NAVODAYA LEADERSHIP INSTITUTE , CHANDIGARH
Name - GHANASHYAM Designation - Distt. - MAYURBHANJ State- ODISHA Name of the Book - SHAKTIMAAN VARTMAN
Total Chapters - 10 Total Pages - 189 {1} The theme/ subject of the book:
PGT HINDI
JNV - SALBANI
Region- BHOPAL
Author - ECKHART TOLLE
Cost of the Book - 175
BOOK REVIEW
'कर्व्त य के प्रतर् जागरूकता 'यही इस पस्ु र्क का आधार स्र्ंभ है ।यह पस्ु र्क इस विषय का बडा गहन िर्नत करर्ी है कक ककस प्रकार हम स्वयं अपने किए दखु का कनमााण करते हैं और ककस प्रकार हम सतत मन को अपनी वास्तकवक पहचान मानने की भिू करते हैं ।पस्ुतकहमेंहरकामसहीसमयपरकरनेकीप्रेरणातोदतेीहीहै,साथहीकामकेसाथकचतं ानिेनाभीकसखातीह।ै
{2} Important quotations from the book:
अर्ीर् मेंकभीकुछनहींहआु ,सबकुछवतामानमेंहीघटा।कभीकुछभीभकवष्यमेंनहींघटनेवािा,जोकुछहोगा,िहवतामानक्षणमेंही
होगा।
{3} The points of learning in the book : (write briefly and objectively)
( क) िर्तमान क्षर् मक्ु तर् का द्िार है।
(ख) दखु से छु टकारा पाने के लिए इच्छाओं की बेक़ियां काट दें। (ग) अर्ीर् का दखु , संचिर् सुख को भस्म कर देर्ा है।
(घ) कभी र्म्ु हारे साथ कुछ नकारात्मक घटर्ा है र्ो उसमें र्म्ु हारे लिए एक गहन सीख तछपी रहर्ी है।
(ि) क्षमा करना श्रेष्ठ है।
{4} Your Observations/comments about the book :
ज्यों-ज्यों पस्ु र्क पढ़र्ा गया, त्यों-त्यों िगा कक उिझ रहा हं ।बहतु गढू और रहस्यात्मक पस्ु तक िगी , ककं तु जैसे-जैसे गहरे गया ,.पस्ु तक परू ी पढी वैसे ही , एक उजािा- सा मकस्तष्क में हो गया । स्वयं को जानना कसखाने के साथ ही ससं ार में रहना भी कसखाती है।
Date : 15/04/2018 Signature
Name - GHANASHYAM Designation - Distt. - MAYURBHANJ State- ODISHA Name of the Book - SHAKTIMAAN VARTMAN
Total Chapters - 10 Total Pages - 189 {1} The theme/ subject of the book:
PGT HINDI
JNV - SALBANI
Region- BHOPAL
Author - ECKHART TOLLE
Cost of the Book - 175
BOOK REVIEW
'कर्व्त य के प्रतर् जागरूकता 'यही इस पस्ु र्क का आधार स्र्ंभ है ।यह पस्ु र्क इस विषय का बडा गहन िर्नत करर्ी है कक ककस प्रकार हम स्वयं अपने किए दखु का कनमााण करते हैं और ककस प्रकार हम सतत मन को अपनी वास्तकवक पहचान मानने की भिू करते हैं ।पस्ुतकहमेंहरकामसहीसमयपरकरनेकीप्रेरणातोदतेीहीहै,साथहीकामकेसाथकचतं ानिेनाभीकसखातीह।ै
{2} Important quotations from the book:
अर्ीर् मेंकभीकुछनहींहआु ,सबकुछवतामानमेंहीघटा।कभीकुछभीभकवष्यमेंनहींघटनेवािा,जोकुछहोगा,िहवतामानक्षणमेंही
होगा।
{3} The points of learning in the book : (write briefly and objectively)
( क) िर्तमान क्षर् मक्ु तर् का द्िार है।
(ख) दखु से छु टकारा पाने के लिए इच्छाओं की बेक़ियां काट दें। (ग) अर्ीर् का दखु , संचिर् सुख को भस्म कर देर्ा है।
(घ) कभी र्म्ु हारे साथ कुछ नकारात्मक घटर्ा है र्ो उसमें र्म्ु हारे लिए एक गहन सीख तछपी रहर्ी है।
(ि) क्षमा करना श्रेष्ठ है।
{4} Your Observations/comments about the book :
ज्यों-ज्यों पस्ु र्क पढ़र्ा गया, त्यों-त्यों िगा कक उिझ रहा हं ।बहतु गढू और रहस्यात्मक पस्ु तक िगी , ककं तु जैसे-जैसे गहरे गया ,.पस्ु तक परू ी पढी वैसे ही , एक उजािा- सा मकस्तष्क में हो गया । स्वयं को जानना कसखाने के साथ ही ससं ार में रहना भी कसखाती है।
Date : 15/04/2018 Signature
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