9. उमाशंकर जोशी
(छोटा मेरा खेत / बगुलों के पंख)
महत्त्वपूर्ण बिंदु (छोटा मेरा खेत) :-
● खेती के रूपक द्वारा काव्य रचना प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है |
● काव्य की रचना बीज बोने से लेकर पौधे विकसित होने के विभिन्न चरणों से गुजरती है |
● कवि कर्म की फसल कालजयी और शास्तव होती है |
● कविता का आनंद कभी कम नहीं होता |
● छोटा मेरा खेत का रूपक - खेत- कागज़ का पन्ना, बीज- कल्पना, पल्लव- कल्पना के शब्द |
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहाँ से आया
क्षण का बीज यहाँ बोया गया
कल्पना के रसायन को पी
बीज गल गया निशेष : शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव पुष्पों से नमित हुआ विशेष
प्रश्न (क) छोटा मेरा खेत किसका प्रतीक हैं ?
उत्तर : कवि कागज़ के पन्ने को अपना छोटा खेत मानता है| जिस प्रकार किसान खेत में खेती करता है और फसल प्राप्त करता है उसी प्रकार कवि कागज़ के पन्ने पर अपने विचारों की खेती करता है और कविता रुपी फसल प्राप्त करता है| इस प्रकार छोटा मेरा खेत कागज़ के पन्ने का प्रतीक है|
प्रश्न (ख) कवि खेत में कौन-सा बीज बोता है ?
उत्तर : कवि खेत में कल्पना का बीज बोता है| वह अपनी कल्पना को अपने छोटे से खेत अर्थात कागज़ के पन्ने पर शब्दों के माध्यम से उतारता है|
प्रश्न (ग) कवि की कल्पना से कौन-से पल्लव अंकुरित हुए ?
उत्तर : कल्पना के बीज से शब्द के पल्लव अंकुरित हुए| वे शब्द मिलकर कविता की फसल तैयार करते हैं|
सौन्दर्य बोध सम्बन्धी प्रश्न :-
“झूमने लगे फल
रस अलौकिक
अमृत धाराएँ फूटती
रोपाई क्षण की
कटाई अनन्तता की
लूटते रहने से ज़रा भी कम नहीं होती |
रस का अक्षय पात्र सदा का”
प्रश्न- (क) भाषा संबंधी विशेषताएं बताइए _
उत्तर – 1. प्रतीकात्मकता
2. लाक्षणिकता
3. रूपक अलंकार – रस का अक्षय पात्र
प्रश्न- (ख) रस अलौकिक, अमृत धाराएँ, रोपाई अर्थ-सौन्दर्य स्पष्ट करें ?
उत्तर - रस अलौकिक- काव्य रस
अमृत धाराएँ – काव्य का आनंद
रोपाई- अनुभूति को शब्दबद्ध करना
विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न –
1. छोटा मेरा खेत के रूपक को स्पष्ट कीजिये |
उत्तर- पन्ना – खेत ,भावना का आवेग – अंधड़ , विषय/ भाव – बीज , कल्पना – रसायन , शब्द – अंकुर, कविता का सौन्दर्य – पल्लव पुष्प , रस – फल , आनंद – अमृत धाराएँ |
2. आशय स्पष्ट कीजिये – रोपाई क्षण की , कटाई अनंतता की
उत्तर- जब कभी भावनाओं का ज्वार कवि के मन में आता है तो एक क्षण में कविता की रचना शुरू हो जाती है और उसके रस का आनंद पाठकों को अनंतकाल तक मिलता है |
3. उमा शंकर जोशी ने किस भाषा में कविताएँ लिखी ?
उत्तर- गुजराती
4. कृषि कर्म और कवि कर्म में क्या समानताएँ हैं ?
उत्तर - i. कागज के पन्ने पर शब्दबद्ध होते हैं, कवि को पन्ना खेत लगता है |
ii. आँधी रूपी विचार बीज के सामान बिखरते हैं |
iii. कल्पना का सहारा लेकर कविता विकसित होती है इसी प्रकार बीज भी खाद, पानी, हवा लेकर विकसित होता है |
(बगुलों के पंख)
● दृश्य बिम्ब की कविता
● चित्रात्मक वर्णन द्वारा कवि ने काले बादलों पर उडती बगुलों की श्वेत पंकित का मनोहारी वर्णन किया है |
● बगुलों की श्वेत पंकित का दृश्य कवि के हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ता है |
● कवि आत्म विस्मृति की स्थिति तक पहुँच जाता है |
काव्यांश के प्रश्न
“नभ में पाँती बँधे बगुलों के पंख
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें|
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया
तैरती सांझ की सतेज श्वेत काया|”
प्रश्न (क) इस कविता में किसका चित्रण है ?
उत्तर:- काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्रण है| यह इतनी सुंदर है कि कवि अपना सबकुछ भूलकर इसमें खो गया है|
प्रश्न (ख) आँख चुराने का क्या अर्थ है ?
उत्तर :- एक टक देखना, मंत्रमुग्ध करना अर्थात अपनी सुन्दरता से अभिभूत कर लेना|
प्रश्न (ग) ‘उसे कोई तनिक रोक रखो’ से क्या भाव है ?
उत्तर :- कवि काले बादलों में उड़ते बगुलों को रोक कर रखने की गुहार लगाता है| वह उसे थोड़ी देर तक निहारना चाहता है, उसकी सुंदरता का आनंद लेना चाहता है|
सौन्दर्य बोध सम्बन्धी प्रश्न :-
प्रश्न- 1 कविता को भाषा संबंधी विशेषताएँ
उत्तर:- क) चित्रात्मक भाषा
ख) बोलचाल के शब्दों का प्रयोग
प्रश्न- 2 कविता में प्रयुक्त अलंकार चुने –
उत्तर :- अनुप्रास – बंधे बगुलों के पंख
मानवीकरण – चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें |
प्रश्न- 3 ‘निज माया’ के लाक्षणिक अर्थ को स्पष्ट कीजिए-
उत्तर :- प्रकृति का सौन्दर्य वह माया है जो कवि को आत्मविभोर कर देती है | वह उसकी सुंदरता में अपना सबकुछ भूल जाता है|
“नभ में पाँती बंधे बगुलों के पंख-
चुराये लिए जाती वे मेरी आँखें,
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया-
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया,
हौले-हौले जाती मुझे बाँध निज माया से”
(1) काव्यांश की भाषा शैली पर टिप्प्णी कीजिए।
उत्तर :- सरल, सहज खड़ी बोली, तत्सम शब्दावली, प्रसाद एवं माधुर्य गुण, अभिधा शब्द शक्ति
(2) काव्यांश की अलंकार योजना को सोदाहरण समझाइए |
उत्तर :- पुनरुक्ति-प्रकाश अलंकार है क्योंकि समय की धीमी किंतु निरंतर गति पर बल देने के लिए ‘हौले’ शब्द का लगातार दो बार प्रयोग और यह प्रयोग अन्य कोई अर्थ नहीं देता ।
(3) काव्य- पंक्तियों का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- कवि ढलती जा रही शाम की सुंदरता पर मोहित हो गया है, वह साँझ के आसमान में उड़ते बगुलों की पंक्तियों को शाम का साकार गतिमान रूप देता है और चाहता है कि यह दृश्य ठहर जाए ।
विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न :-
1 ‘चुराए लिए जाती है वे मेरी आँखें’- से कवि का क्या तात्पर्य हैं ?
उत्तर :- कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्र अंकित किया है | कवि के अनुसार यह दृश्य उसकी आँखें चुराए लिए जा रहा है | वह उसे देखने के लोभ से बच नहीं पा रहा इसलिए उसे रोकने की गुहार लगाता है|
2 कवि किस माया से बचने की बात कहता है ?
उत्तर :- काले बादलों में बगुलों की सुन्दरता अपना माया जाल फैला कर कवि को अपने वश में कर रही है | वह उसे देखने के लोभ से बच नहीं पा रहा इसलिए उससे बचने की बात कहता है|
3 कवि किस माया से बचने की बात कहता है?
उत्तर :- माया विश्व को अपने आकर्षण में बाँध लेने के लिए प्रसिद्ध है | कबीर ने भी ‘माया महा ठगिनी हम जानी’ कहकर माया की शक्ति को प्रतिपादित किया है | काले बादलों में बगुलों की सुंदरता अपना माया जाल फैला कर कवि को अपने वश में कर रही है |
4 ‘चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :-चित्रात्मक वर्णन द्वारा कवि ने एक ओर काले बादलों पर उड़ती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्र अंकित किया है तथा इस अप्रतिम दृश्य के हृदय पर पड़ने वाले प्रभाव को चित्रित किया है। कवि के अनुसार यह दृश्य उनकी आँखें चुराए लिए जा रहा है |मंत्र मुग्ध कवि इस दृश्य के प्रभाव से आत्म विस्मृति की स्थिति तक पहुँच जाता है।
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