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Saturday, 20 April 2024

नयी साइकिल (कहानी) - घनश्याम nayi cycle - story by GHANSHYAM

 





नयी साइकिल 

                ~घनश्याम शर्मा 


  

             शार्विल की नयी नीलम कम्पनी की साइकिल बहुत शानदार है। साथ ही उसने उस साइकिल की ताड़ियों में रंग-बिरंगे गुटके जैसे कुछ लगा रखे हैं, जिससे उसकी साइकिल और भी सुंदर लगती है। और तो और उसने अपनी साइकिल के हैंडल, पैडल, सीट, फ़्रेम, मड गार्ड ही नहीं बल्कि रिम को भी सज़ा रखा है। ऊपर से नीले कलर की नीलम तो एकदम ही जैसे कुबेर का पुष्पक विमान लगती है क्योंकि नीला रंग श्रीयांश का पसंदीदा रंग जो ठहरा। 


           जबसे छठी कक्षा में पहुँचा है श्रीयांश, तब से एक नयी साइकिल लेने की उसकी इच्छा बढ़ती जा रही है। ऊपर से शार्विल जैसे लड़कों ने नयी-नयी साइकिलें लेकर श्रीयांश के मन में साइकिल पाने की अभिलाषा को और हवा दे दी। 


           विधाता विचित्र खेल रचता है। जब हमें जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है, बस उसी समय हमें उससे दूर रखता है। शायद यह सही भी है, क्योंकि एक दिन हमें लगता है कि वास्तव में हमें इसकी आवश्यकता थी ही नहीं। या फिर हो सकता है वो हमें भविष्य के लिए उससे भी अधिक के लिए तैयार कर रहा हो। 


         श्रीयांश के पिताजी के पास इतना धन नहीं था कि कभी नयी साइकिल दिला सकें। अब वह दसवीं में था और अब उसके पास अपनी नीलम साइकिल थी किंतु पुरानी। श्रीयांश इसी को सज़ा-धजाकर रखता , पर यह उसे परेशान रखती , क्योंकि इसकी चेन बहुत उतरती थी। ख़ुश था श्रीयांश , आधा ख़ुश। इच्छा तो नयी साइकिल की थी। 


         जीवन में इस समय हमें जो उपलब्ध है, दरअसल हम अभी इसके ही योग्य हुए हैं। हमारी योग्यताएँ बढ़ने के साथ ही हमारे साधन-संसाधन बढ़ते जाएँगे। अभी जो हमें प्राप्त है, वास्तव में वो पर्याप्त है हमें भरपूर ख़ुशियाँ देने के लिए , बस हमारा ध्यान उस ओर रहे। 


           समय बीतता गया। नयी साइकिल ख़रीदने की इच्छा बढ़ती गई । दबती गई। मन फैलता गया। सिकुड़ता गया। अब श्रीयांश एक निजी विद्यालय में पढ़ाने जाता । घर से छह किलोमीटर दूर। पैदल। कारण की अब वो पुरानी नीलम साइकिल भी नहीं थी। नयी साइकिल अभी तक आ नहीं सकी। 

और उसके ख़्वाबों से जा नहीं सकी नयी साइकिल। 


         सपने ज़िंदा रहने चाहिए। सपनों में कोई लक्ष्य तड़पना चाहिए। ये छोटी-छोटी सांसारिक चीज़ें ही जीना सिखाती हैं , हमें आगे बढ़ाती हैं । इन्हीं में जीवन के बड़े-बड़े फ़लसफ़े हैं। 


        श्रीयांश अपनी नयी साइकिल लेकर रहेगा क्योंकि उसका लक्ष्य सिर्फ़ साइकिल पाना ही नहीं रहा अब। अब उसका लक्ष्य है सही दिशा में लगातार आगे बढ़ते जाना। दरअसल नयी साइकिल पाने की चाह में अनजाने ही उसने जीवन से ख़ुशियाँ चुराना सीख लिया। अभावों में मुस्कुराना सीख लिया। 

Friday, 5 April 2024

हर घर तिरंगा har ghar tiranga selfie my gov connect

  +91 93554 13636 *नमस्कार*   my gov connect द्वारा *हर घर तिरंगा* अभियान चलाया जा रहा है।      इसके अंतर्गत दिए गए नम्बर पर *Hi* लिखकर भेजे...