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Saturday, 4 April 2020

E content raziya Sajjad zaheer

15.रज़िया सज्जाद जहीर
​​​​​​   (नमक)

पाठ का सार-(मुख्य बिंदु)
* नमक कहानी भारत-पाक विभाजन के कारण विस्थापित हुए लोगों के दिलों में बसी भावनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति करती है |
* सफिया की मुलाक़ात जब सिख बीबी से होती है तो वे अपना वतन लाहौर को बताते हुए सफिया से विदाई लेते समय उसे थोड़ा सा लाहौरी नमक लाने का अनुरोध करती है |
* लेखिका लाहौर में 15 दिन तक रुकी और वहाँ से वापस आते वक्त उनके सामने जो सबसे बड़ी समस्या आती है वह है नमक की पुड़िया को लेकर ,क्योंकि नमक ले जाना गैरकानूनी है पर लेखिका किसी भी प्रकार यह भेंट अपनी माँ स्वरूप सिख बीबी लेकर जाना चाहती है |
* नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था कि वह नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए | 
पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है | पर जब कस्टम की जांच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नही ले जाएगी |
* जब सफ़िया ने कस्टम अधिकारी को सारी बात कह सुनाई तो अधिकारी ने उसे बताया कि मेरा वतन तो दिल्ली है |
*  लेखिका की रेल अटारी से चलकर अमृतसर जा पहुँची | तब कस्टम वालों ने उसके सामान की जाँच की वहाँ एक बंगाली कस्टम अफसर था | साफिया से हुई बातचीत से उसे पता चला कि उनका वतन ढाका है |
* सफ़िया अंत में वतन की बात ही सोचती रह जाती है कि किसका वतन कहाँ है –कस्टम के इस तरफ या उस तरफ |

पठित गद्यांश : 1
​“उन्होंने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ सरकाना शुरू किया | जब सफिया की बात ख़त्म हो गयी तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों से उठाया,अच्छी तरह लपेटा और खुद सफ़िया के बैग में रख दिया | बैग सफ़िया को देते हुए बोले, ‘’मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि क़ानून हैरान रह जाता है |’’वह चलने लगी तो वे भी खड़े हो गए और कहने लगे ‘’जामा मस्जिद की सीढ़ियों मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और दिल्ली मेरा,तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा|”

(क) कहानी में नमक की पुड़िया इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों हो गयी है ?
उत्तर- कहानी का मुख्य कथा बिंदु ही नमक की पुड़िया है | उसी को भारत लाने के प्रयास में      ​समस्त कहानी का ताना बाना बुना गया है | अतः नमक की पुड़िया इतनी महत्त्वपूर्ण हो ​गई है |
(ख) सफ़िया ने कस्टम अफसर को इस पुड़िया के बारे में क्या बताया होगा ?
उत्तर- सफ़िया ने कस्टम अफसर को यह बताया होगा कि लाहौर के नमक को पुड़िया को बतौर ​मुहब्बत के प्रतीक के रूप में दिल्ली ले जा रही हूँ | यह पुड़िया उस सिख बीबी के लिए   ​उपहार ​है जो आज भी लाहौर को अपना वतन मानती है |
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-‘’मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि क़ानून हैरान रह ​जाता ​है|’’
उत्तर- मुहब्बत की भावना में बड़ा दम होता है | किसी भी देश के कस्टम का कोई क़ानून उसके ​सामने विवश होकर रह जाता है|मुहब्बत के सब कायल होते हैं | 
(घ) कस्टम अधिकारी के कथन-सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा’ से आप कहाँ तक सहमत हैं ? ​क्यों?
उत्तर- आम भारतवासी और पकिस्तानवासी की यह कामना है कि धीरे-धीरे सब स्थिति सामान्य ​हो जाएगी,पर राजनीतिज्ञ यह कभी होने नहीं देंगे | वे दो मुँही राजनीति का खेल खेलते ​हैं | स्थिति सामान्य होने पर वे अपनी राजनीतिक रोटियाँ नहीं सेंक पाएँगे |अतः हमें ​वर्तमान परिस्थितियों में सब कुछ ठीक होता हुआ नहीं लगता |

पाठ पर आधारित प्रश्न :- 
प्र.1 –नमक कहानी का उद्देश्य क्या है ?
               अथवा 
नमक कहानी की मूल संवेदना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए |
उत्तर- नमक कहानी की मूल संवेदना या मूल उद्देश्य मानवीय संवेदनाओं का यथार्थ चित्रण करना है | यह कहानी भारत-पाक विभाजन के कारण विस्थापित हुए लोगों के दिलों में बसी भावनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति करती है |आज भी इन लोगों के मन में अपने जन्म स्थान के प्रति असीम प्यार समाया हुआ है | उसे याद करके वे अतीत की मधुर स्मृतियों में खो जाते हैं | मानवीय संवेदनाएँ मानवीय रिश्तों पर आधारित होती है जैसा कि इस कहानी में सिख बीबी और सफ़िया के संबंध में दिखाई देता है | इन भावनाओं को राजनीति से कुछ लेना-देना नही है| 
प्र.2-सफ़िया के भाई ने उसे नमक ले जाने से क्यों मना कर दिया ?
उत्तर- सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था | पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था | उसके अनुसार अगर कस्टम की जांच के समय नमक की पुड़िया साफिया के सामान से निकल आयी तो कस्टम वाले उसके सामान की चिंदी-चिंदी बिखेर देंगे | नमक की पुड़िया तो जा नही पाएगी और ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी |
प्र.3-‘नमक कहानी में भारत और पाक की आम जनता में आरोपित दूरियों के बीच प्यार का नमक भी घुला हुआ है |’ तर्क सहित उत्तर दीजिए |
उत्तर- भारत-पाक का विभाजन इतिहास में एक त्रासदी था | राजनैतिक निर्णय का दुष्परिणाम जनता को भोगना पड़ा और भारत पाक के बीच सरहद की रेखा  खींच दी गयी | जनता के ऊपर भेदभाव आरोपित कर दिए गए थे, जबकि दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का जज्बा था | अभी भी अपनी जन्म भूमि के प्रति उनका मोह कम नही हुआ है | अभी भी यह नमकीन स्वाद उनकी रगों में घुला हुआ है | नमकीन स्वाद मीठे से ज्यादा असरदार होता है | नमक का फर्ज जिम्मेदारी और निष्ठा को दर्शाता है इस स्वाद में अपनापन होता है | यहाँ लाहौरी नमक को माध्यम बनाकर इस मुब्ब्बत की भावना को उजागर किया गया है | दोनों देशों के लोग अभी भी मुहब्बत की नजर से एक-दूसरे को देखते हैं |
प्र.4- मानचित्र पर लकीर खींच देने मात्र से जमीन और जनता बंट नही जाती है-‘नमक’ कहानी के आलोक में उदाहरणों के माध्यम से इस कथन की पुष्टि कीजिए |
                             अथवा 
‘सीमाएँ बंट जाने से दिल नहीं बंट सकते’ , ‘नमक’ कहानी में इस बात को किस तरह सिद्ध किया​गया है ?
​​​​​अथवा 
‘जमीन पर खींची गयी विभाजन की रेखाएँ अभी तक लोगों के अंतर्मन तक नहीं पहुँच पायी है |’ ‘नमक’ कहानी को दृष्टि में रखते हुए उपर्युक्त कथन की पुष्टि कीजिए |
उत्तर- राजनैतिक कारणों से मानचित्र पर एक लकीर खींचकर एक देश को दो भागों में बाँट दिया जाता है | नेता कहते हैं कि इससे जमीन और जनता का बंटवारा हो गया पर उनका यह कथन झूठ का पुलिंदा मात्र है | मानचित्र पर लकीर खींच देने  मात्र से जमीन और जनता नहीं बंट जाती | मानचित्र पर खींची गयी इस लकीर को लोगों ने अंतर्मन से स्वीकार नहीं किया | राजनैतिक यथार्थ के स्तर पर उनके वतन की पहचान भले ही बदल गयी हो किन्तु यह उनका हार्दिक यथार्थ नहीं बन पाया | एक बाध्यता ने उन्हें विस्थापित भले ही कर दिया हो, पर वह उनके दिलों पर कब्ज़ा नहीं कर पायी है | जनता के दिल न आज तक बंटें हैं और न बंटेंगे | सभी का अपनी जन्म स्थली से गहरा लगाव है –यह उदाहरण हमें पाठ में सिख बीबी ,कस्टम अधिकारियों से मिलता है जो अभी तक अपना वतन क्रमशः लाहौर,दिल्ली और ढाका को मानते हैं | यह दर्शाता है कि जमीन पर खींची गयी विभाजन की रेखाएँ अभी तक लोगों के अंतर्मन तक नहीं पहुँच पायी हैं | यही इस कहानी का सन्देश भी है |
प्र.5- नमक ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वन्द था ?
उत्तर- नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वन्द था कि वह इस नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए | पहले नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है | तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी | इस टोकरी के नीचे क्या है ये तो सिर्फ वही जानती है | पर जब कस्टम की जाँच के लिए सामान बाहर निकाला जाने लगा तब अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी | वह नमक की पुड़िया को कस्टमवालों को दिखाएगी और उसने आगे भी ऐसा ही किया |

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