उत्तर कुंजी
नवोदय विद्यालय समिति
वार्षिक परीक्षा (2019-20)
कक्षा – 11
हिन्दी (केंद्रिक)
अधिकतम अंक : 80
प्रश्न संख्या
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उत्तर बिंदु
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निर्धारित अंक विभाजन
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खंड- क
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1
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अपठित गद्दयांश –
(1) शीर्षक – इंद्रियों पर संयम (अन्य संबन्धित शीर्षक भी स्वीकार्य
(2) आकर्षण – विकर्षण , स्वतंत्र – परतंत्र
(3) कल्पनाएँ असीम होती हैं और यदि मनुष्य अपनी इंद्रियों पर संयम न रखे तो इन कल्पनाओं को सच करने के लिए हम सपने देखने लगते है और यहीं से प्रलोभन आरंभ होता है और प्रलोभन पतन की ओर ले जाता है |
(4) इंद्रियों के स्वतंत्र होते ही मनुष्य की गुलामी शुरू हो जाती है और उसके वश में होकर सोचने समझने की शक्ति विकलांग हो जाती है |
(5) इंद्रियों को रोकने के लिए दबाव न बनाएँ बल्कि रुचि से उनका उपयोग करें अर्थात इंद्रियों को इस तरह संयम में रखें कि ये आपके इशारे पर चलें , आप इनके इशारों पर नहीं |
(6) सद्प्रवृत्ति से तात्पर्य है –शुभ और उत्तम वृत्ति | शोभनीय आचार,सद्व्यवहार आदि |
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(1) कवि ने ग्राम देवता किसान को कहा है |
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(2) क्योकि वह सोने चाँदी से नहीं बल्कि मिट्टी से प्यार करने वाला संतोषी
इंसान है |
(3) किसान मिट्टी में बीजों को बोता है दानों के रूप में मानों फसल जीवंत हो उठती है |
(4) किसान का छोटा सा निवास जन-कोलाहल से दूर रहता है | वहाँ चाहे सूर्य और चंद्रमा कि रोशनी न पहुंचे लेकिन एक जीवंतता विद्यमान रहती है
(5) क्योकि जिस प्रकार गंगा नदी जल देकर लोगों को जीवन देती है उसी तरह यह किसान का बहता पसीना भी गंगा जल की तरह पावन है जो लोगों को जीवन देता है |
(6) शीर्षक – ‘हे ग्राम देवता नमस्कार’
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अथवा
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(1) कवि ने प्रसिद्धि की चाह रखने वालों को अपनी बात सुनाई है | कवि उसे यह सब इसलिए कह रहा है क्योंकि प्रसिद्धि की चाह करने वाला केवल वह अकेला नहीं है,संसार में और भी व्यक्ति हैं जो यश पाना चाहते हैं |
(2) ‘पूजना पत्थर’ के माध्यम से कवि का तात्पर्य परिश्रम करने से है | परिश्रम करके यश पाने वाला अकेला तू ही नहीं है |
(3) लोग सफलता प्राप्त करने और यश प्राप्ति की चाह में दूसरों की चापलूसी करते हैं जिससे वे लोग किसी भी प्रकार उनका गुणगान करें |
(4) उन लोगों की नींद जो अपनी आँखों में प्रसिद्धि प्राप्त करने का सपना लेकर सोते हैं क्योंकि वे प्रतिफल अपने सपने को पूरा करने व होने की उम्मीद रखते हैं |
(5) लोग आने वाली सुबह अर्थात सुभाग्य की प्रतीक्षा करते हैं जिस समय उन्हें प्रसिद्धि रूपी सफलता प्राप्त होगी |
(6) कवि का आशय है कि चापलूसी की राह ही प्रसिद्धि पाने की एकमात्र राह नहीं है और भी कई राहें हैं जिन पर चलकर प्रसिद्धि व यश पाया जा सकता है अतः तू उनका वरण कर |
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खंड- ख
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3
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दिये गए चित्र को देखकर संबन्धित लेखन किया जाए |
विषयवस्तु – 3 अंक (अपने विचारों को लिखते हुये विषय को चित्र से जोड़ना)
भाषा – 1 अंक
कल्पनाशीलता – 1 अंक
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आरंभ एवं अंत की औपचारिकताएँ – 1 अंक
विषयवस्तु – 3 अंक
भाषा – 1 अंक
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कार्यवृत्त लिखते समय बिन्दुवार क्रम का ध्यान रखें तथा भाषा सरल एवं स्पष्ट हों |
अथवा
प्रतिवेदन लेखन में प्रत्यक्ष अनुभव को रोचक शैली में प्रस्तुत किया जाए | भाषा सरल एवं स्पष्ट होनी चाहिए |
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(1) अंतर्व्यैक्तिक संचार दो व्यक्तियों के मध्य होता है | दो मित्रों की बातचीत, पिता-पुत्र, माँ-बेटी, या अन्य किसी परिचित-अपरिचित से बातचीत इसी कोटि के अंतर्गत आती है |नौकरी के लिए दिया गया साक्षात्कार भी अंतर्व्यैक्तिक संचार का उदाहरण है |
(2) 15 अगस्त 1965 से आकाशवाणी के ही अंतर्गत विधिवत रूप से टेलीविज़न सेवा प्रारम्भ हुई |
(3) जनसंचार के प्रमुख कार्य हैं – सूचना देना, शिक्षित करना, मनोरंजन करना, एजेंडा तय करना, निगरानी करना, विचार-विमर्श के लिए मंच तैयार करना |
(4) महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, मदनमोहन मालवीय, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, गणेश शंकर विद्यार्थी आदि |
(5) इंटरनेट में प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविज़न, किताब, सिनेमा, यहाँ तक कि पुस्तकालय के भी सारे गुण मौजूद हैं | यह एक अंतर क्रियात्मक (इंटेरेक्टिव) माध्यम है |
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(1) किसी एक भाषा या एकाधिक भाषाओं के शब्दों और उनसे जुड़ी सूचनाओं का व्यवस्थित संकलन को शब्दकोश कहते हैं भाषा कोश तीन प्रकार के होते हैं वर्णनात्मक,ऐतिहासिक, और तुलनात्मक |
(2) अध्यापक स्वयं देखें |
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खंड ग
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(1) कवयित्री सामाजिक,सांस्कृतिक और प्रकृतिक परिवेश को व्यक्ति के प्रयासों के द्वारा बचाना चाहती है |
(2) कवयित्री का मानना है कि आज का युग ऐसा बन गया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति दूसरे पर अविश्वास करने लगा है | हर कोई संदेह के घेरे मे दिखने लगा है |
(3) कवयित्री धूमिल पड़ती आदिवासी समाज की संस्कृति एवं अस्तित्व को जीवित रखना चाहती है |प्रकृति के विनाश के कारण विस्थापित आदिवासी जतियों के फिर से अपनी मिट्टी से जोड़ना चाहती है |
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अथवा
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(1) आज़ादी प्राप्त कर लेने के बाद तय हुआ था कि प्रत्येक घर को रोशनी देने के लिए सुख-सुविधा रूपी चिराग निश्चित रूप से प्रदान किए जाएंगे
(2) कवि के अनुसार आज तो यह स्थिति है कि हर घर को तो क्या पूरे शहर को रोशनी देने के लिए एक चिराग भी नहीं है |
(3) कवि के अनुसार वृक्षों को इसलिए लगाया जाता है ताकि हमें धूप न लगे किन्तु दुर्भाग्यवश आज़ादी प्राप्ति के बाद भी हमे जिनसे आशा थी उन शासन व्यवस्था से जुड़े लोगों से कुछ भी सुख-सुकून प्राप्त नहीं हो रहा है |
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(1) जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को काटता है परंतु उसमें निहित अग्नि जो निराकार है , को नहीं काट सकता, ठीक उसी प्रकार शरीर नश्वर है लेकिन आत्मा अमर है जिसे कोई नष्ट नहीं कर सकता |
(2) साधुक्क्डी भाषा, उदाहरण अलंकार, काष्ट, अग्नि, अंतरि आदि तत्सम शब्दों का प्रयोग | पद तुकांत हैं |
(3) दोहा छंद का प्रयोग है
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(1) इसके द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि इस परिवार कि परंपरा देश के प्रति कर्तव्य निभाने की है | भवानी ने देश के लिए जेल जाकर इसी पुरानी परंपरा का निर्वाह किया है |
(2) मुट्ठियाँ भींचकर राह जाना का अर्थ होता है- क्रोधवश कसमसाकर रह जाना | व्यक्ति को अन्याय, अत्याचार को देखकर क्रोध आता है | वह उसके विरुद्ध संघर्ष करना चाहता है किन्तु भय, विवशता अथवा अकेला होने की वजह से कुछ कर नहीं पता है |वह केवल कसमसाकर रह जाता है | समाज और व्यक्ति के लिए यह बुरी स्थिति है |
(3) संथाली आदिवासियों की भाषा संथाली है | वे दैनिक व्यवहार में जिस संथाली भाषा का प्रयोग करते हैं , उसमें उनके राज्य झारखंड की पहचान झलकती है | उनकी भाषा से यह पता लग जाता है कि वे किस राज्य के हैं |
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(1) स्पीति की पहाड़ियों की ऊंचाई के विचार हैं कि उनकी ऊंचाई के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि इनकी ऊंचाई से होड लगाना मृत्यु है लेकिन उसकी इच्छा है कि इन पहाड़ों के अहंकार को भी तोड़ना चाहिए |
(2) लेखक देश और दुनिया के युवक-युवतियों का आह्वान करता है कि वे स्पीति जैसे दुर्गम स्थल पर आएं | पहले अपने अहंकार का त्याग करें और फिर इन चोटियों पर चढ़कर उनका मान-मर्दन करें |
(3) स्पीति कि चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं | अगर युवक-युवतियाँ आकार किल्लोल करें तो ये हर्षित हो सकती हैं |
(4) पाठ- स्पीति में बारिश लेखक – d`".kukFk
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(1) इस कथन में गाँव की निम्न मान्यताओं को ओर संकेत किया गया है -1- ब्राह्मण टोले का शिल्पकर टोले में उठना बैठना नहीं होता था |
2- काम-काज के लिए जाने पर भी खड़े-खड़े ही बातचीत निपटा
ली जाती थी |
3- ब्राह्मण टोले के लोगों को बैठने के लिए कहना उनकी मर्यादा
के विरुद्ध समझा जाता था |
4- निर्धनता के कारण गरीब लोगों को अपने पैतृक व्यवसाय को
चुनने की विवशता थी |
(2) जामुन का पेड़ लेखक की एक हास्य व्यंग्य कहानी है जिसमें
कार्यालयी कार्य पद्धति की निरर्थकता के साथ-साथ व्यवस्था के संवेदनशून्य और अमानवीय पक्ष को उजागर किया गया है इसके अतिरिक्त एक दूसरे पर टालने की प्रवृत्ति और कार्यालयों के चक्कर में व्यथ समय बिताने की परंपरा को भी उजागर किया गया है |
(3) वकील न्यायिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के साथ-साथ सत्य को असत्य बनाने की सच्चाई को उजागर करते हैं | वकील इस सत्य को भी पुष्ट करते हैं कि धन के बल पर उन्हें खरीदा जा सकता है | बाहर कि भीड़ उन तमाशबीनों की तरह है जो भीड़ को देखकर साथ देते हैं और उन्हें जिस दिशा में हांक दिया जाता है वह उसी ओर चल देती है |
(4) संपादक अमित के उदाहरण के आधार पर एक अच्छा सा लेख तैयार करके पी।टी॰आई॰ के द्वारा एक साथ सभी अखबारों के लिए प्रसारित करवा देता है | उसके साथ ही वह यह सूचना भी प्रकाशित करवाता है कि नियत तारीख को अभिभावकों कि इस संबंध में एक मीटिंग होगी जिससे यह सूचना ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच जाती है |
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(1) चित्रपट संगीत में प्रयोगधर्मिता है | फिल्मी संगीतकर जहां शास्त्रीय संगीत के रगों को अपनाते हैं, वहीं लोक संगीत की अपार विपुल सामाग्री का भी बेझिझक उपयोग अपने चित्रपर संगीत में करते हैं |उसमें लचकता होती है | इसमें प्रायः आधे तालों का प्रयोग होता है | द्रुतलय तथा चपलता इसका प्रमुख गुणधर्म है |
शास्त्रीय संगीत में गंभीरता अपेक्षित होती है | उसमें ताल अपने परिष्कृत रूप में प्रयुक्त होता है वे नए प्रयोगों मे रुचि नहीं दिखते, बल्कि कर्मकांड को अवसश्यकता से अधिक महत्व देते हैं |
(2) 1-तातुश का बेबी को नौकरनी न मानकर अपनी बेटी की तरह मानना
2- उसकी सभी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना |
3- उसके खाने-पीने का भी ध्यान रखना
4-बीमार होने पर उसकी दवा आदि का ख्याल रखना |
5 उसे पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करना |
6-उसके बच्चो की पढ़ाई एवं खाने पीने का ध्यान रखना
7-बेबी को लेखन के क्षेत्र में आगे बढ्ने के लिए प्रोत्साहित करना ,अपने मित्रों से उसके लिखे की जांच करना एवं मार्गदर्शन करना
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(1) निबंधात्मक प्रश्नों के उत्तर की जांच अध्यापक स्वविवेक से करें |
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