हिन्दी विषय समिति की बैठक
उद्देश्य :
सत्र के उपरांत प्रतिभागी विषय समिति की बैठक के बारे में बता पाएँगे
विषय समिति की बैठक के उद्देश्यों के बारे में बता पाएँगे
विषय समिति बैठक में शामिल किए जाने वाले विषयों के बारे में बता पाएँगे
विषय समिति के समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका जान पाएँगे
विधि :
चर्चा मिश्रित व्याख्यान
मूल्यांकन गतिविधि : प्रतिभागी कंप्यूटर / फ्लिप चार्ट द्वारा प्रस्तुति देंगे
हिन्दी विषय समिति की बैठक प्रतिमाह अंतिम कार्यदिवस पर आयोजित की जाती है।
विषय समिति की बैठक में हिंदी पढ़ाने वाले सभी प्राथमिक शिक्षक (यदि संभव हो सके तो),प्र.स्ना.शि.हिंदी, प्र.स्ना.शि.संस्कृत एवं स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी एक साथ बैठें एवं आवश्यकता पड़ने पर अन्य विषयों के शिक्षकों को भी ज्ञानात्मक विमर्श हेतु सम्मिलित करें। सभी अपने अनुभव सांझा करें, आत्मावलोकन करें तथा एक दूसरे के शिक्षण को बेहतर बनाने में अपना सकारात्मक योगदान दें।
हिंदी शिक्षक का दायित्व है विद्यार्थी में भाषा- कौशल ,अभिव्यक्ति क्षमता एवं व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास करना। इस उद्देश्य की प्राप्ति कैसे हो,इन पर विषय- समिति बैठक में चर्चा की जाए। कक्षा में शिक्षक की प्रस्तुति आदर्श होनी चाहिए। डायरी में इसकी योजना बनाई जाए।
लिखने – पढ़ने में कमज़ोर बच्चों का ज़िक्र किया जाए । उनसे कहाँ, कौन –सी गलतियाँ हो रहीं हैं, उन पर चर्चा की जाए तथा उनकी कमियों को सुधारने के लिए योजना बनाई जाए। अगली बैठक में कार्यान्वयन के नतीजे का आकलन किया जाए ।
शिक्षण में नवाचार एवं नए प्रयोगों पर सब मिलकर अपने –अपने सुझाव दें, नए शिक्षण तकनीक के वीडियो ऑनलाइन देखें । एक–दूसरे के आदर्श पाठ प्रस्तुति से शिक्षण को प्रभावशाली, रोचक एवं बेहतर बनाने के लिए सूत्र सीखेँ ।
विभिन्न पाठों के लिए अलग-अलग शिक्षण –विधि तय करे। परियोजना एवं समूह कार्य का प्रारूप तय किया जाना चाहिए ।
अगले माह में किए जाने वाले कार्यों की वरीयतावार योजना बनाई जाए। गत माह में किए गए कार्यों की प्रतिपुष्टि ली जाए तथा उन पर विचार भी किया जाए ।
परीक्षाफल का प्रश्नवार विश्लेषण करें। अगले प्रश्नपत्र का पाठ्यक्रम ,प्रारूप एवं अंक योजना तय करें ।
बच्चों में सृजनात्मकता, भाषा–कौशल ,साहित्यिक अभिरुचि के विकास के लिए योजना बनाएँ,सुझावों का आदान–प्रदान करें ।
सी.बी.एस.ई., राजभाषा, के.वि.एस. से समय –समय पर प्राप्त पत्रों एवं निर्देशों की चर्चा करके उनके कार्यान्वयन की योजना बनाई जानी चाहिए ।
प्रार्थना–सभा, पाठ्यसहगामी क्रिया –कलापों की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ ही बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास के लिए रणनीति तैयार की जाए।
उद्देश्य :
सत्र के उपरांत प्रतिभागी विषय समिति की बैठक के बारे में बता पाएँगे
विषय समिति की बैठक के उद्देश्यों के बारे में बता पाएँगे
विषय समिति बैठक में शामिल किए जाने वाले विषयों के बारे में बता पाएँगे
विषय समिति के समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका जान पाएँगे
विधि :
चर्चा मिश्रित व्याख्यान
मूल्यांकन गतिविधि : प्रतिभागी कंप्यूटर / फ्लिप चार्ट द्वारा प्रस्तुति देंगे
हिन्दी विषय समिति की बैठक प्रतिमाह अंतिम कार्यदिवस पर आयोजित की जाती है।
विषय समिति की बैठक में हिंदी पढ़ाने वाले सभी प्राथमिक शिक्षक (यदि संभव हो सके तो),प्र.स्ना.शि.हिंदी, प्र.स्ना.शि.संस्कृत एवं स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी एक साथ बैठें एवं आवश्यकता पड़ने पर अन्य विषयों के शिक्षकों को भी ज्ञानात्मक विमर्श हेतु सम्मिलित करें। सभी अपने अनुभव सांझा करें, आत्मावलोकन करें तथा एक दूसरे के शिक्षण को बेहतर बनाने में अपना सकारात्मक योगदान दें।
हिंदी शिक्षक का दायित्व है विद्यार्थी में भाषा- कौशल ,अभिव्यक्ति क्षमता एवं व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास करना। इस उद्देश्य की प्राप्ति कैसे हो,इन पर विषय- समिति बैठक में चर्चा की जाए। कक्षा में शिक्षक की प्रस्तुति आदर्श होनी चाहिए। डायरी में इसकी योजना बनाई जाए।
लिखने – पढ़ने में कमज़ोर बच्चों का ज़िक्र किया जाए । उनसे कहाँ, कौन –सी गलतियाँ हो रहीं हैं, उन पर चर्चा की जाए तथा उनकी कमियों को सुधारने के लिए योजना बनाई जाए। अगली बैठक में कार्यान्वयन के नतीजे का आकलन किया जाए ।
शिक्षण में नवाचार एवं नए प्रयोगों पर सब मिलकर अपने –अपने सुझाव दें, नए शिक्षण तकनीक के वीडियो ऑनलाइन देखें । एक–दूसरे के आदर्श पाठ प्रस्तुति से शिक्षण को प्रभावशाली, रोचक एवं बेहतर बनाने के लिए सूत्र सीखेँ ।
विभिन्न पाठों के लिए अलग-अलग शिक्षण –विधि तय करे। परियोजना एवं समूह कार्य का प्रारूप तय किया जाना चाहिए ।
अगले माह में किए जाने वाले कार्यों की वरीयतावार योजना बनाई जाए। गत माह में किए गए कार्यों की प्रतिपुष्टि ली जाए तथा उन पर विचार भी किया जाए ।
परीक्षाफल का प्रश्नवार विश्लेषण करें। अगले प्रश्नपत्र का पाठ्यक्रम ,प्रारूप एवं अंक योजना तय करें ।
बच्चों में सृजनात्मकता, भाषा–कौशल ,साहित्यिक अभिरुचि के विकास के लिए योजना बनाएँ,सुझावों का आदान–प्रदान करें ।
सी.बी.एस.ई., राजभाषा, के.वि.एस. से समय –समय पर प्राप्त पत्रों एवं निर्देशों की चर्चा करके उनके कार्यान्वयन की योजना बनाई जानी चाहिए ।
प्रार्थना–सभा, पाठ्यसहगामी क्रिया –कलापों की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ ही बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास के लिए रणनीति तैयार की जाए।
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