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Saturday 22 February 2020

१२ प्रश्न - आत्मपरिचय , पतंग, कैमरे में बंद अपाहिज

आत्मपरिचय (हरिवंशराय बच्चन)

1. कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ – विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है
उत्तर:- कवि आम व्यक्ति से अलग नहीं है तथा सुख-दुःखहानि-लाभ को झेलते हुए वह अपनी यात्रा पूरी कर रहा है। कवि संसार के दायित्व को भार समझता है। वह सांसारिक कष्टों की ओर ध्यान नहीं देता बल्कि वह संसार की चिंताओं के प्रति सजग है। वह अपनी कविता के माध्यम से संसार को भारहीन और कष्टमुक्त करना चाहता है।
2. ‘जहाँ पर दाना रहते हैंवहीं नादान भी होते हैं‘ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा
उत्तर:- जहाँ पर दाना रहते हैंवहीं नादान भी होते हैं’ – पंक्ति के माध्यम से कवि कहते है कि मनुष्य सांसारिक मायाजाल में उलझ गया है और वह अपने मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य को भूल गया है। कवि सत्य की खोज के लिएअहंकार को त्याग कर नई सोच अपनाने पर जोर दे रहा है।
3. मैं औरऔर जग और कहाँ का नाता – पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए।
उत्तर:- यहाँ ‘और’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
• पहले ‘और’ में कवि स्वयं को आम आदमी से अलग बताता है।
• दूसरे ‘और’ के प्रयोग में संसार की विशिष्टता को बताया गया है।
• तीसरे ‘और’ के प्रयोग संसार और कवि में किसी तरह के संबंध को नहीं दर्शाने के लिए किया गया है।
4. शीतल वाणी में आग – के होने का क्या अभिप्राय है
उत्तर:- कवि ने यहाँ विरोधाभास अलंकार का प्रयोग किया है। इस का आशय यह है कि कवि अपनी शीतल और मधुर आवाज में भी जोशआत्मविश्वाससाहसदृढ़ता जैसी भावनाएँ बनाए रखते हैं ताकि वह लोगों को जागृत कर सके।
5. बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे
उत्तर:- पक्षी दिनभर भोजन की तलाश में भटकते हैं। उनके बच्चे दिनभर उनकी प्रतीक्षा में रहते हैं। शाम को उनके लौटने के समय बच्चे कुछ पाने की आशा में घोंसलों से झाँक रहे होंगे।
6. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है
उत्तर:- दिन जल्दी-जल्दी ढलता है-की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने वाले मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। गंतव्य का स्मरण पथिक के कदमों में स्फूर्ति भर देता है।

पतंग (आलोक धन्वा )

1. ‘सबसे तेज़ बौछारें गयींभादो गया‘ े बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया हैउसका वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर:- पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा बच्चों की बाल सुलभ इच्छाओं और उमंगों तथा प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत सुन्दर चित्रण किया है। भादों मास गुजर जाने के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। धूप के कारण चारों ओर उज्ज्वल चमक बिखर जाती है। हवाओं में एक मनोरम महक फैल जाती है। शरद ऋतु के आगमन से उत्साह एवं उमंग का माहौल बन जाता है।
2. सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज़सबसे पतला कागज़सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है
उत्तर:- पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज़सबसेपतला कागज़सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग कर कवि पाठकों मन में जिज्ञासा जगाना चाहते है तथा पतंग की ओर आकर्षित करना चाहते हैं।
3. बिंब स्पष्ट करें –
सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया 
सवेरा हुआ 
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा 
शरद आया पुलों को पार करते हुए 
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए 
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से 
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और 
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए 
कि पतंग ऊपर उठ सके।
उत्तर:- • तेज़ बौछारें = दृश्य (गतिशील) बिंब
• सवेरा हुआ = दृश्य (स्थिर) बिंब
• खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा = दृश्य (स्थिर) बिंब
• पुलों को पार करते हुए = दृश्य (गतिशील) बिंब
• अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए= दृश्य (गतिशील) बिंब
• घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से = श्रव्य बिंब
• चमकीले इशारों से बुलाते हुए = दृश्य (गतिशील) बिंब
• आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए = स्पर्श बिंब
• पतंग ऊपर उठ सके = दृश्य (स्थिर) बिंब
4. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास – कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है।
उत्तर:- बच्चों के पैर कपास की तरह नरममुलायमहलके-फुलके और चोट खाने में समर्थ होते हैं। इसीलिए वे पूरे दिन नाच-कूद करते रहते हैं।
5. पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं – बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है
उत्तर:- पतंग उड़ाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं। जिस प्रकार पतंग आकाश में उडती हुई ऊँचाइयाँ छूती हैउसी प्रकार बच्चें भी जैसे छतों पर डोलते हैं। वे किसी भी खतरे से बिलकुल बेखबर होते हैं। एक संगीतमय ताल पर उनके शरीर हवा में लहराते हैं जैसे वे खुद एक पतंग हो गए हैं।
6. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़ कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए। 
क) छतों को भी नरम बनाते हुए 
    दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों  से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।
1. दिशाओं को मृंदग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?
2. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है?
3. खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महससू करते हैं
उत्तर:- 1. ‘दिशाओं को मृदंग की बजाते हुए’ का तात्पर्य संगीतमय वातावरण की सृष्टि से है।
2. नहींजब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए छत कठोर नहीं लगती।
3. खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को सक्षम महसूस करते हैं।
7. आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे खयाल आते हैंलिखिए
उत्तर:- आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर मुझे मन होता है कि मैं पंछी बन स्वच्छन्द नभ में उड़ता फिरूँ।
8. ‘रोमांचित शरीर का संगी‘ ा जीवन के लय से क्या संबंध है
उत्तर:- जब हम किसी कार्य को करने में मग्न हो जाते हैं तब हमारा शरीर जैसे उस कार्य की लय में डूब जाता है इसीलिए कहा गया है – ‘रोमांचित शरीर का संगीत’।

कैमरे में बंद अपाहिज (रघुवीर सहाय)

1. कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं – आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है?
उत्तर:- कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं। ये कोष्ठक कवि के मुख्य भाव को व्यक्त करते हैं। इन में लिखी पंक्तियों के माध्यम से अलग-अलग लोगों को संबोधित किया गया है। 
जैसे –  कैमरा मैन के लिए –
• कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा
• कैमरा ………की किमत है।
दर्शकों के लिए –
• हम खुद इशारे से बताएँगे क्या ऐसा?
• यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा
अपंग व्यक्ति को –
• वह अवसर खो देंगे?
• बस थोड़ी कसर रह गई।
इस प्रकार के कोष्ठक कविता के उद्देश्य को अभिव्यक्ति प्रदान करने में सहायक होते हैं।

2. कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है – विचार कीजिए।
उत्तर:- दूरदर्शन पर एक अपाहिज का साक्षात्कार‚ व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिखाया जाता है। दूरदर्शन पर एक अपाहिज व्यक्ति को प्रदर्शन की वस्तु मान कर उसके मन की पीड़ा को कुरेदा जाता है‚ साक्षात्कारकर्ता को उसके निजी सुख दुख से कुछ लेना-देना नहीं होता है। यहाँ पर कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकतर कार्यक्रम केवल संवेदनशीलता का दिखावा करते हैं।
3. हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर:- हम समर्थ शक्तिवान’ के माध्यम से कवि ने मीडियाकर्मियों पर व्यंग किया है जो स्वयं को पूर्ण मान कर‚ एक अपाहिज व्यक्ति को दुर्बल समझने का अहंकार पाले हुए हैं।
हम एक दुर्बल को लाएँगे’ के माध्यम से लाचारी का भाव प्रदर्शित होता है। साक्षात्कारकर्ता किसी भी बेबस और लाचार व्यक्ति को लाकर उससे तरह-तरह के सवाल पूछकर उसका तमाशा बना सकता है।
4. यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शकदोनों एक साथ रोने लगेंगेतो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर:- यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शकदोनों एक साथ रोने लगेंगेतो उससे प्रश्नकर्ता लोगों का ध्यान कार्यक्रम की तरफ़ आकर्षित कर पाएगा। उनका कार्यक्रम देखने के लिए लोग प्रेरित होगें। प्रसारण समय में रोचक सामग्री परोस पाना ही मीडिया कर्मियों का एकमात्र उद्देश्य होता है।
5. परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है?
उत्तर:- प्रसारण समय में रोचक सामग्री परोस पाना ही मीडिया कर्मियों का एकमात्र उद्देश्य होता है। प्रसारण के समय में वे कार्यक्रम को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए सभी हथकंडे आजमा लेते हैं। उन्हें किसी की पीड़ा को कम नहीं बल्कि बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की आदत होती है। मीडियाकर्मी को व्यावसायिक उद्देश्य पूरा करने से सरोकार रहता है। उनका सामाजिक सरोकार या पीड़ा को दिखाना मात्र एक दिखावा होता हैं।
6. यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएँगी?
उत्तर:- ये मेरे मित्र प्रकाशजी हैं जो मेरे पड़ोसी है। जन्म से ये अपाहिज है किन्तु इन्होंने कभी भी इस को अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया बल्कि पढ़ाईकंप्यूटर आदि क्षेत्र में अपनी उम्र के अन्य छात्रों से आगे निकल गए हैं। जिससे वे अपना जीवन आत्मनिर्भर होकर जी सके।
7. सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगाअपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर:- सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर मुझे कार्यकर्ता के अमानवीय व्यवहार पर घिन आएगी और पीड़ित के मनोभाव समझकर मुझे दुखद अनुभूति होगी।
8. यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर:-
सेवा में
निदेशक
दूरदर्शन प्रसार समिति
नई दिल्ली
महोदय
मैं आपका ध्यान समझौता नामक कार्यक्रम की ओर दिलाना चाहता हूँ। आप इसमें समाज के विभिन्न वर्ग व उनकी समस्याओं को दिखाते हैं। परंतु इस कार्यक्रम को बनाते वक्त आप पीड़ित की भावनाओं की अवहेलना करते हैं। कई बार उपहास किया जाता हैं। अगर आप उनकी समस्या का समाधान नहीं कर सकते तो ठीक हैं परंतु उनके अस्तित्व को हानि न पहुँचाए।
आशा हैआप इस कार्यक्रम में उचित सुधार करेंगे।

1 comment:

  1. आपके सद्प्रयास की सराहना करता हूँ।

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