इकाई पाठ – योजना
• कक्षा – नवमीं
• पुस्तक – क्षितिज (भाग-१)
• विषय-वस्तु – कविता
• प्रकरण – ‘ चंद्र गहना से लौटती बेर’
शिक्षण- उद्देश्य :-
1. ज्ञानात्मक –
1. कविता का रसास्वादन करना।
2. कविता की विशेषताओं की सूची बनाना।
3. कविता की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई कविता से संबद्ध करना।
4. अलंकारों के प्रयोग के बारे में जानकारी देना।
5. नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना।
6. साहित्य के पद्य –विधा (कविता) की जानकारी देना।
7. छात्रों को कवि एवं उनके साहित्यिक जीवन के बारे में जानकारी देना।
8. प्राकृतिक सौंदर्य, मानवीय राग और प्रेमभाव से परिचित कराना।
2. कौशलात्मक -
1. स्वयं कविता लिखने की योग्यता का विकास करना।
2. प्रकृति से संबंधित कविताओं की तुलना अन्य कविताओं से करना।
3. शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन में अंतर समझाना।
3. बोधात्मक –
1. प्राकृतिक सौंदर्य एवं जीव-जगत के व्यवहार पर प्रकाशडालना।
2. रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना।
3. कविता में वर्णित भावों को हॄदयंगम करना।
4. प्रकृति तथा जीव-जंतुओं के प्रति आसक्ति –भाव जागृत करना।
4. प्रयोगात्मक –
1. कविता के भाव को अपने दैनिक जीवन के व्यवहार के संदर्भ में जोड़कर देखना।
2. इस कविता की तुलना अन्य कवियों की रचनाओं से करना ।
3. कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखना।
सहायक शिक्षण – सामग्री:-
1. चाक , डस्टर आदि।
2. पावर प्वाइंट के द्वारा पाठ की प्रस्तुति।
पूर्व ज्ञान:-
1. कविता - रचना के बारे में ज्ञान है।
2. अलंकार का प्रारंभिक ज्ञान है।
3. प्रकृति के विभिन्न उपादानों की महत्ता से अवगत हैं।
4. साहित्यिक-लेख की थोड़ी-बहुत जानकारी है।
5. सामाजिक व्यवहार से वाक़िफ़ हैं।
6. ग्रामीण जीवन से परिचित हैं।
7. मानवीय स्वभाव एवं जीव-जंतुओं के व्यवहार की जानकारी है।
प्रस्तावना – प्रश्न :-
1. बच्चो! क्या आपने प्रकृति से संबंधित कविता पढ़ी है?
2. क्या आपने ‘केदारनाथ अग्रवाल’ की कोई रचना पढ़ी है?
3. प्रकृति के विभिन्न उपादानों के प्रति आप अपना व्यवहार किस तरह प्रकट करते हैं?
4. प्रकृति का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
उद्देश्य कथन :- बच्चो! आज हम कवि ‘केदारनाथ अग्रवाल’ के द्वारा रचित प्रकृति से संबंधित कविता‘ चंद्र गहना से लौटती बेर’ का अध्ययन करेंगे।
पाठ की इकाइयाँ—
प्रथम अन्विति— ( देख आया…………वह भी लहरियाँ)
• खेत की मेड़ पर बैठ खेतों की सुन्दरता का आनंद लेना।
• चना, अलसी और सरसों का वर्णन।
• शहर की तुलना गाँव के सौंदर्य से करना।
द्वितीय अन्विति :- ( एक चाँदी का …………चुप्पे-चुप्पे)
• पोखर में सूरज का प्रतिबिम्ब।
• बगुले की चंचलता।
• कवि की स्वछंदता।
• चित्रकूट की पहाड़ियों तथा पेड़ों का वर्णन।
• तोते और सारस की मधुर ध्वनि।
शिक्षण विधि :-
क्रमांक
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अध्यापक - क्रिया
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छात्र - क्रिया
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१.
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कविता का केन्द्रीय भाव :-संकलित कविता में कवि का प्रकॄति के प्रति गहरा अनुराग व्यक्त हुआ है। वह चंद्र गहना नामक स्थन से लौट रहा है।लौटते हुए उसके किसान मन को खेत-खलिहान एवं उनका प्राकृतिक परिवेश सहज आकर्षित कर लेता है।इस कविता में कवि की उस सृजनात्मक कल्पना कीअभिव्यक्ति है जो साधारण चीज़ों भी असाधारण सौंदर्य देखती है और उस सौंदर्य को शहरी विकास की तीव्र गति के बीच भी अपनी संवेदना में सुरक्षित रखना चाहती है।यहाँ प्रकृति और संस्कृति की एकता व्यक्त हुई है।
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कविता को ध्यानपूर्वक पढ़्ना और सुनना तथा समझने का प्रयत्न करना। साथ हीअपनी शंकाओं तथा जिज्ञासाओं का निराकरण करना।
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२.
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कवि-परिचय :- ‘ केदारनाथ अग्रवाल ’ ( १९११-२०००) एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्य की पद्य विधा में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। वे प्रगति वादी विचारधारा के प्रमुख कवि माने जाते हैं। जनसामान्य का संघर्ष और प्रकृति सौंदर्य उनकी कविताओं का मुख्य प्रतिपाद्य है।उनके यहाँप्रकृति का यथार्थवादी रूप व्यक्त हुआ है जिसमें शब्दों का सौंदर्य है, ध्वनियों की धारा है और स्थपत्य की कला। संगीतात्मकता उनके काव्य की एक अन्यतम विशेषता है। क्दार कविता की भाषा को लोकभाषा के निकट लाते हैं और ग्रामीण जावन से जुड़े बिम्बों को आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करते हैं।
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कवि के बारे में आवश्यक जानकारियाँ अपनी अभ्यास –पुस्तिका में लिखना।
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३.
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शिक्षक के द्वारा पाठ का उच्च स्वर में पठन करना।
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उच्चारण एवं पठन – शैली को ध्यान सेसुनना।
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४.
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कविता के पदों की व्याख्या करना।
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कविता को हॄदयंगम करने की क्षमता को विकसित करने के लिए कविता को ध्यान सेसुनना। कविता से संबधित अपनी जिज्ञासाओं का निराकरण करना।
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५.
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कठिन शब्दों के अर्थ :-
ठिगना – नाटा , मुरैठा – पगड़ी , हठीली – जिद्दी
फाग – होली के आसपास गाया जाने वाला लोकगीत
पोखर – छोटा तालाब , चट – तुरंत , चटुल – चतुर
जुगुल – युगल , रींवा – बबूल के जैसा पेड़
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छात्रों द्वारा शब्दों के अर्थ अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखना।
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६.
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छात्रों द्वारा पठित पदों में होने वाले उच्चारण संबधी अशुद्धियों को दूर करना।
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छात्रों द्वारा पठन।
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७.
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कविता में आए व्याकरण का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना।
• मुहावरों का वाक्य-प्रयोग
• रूपक अलंकार
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व्याकरण के इन अंगों के नियम, प्रयोग एवंउदाहरण को अभ्यास-पुस्तिका में लिखना।
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गृह – कार्य :-
1. कविता का सही उच्चारण के साथ उच्च स्वर मेँ पठन करना।
2. पाठ के प्रश्न – अभ्यास करना।
3. कविता का केन्द्रीय भाव संक्षेप में लिखना।
4. पाठ में आए कठिन शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करना।
परियोजना कार्य :-
1. ‘केदारनाथ अग्रवाल’ की कविताओं का संग्रह करना।
2. प्रकॄति या मानवीय राग और अनुराग से संबंधित एक कविता लिखना।
3. सुमित्रानंदन पंत , निराला , केदारनाथ सिंह की बादल परलिखी कविताओं का संग्रह कीजिए।
मूल्यांकन :-
निम्न विधियों से मूल्यांकन किया जाएगा :-
1. पाठ्य-पुस्तक के बोधात्मक प्रश्न—
o निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं – धूल, पेड़,नदी, लताताल।
o सरसों को सयानी कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?
o अलसी के लिए ‘हठीली’ का प्रयोग क्यों किया गया है?
o कविता में आए रूपक अलंकारों के उदाहरण ढूँढकर लिखिए।
o कविता के आधार पर ‘हरे चने’ का सौंदर्य अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
o अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए।।
2. इकाई परीक्षाएँ
3. गृह – कार्य
4. परियोजना - कार्य
विषय - शिक्षक के हस्ताक्षर प्राचार्य के हस्ताक्षर
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