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Saturday, 4 April 2020

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12.धर्मवीर भारती
​​            (काले मेघा पानी दे)

महत्त्वपूर्ण बिंदु
● लोकजीवन के विश्वास और विज्ञान के तर्क पर आधारित निबंध |
● ग्रामीण धार्मिक एवं सामाजिक संस्कृति का वर्णन |
● किसानों की त्रासदी |
● अंधविश्वासों एवं रूढ़िवादिता का वर्णन |
प्रश्न 1- आशय स्पष्ट कीजिए-
 “ जेठ के दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत चुका होता पर क्षितिज में कहीं बादलों की रेख भी नजर नहीं आती|”
उत्तर : जेठ का महीना ,भीषण गर्मी के दस दिन बितकर आषाढ़ का महीना आधा बीत जाना , पानी के लिए तड़पना और वर्षा के लिए लोगों द्वारा आकाश को देखना परंतु बादलों का नजर न आना |
प्रश्न 2 इंदर सेना  सबसे  पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय  संस्कृति में क्या महत्त्व है?
उत्तर :  भारत  में गंगा नदी को विशेष सम्मान प्राप्त है। उसे माँ और देवी का दर्जा दिया जाता है। हर शुभ  कार्य में गंगाजल का प्रयोग किया जाता है।इसलिए इंदरसेना गंगा मैया की जय बोलती है। भारतीय संस्कृति में नदियों का बहुत महत्त्व है। इन्हीं के किनारे कई सभ्यताओं का जन्म हुआ। कई धार्मिक व सांस्कृतिक स्थल भी नदियों के तट पर विकसित हुए हैं। नदियों के  किनारे पर ही मेले लगते हैं। नदियों को मोक्षदायिनी माना जाता है।
प्रश्न 3 काले मेघा पानी दे पाठ में लेखक ने देशवासियों की किस मानसिकता की ओर संकेत किया है?
​​​​​​अथवा  
काले मेघा दल के दल उमडते है पर गगरी फूटी रह जाती है-आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :  लेखक कहता है कि देश में लोग हर समय मांग करते हैं,परंतु देश के लिए त्याग व समर्पण का भाव  नहीं है। उन्हें सिर्फ अपने हित सर्वोपरि लगते हैं। एक दूसरे के भ्रष्टाचार की आलोचना करते है।विकास के नाम पर अरबों रुपयों की योजनाएँ बनती हैं , बहुत पैसा खर्च होता है परंतु भ्रष्टाचार के कारण वह आम आदमी तक नहीं पहुँचता।उसकी हालत वैसी ही बनी रहती है।
प्रश्न 4 इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को जीजी ने किस प्रकार सही ठहराया?
उत्तर : i.पानी का अर्घ्य- कुछ पाने के लिए कुछ  चढावा देना पडता है। इंद्र को पानी का अर्घ्य चढाने से वे वर्षा करेंगे।
ii. त्याग की भावना से दान-जिस वस्तु की अधिक जरूरत है उसके दान से फल मिलता है।
iii. पानी की बुवाई- पानी को गलियों में बीज की तरह बोएँगे तब जाकर ही पानी की फसल(वर्षा) लहलहाएगी।    
पठित गद्यांश : 1  
​इन बातों को आज पचास से ज्यादा बरस होने को आए पर ज्यों की त्यों मन पर दर्ज है। कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती है, हम आज देश के लिए करते क्या है? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कही नाम निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चट्खारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते है पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे है। काले मेघा दल के दल उमडते है, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते है? आखिर कब बदलेग़ी यह स्थिति ?

1) कौन सी बात लेखक के मन पर ज्यों की त्यों दर्ज है और क्यों?
उत्तर : लेखक के मन पर यह बात ज्यों की त्यों दर्ज है, जो उनकी जीजी ने कही थी, कि पहले खुद ही देना पड़ता है, तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाते हैं। लेखक के मन में यह बात इसलिये दर्ज़ है क्योंकि उनकी जीजी ने पूरे विश्वास से कही थी।
2)  लेखक को देश संदर्भ में कौन सी बात कचोटती है?
उत्तर : लेखक को देश संदर्भ में यह बात कचोटती है कि हम आज देश के लिए करते क्या है? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कही नाम निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है।
3) अंतिम पंक्तियों में काले मेघा किसके प्रतीक है? सप्रमाण बताइए।
उत्तर : अंतिम पंक्तियों में काले मेघा लोक कल्याण के लिये सरकारों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रतीक हैं, परंतु भ्रश्टाचार के कारण उनका लाभ आम जन को नहीं मिल पाता। उदाहरण के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों का प्रचार तो बहुत होता है, परंतु वास्तव में वह सभी निर्धनों को नहीं मिल पाता।
4)  पानी बरसने पर भी गगरी क्यों फूटी रह जाती है? बैल क्यों प्यासे रह जाते है?
उत्तर : पानी बरसने पर भी गगरी इसलिये फूटी रह जाती है, क्योंकि हम उसका सदुपयोग और संरक्षण नहीं कर पाते। इसीलिये बैल प्यासे रह जाते हैं, अर्थात उनका लाभ नहीं मिल पाता।
पठित गद्यांश -2

इन बातों को आज पचास से ज्यादा बरस होने को आए पर ज्यों की त्यों मन पर दर्ज है। कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती है, हम आज देश के लिए करते क्या है? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कही नाम निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चट्खारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते है पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे है। काले मेघा दल के दल उमडते है, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे केपियासे रह जाते है? आखिर कब बदलेग़ी यह स्थिति ?

(क) कौन सी बात लेखक के मन पर ज्यों की त्यों दर्ज है और क्यों?
उत्तर : लेखक के मन पर यह बात ज्यों की त्यों दर्ज है, जो उनकी जीजी ने कही थी, कि पहले खुद ही देना पड़ता है, तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाते हैं। लेखक के मन में यह बात इसलिये दर्ज़ है क्योंकि उनकी जीजी ने पूरे विश्वास से कही थी।

(ख) लेखक को देश संदर्भ में कौन सी बात कचोटती है?
उत्तर : लेखक को देश संदर्भ में यह बात कचोटती है कि हम आज देश के लिए करते क्या है? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी है पर त्याग का कही नाम निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है।

(ग) अंतिम पंक्तियों में काले मेघा किसके प्रतीक है? सप्रमाण बताइए।
उत्तर : अंतिम पंक्तियों में काले मेघा लोक कल्याण के लिये सरकारों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रतीक हैं, परंतु भ्रष्टाचार के कारण उनका लाभ आम जन को नहीं मिल पाता। उदाहरण के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों का प्रचार तो बहुत होता है, परंतु वास्तव में वह सभी निर्धनों को नहीं मिल पाता।

(घ) पानी बरसने पर भी गगरी क्यों फूटी रह जाती है? बैल क्यों प्यासे रह जाते है?
उत्तर : पानी बरसने पर भी गगरी इसलिये फूटी रह जाती है, क्योंकि हम उसका सदुपयोग और संरक्षण नहीं कर पाते। इसीलिये बैल प्यासे रह जाते हैं, अर्थात उनका लाभ नहीं मिल पाता।

विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न :-
प्रश्न 1) लोगों ने लड़कों की टोली को इंद्र सेना अथवा मेंढक मंडली क्यों कहा ?
उत्तर:- यह नवयुवक अपने आप को इंद्र की सेना कहलाते थे अगर उन पर पानी गिराया जाएगा तो इंद्र भगवान प्रसन्न होगें और बदले में पानी की बरसात करेंगे | इनके मेंढक की तरह गली गली कीचड़ में लथपथ होकर कूदने के कारण कुछ लोग इनको मेंढक मंडली भी कहते हैं |
प्रश्न 2) जीजी ने इंद्र सेना पर पानी फैंकना उचित कैसे ठहराया ?
उत्तर:- अगर इंद्र सेना पर पानी फैकेंगे हो बदले में इंद्र देवता वर्षा करेगा कुछ पाने के लिए कुछ त्याग करना पड़ता है |
प्रश्न 3) ‘गगरी फूटी बैल प्यासा’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:- लेखक संकेत माध्यम से कहता है कि वर्षा के बिना खेती सुखी जा रही है | खेती के आधार कहे जाने वाले बैल पानी न पीने के कारण मरे जा रहे हैं |
प्रश्न 4) ‘पानी दे गुडधानी दे’- मेघों से पानी के साथ गुडधानी कि माँग क्यों की जा रही है ?
उत्तर:- यदि बादल बरसेंगे तो पानी मिलेगा, पानी से फसल पैदा होगी अत: गुड़धानी का दाता भी बादल या भगवान इंद्र है |

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