और उलझा दिया गया| पेंच खोलने का अर्थ है बात को सुलझाना| पेंच कसने का अर्थ है, उसे बिना सोचे-समझे और उलझाना| 
7. कवि ने करतब किसे कहा है ?
उत्तर :- कवि ने बात को बिना सोचे समझे उलझाने व कठिन बनाने को करतब कहा है | इससे कविता अलंकृत करने के चक्कर में बात कठिन हो गई |
8. ‘बात की चूड़ी मर जाना’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :- ‘बात की चूड़ी मर जाना’ से क्या तात्पर्य है – बात मे कसावट नहीं होना | सरल बात शब्दों के जाल में ऐसी उलझी की उसकी कसावट ही समाप्त हो गई | 
9 कवि के करतब का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर :- कवि ने भाषा को जितना ही बनावटी ढंग और शब्दों के जाल में उलझाकर लाग लपेट करने वाले शब्दों में कहा , सुनने वालों द्वारा उसे उतनी ही शाबाशी मिली | 

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