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Sunday, 5 April 2020

अपठित काव्यांश कक्षा -12 with prashn

अपठित काव्यांश 
कक्षा-12 

1॰ काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 
नया प्रात है ,नई बात है |
नयी किरण है , ज्योति नई 
नई उमंगे , नई तरंगे 
नई आस है , साँस नई |
युग-युग के मुरझे सुमनों में नई-नई मुस्कान भरो |
उठो धरा के अमर सपूतों पुन: नया निर्माण करो |
डाल डाल पर बैठ विहग कुछ 
नए स्वरों में गाते है 
गुन-गुन , गुन-गुन करते भँवरे 
मस्त उधर मँडराते है 
नवयुग की नूतन वीणा में नया राग नवगान भरो |
उठो धरा के अमर सपूतों पुन: नया निर्माण करो |

(1) कवि नवयुग के लिए कैसे गान की अपेक्षा करता है ?
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(2) नई-नई मुस्कान भरने से कवि का क्या तात्पर्य है ?
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(3) कवि किन-किन के नएपन की बात काव्यांश में कर रहा है ?
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(4) कवि नव वीणा में नया राग क्यों भरना चाहता है ?
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(5) काव्यांश का उचित शीर्षक दीजिए |
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अपठित काव्यांश  
कक्षा-12 

2. काव्यांश  को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 
छिप-छिप अश्रु बहाने वालो !
मोती व्यर्थ लुटाने वालो !
कुछ सपनों के मर जाने से 
जीवन नहीं मरा करता है |
सपने क्या है ? नयन-सेज पर 
सोया हुआ आँख का पानी ,
और टूटना है उसका ज्यों 
जागे कच्ची नींद जवानी ,
गीली उम्र बनाने वालो !
दुबे बिना नहाने वालो !
कुछ पानी के बह जाने से 
सावन नहीं मरा करता है |

(1) कवि छिप-छिप कर आँसू बहाने वालों को क्या संदेश देता है ?
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(2) कवि के अनुसार सपना क्या है ?
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(3) सावन किसके समाप्त होने से नहीं मरता ?
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(4) “जागे कच्ची नींद जवानी” से कवि का क्या तात्पर्य है ?
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(5) काव्यांश का केंद्रीय भाव दो-तीन पंक्तियों में लिखिए |
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         अपठित काव्यांश 
        कक्षा-12
3. काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 
      यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम से कम मत बोओ |
है अगम चेतना की घाटी , कमजोर बड़ा मानव का मन 
ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन 
ज्वालाएं जब घुल जाती है , खुल-खुल जाते है मुंदे नयन
होकर निर्मलता में प्रशांत , बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन 
संकट में यदि मुस्का न सको , भय से कातर हो मत रोओ 
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम से कम मत बोओ |

(1) फूल और काँटे बोने का प्रतीकार्थ क्या है ?
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(2) मन किन स्थितियों में अशांत होता है और कैसी स्थितियाँ उसे शांत कर देती है ?
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(3) संकट आ पडने पर मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए और क्यों ?
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(4) मन में कटुता कैसे आती है और वह कैसे दूर हो जाती है ?
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(5) काव्यांश  का उचित शीर्षक दीजिए |
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   अपठित काव्यांश 
कक्षा-12 

4.  काव्यांश  को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 
मिट्टी तन है , मिट्टी मन है , मिट्टी दाना पानी है |
मिट्टी ही तन-बदन हमारा , सो सब ठीक कहानी है ||
पर जो उलटा समझ इसे ही बने आप ही ज्ञानी है |
मिट्टी करता है जीवन को और बड़ा अज्ञानी है ||
समझ सदा अपना तन मिट्टी , मिट्टी जो कि रमाता है ||
मिट्टी करके सरबस अपना मिट्टी में मिल जाता में है |
जगत है सच्चा तनिक न कच्चा समझो बच्चा इसका भेद |
खाओ पीओ कर्म करो नित कभी ना लाओ मन में खेद ||
रचा उसी का है यह जग तो निश्चय उसको प्यारा है |
इसमें दोष लगाना अपने लिए दोष का द्वार है ||
ध्यान लगाकर जो देखो तुम सृष्टि की सुघराई को |
बात-बात में पाओगे उस सृष्टा की चतुराई को ||
चलोगे सच्चे दिल से जो तुम निर्मल नियमों के अनुसार |
तो अवश्य प्यारे जानोगे , सारा जगत सच्चाई-सार ||

(1) कवि ने मिट्टी की महिमा का बखान करते हुये क्या कहा है ?
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(2) कौन लोग अपने तन-मन को मिट्टी में मिला देते हैं ?
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(3) कवि इस काव्यांश द्वारा हमें क्या प्रेरणा देता है ?
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(4) संसार की रचना में दोष निकालना क्यों व्यर्थ है ?
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(5) काव्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए |
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अपठित काव्यांश 
कक्षा  12

5.  काव्यांश  को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 
ले चल मांझी मझधार मुझे , दे-दे बस अब पतवार मुझे |
इन लहरों के टकराने पर आता रह-रह कर प्यार मुझे ||
मत रोक मुझे भयभीत न कर , मैं सदा कंटीली राह चला |
पथ-पथ मेरे पतझारों में नव सुरभि भरा मधुमास पला |
फिर कहाँ डरा पाएगा यह पगले जर्जर संसार मुझे |
इन लहरों के टकराने पर , आता रह-रह कर प्यार मुझे ||
मैं हूँ अपने मन का राजा , इस पार रहूँ , उस पार चलूँ 
मैं मस्त खिलाड़ी हूँ ऐसा जी चाहे जीतूँ , हार चलूँ |
मैं हूँ अबाध , अविराम अथक , बंधन मुझको स्वीकार नहीं |
मैं नहीं अरे ऐसा राही , जो बेबस-सा मन मार चलूँ ||
कब रोक सकी मुझको चितवन , मदमाते कजरारे घन की ,
कब लुभा सकी मुझको बरबस , मधु-मस्त फुहारें सावन की |
जो मचल उठें अंजाने ही अरमान नहीं मेरे ऐसे 
राहों को समझा लेता हूँ सब बात सदा अपने मन की 
इन उठती-गिरती लहरों का कर लेने दो शृंगार मुझे ,
इन लहरों के टकराने पर , आता रह-रह कर प्यार मुझे ||

(1) “अपने मन का राजा” होने के दो लक्षण कविता से चुन कर लिखिए |
(2) किस पंक्ति का आशय है कवि पतझड़ को भी बसंत मान लेता है ?
(3) कविता का केंद्रीय भाव दो तीन वाक्यों में लिखिए |
(4) कविता के आधार पर कवि स्वभाव की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिये |
(5) आशय स्पष्ट कीजिये  “कब रोक सकी मुझको चितवन , मदमाते कजरारे घन की”|



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