7. तुलसीदास
(कवितावली/लक्ष्मण – मूर्च्छा और राम का विलाप)
भाव सौन्दर्य : -
लक्ष्मण – मूर्च्छा और राम का विलाप
रावण पुत्र मेघनाद द्वारा शक्ति बाण से मूर्छित हुए लक्ष्मण को देखकर राम व्याकुल हो जाते हैं। सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को हिमालय पर्वत पर भेजा। आधी रात व्यतीत होने पर जब हनुमान नहीं आए, तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उठाकर हृदय से लगा लिया और साधारण मनुष्य की भाँति विलाप करने लगे। राम बोले हे भाई तुम मुझे कभी दुखी नहीं देख सकते | तुमने मेरे लिए माता-पिता को भी छोड़ दिया और मेरे साथ वन में सर्दी,गर्मी और विभिन्न प्रकार की विपरीत परिस्थितियों को भी सहा | जैसे पंख बिना पक्षी,मणि बिना सर्प और सूँड बिना श्रेष्ठ हाथी अत्यंत दीन हो जाते हैं, हे भाई! यदि मैं जीवित रहता हूँ तो मेरी दशा भी वैसी ही हो जाएगी।मैं अपनी पत्नी के लिए अपने प्रिय भाई को खोकर कौन सा मुँह लेकर अयोध्या जाऊँगा। इस बदनामी को भले ही सह लेता कि राम कायर है और अपनी पत्नी को खो बैठा। स्त्री की हानि विशेष क्षति नहीं है,परन्तु भाई को खोना अपूर्णीय क्षति है। ‘रामचरितमानस’ के ‘लंका कांड’ से गृहित लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने का प्रसंग कवि की मार्मिक स्थलों की पहचान का एक श्रेष्ठ नमूना है। भाई के शोक में विगलित राम का विलाप धीरे धीरे प्रलाप में बादल जाता है | जिसमें लक्ष्मण के प्रति राम के अंतर में छिपे प्रेम के कई कोण सहसा अनावृत हो जाते हैं। यह प्रसंग ईश्वर राम में मानव सुलभ गुणों का समन्वय कर देता है | हनुमान का संजीवनी लेकर आ जाना करुण रस में वीर रस का उदय हो जाने के समान है | विनय पत्रिका एक अन्य महत्त्वपूर्ण तुलसीदासकृत काव्य है।
काव्य सौन्दर्य :-
⮚ रामचरित मानस में अवधी बोली का प्रयोग ।
⮚ अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग ।
⮚ मध्ययुगीन चेतना का दिग्दर्शन ।
⮚ दोहा छंद और चौपाई का प्रयोग ।
कविता पर आधारित प्रश्नोत्तर :-
प्रश्न 1: -‘तव प्रताप उर राखि प्रभु में किसके प्रताप का उल्लेख किया गया है?’और क्यों ?
उत्तर :- इन पँक्तियों में भरत के प्रताप का उल्लेख किया गया है। हनुमानजी उनके प्रताप का स्मरण करते हुए अयोध्या के ऊपर से उड़ते हुए संजीवनी ले कर लंका की ओर चले जा रहे हैं।
प्रश्न 2:- राम विलाप में लक्ष्मण की कौन सी विशेषताएँ उद्घटित हुई हैं ?
उत्तर :- लक्ष्मण का भ्रातृप्रेम, त्यागमय जीवन इन पँक्तियों के माध्यम से उदघाटित हुआ है।
प्रश्न 3:- बोले वचन मनुज अनुसारी से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :- भगवान राम एक साधारण मनुष्य की तरह विलाप कर रहे हैं किसी अवतारी मनुष्य की तरह नहीं। भ्रातृ प्रेम का चित्रण किया गया है।तुलसीदास की मानवीय भावों पर सशक्त पकड़ है।दैवीय व्यक्तित्व का लीला रूप ईश्वर राम को मानवीय भावों से समन्वित कर देता है।
प्रश्न 4:- भाई के प्रति राम के प्रेम की प्रगाढ़ता उनके किन विचारों से व्यक्त हुई है?
उत्तर :- जथा पंख बिन खग अति दीना।
मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही।
जो जड़ दैव जिआवै मोही।
प्रश्न 5:- ‘बहुविधि सोचत सोचविमोचन’ का विरोधाभास स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- दीनजन को शोक से मुक्त करने वाले भगवान राम स्वयं बहुत प्रकार से सोच में पड़कर दुखी हो रहे हैं।
प्रश्न 6:- हनुमान का आगमन करुणा में वीर रस का आना किस प्रकार कहा जा सकता है?
उत्तर :- रुदन करते वानर समाज में हनुमान उत्साह का संचार करने वाले वीर रस के रूप में आ गए। करुणा की नदी हनुमान द्वारा संजीवनी ले आने पर मंगलमयी हो उठती है।
कविता :- कवित्त और सवैया
तुलसीदास
भाव सौन्दर्य :-
इस शीर्षक के अंतर्गत दो कवित्त और एक सवैया संकलित हैं। ‘कवितावली’ से अवतरित इन कवित्तों में कवि तुलसी का विविध विषमताओं से ग्रस्त कलिकाल तुलसी का युगीन यथार्थ है, जिसमें वे कृपालु प्रभु राम व रामराज्य का स्वप्न रचते हैं। युग और उसमें अपने जीवन का न सिर्फ उन्हें गहरा बोध है, बल्कि उसकी अभिव्यक्ति में भी वे अपने समकालीन कवियों से आगे हैं। यहाँ पाठ में प्रस्तुत ‘कवितावली’ के छंद इसके प्रमाण है पहले छन्द "किसवी किसान” में उन्होंने दिखलाया है कि संसार के अच्छे-बुरे समस्त लीला-प्रपंचों का आधार ‘पेट की आग’ का गहन यथार्थ है; जिसका समाधान वे राम की भक्ति में देखते हैं। दरिद्रजन की व्यथा दूर करने के लिए राम रूपी घनश्याम का आह्वान किया गया है। पेट की आग बुझाने के लिए राम रूपी वर्षा का जल अनिवार्य है।इसके लिए अनैतिक कार्य करने की आवश्यकता नहीं है।‘
इस प्रकार, उनकी राम भक्ति पेट की आग बुझाने वाली यानी जीवन के यथार्थ संकटों का समाधान करने वाली है; न कि केवल आध्यात्मिक मुक्ति देने वाली| गरीबी की पीड़ा रावण के समान दुखदायी हो गई है।
काव्य सौन्दर्य :-
⮚ कवितावली मानस में बज्र भाषा का प्रयोग ।
⮚ अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग ।
⮚ रूपक अलंकार का प्रयोग(राम-घनश्याम ,दारिद दसानन ...)
⮚ व्यतिरेक अलंकार का प्रयोग (आगि बडवागीते बड़ी है आग पेटकी ...)
⮚ मध्ययुगीन चेतना का दिग्दर्शन ।
⮚ सवैया,दोहा छंद और चौपाई का प्रयोग ।
कविता पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न1:- पेट की भूख शांत करने के लिए लोग क्या क्या करते हैं?
उत्तर :- पेट की आग बुझाने के लिए लोग अनैतिक कार्य करते हैं।
प्रश्न2:- तुलसीदास की दृष्टि में सांसारिक दुखों से निवृत्ति का सर्वोत्तम उपाय क्या है?
उत्तर :- पेट की आग बुझाने के लिए राम कृपा रूपी वर्षा का जल अनिवार्य है।इसके लिए अनैतिक कार्य करने की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न3:- तुलसी के युग की समस्याओं का चित्रण कीजिए।
उत्तर :- तुलसी के युग में प्राकृतिक और प्रशासनिक वैषम्य के चलते उत्पन्न पीडा दरिद्रजन के लिए रावण के समान दुखदायी हो गई है।
प्रश्न4:- तुलसीदास की भक्ति का कौन सा स्वरूप प्रस्तुत कवित्तों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर :- तुलसीदास की भक्ति का दास्य भाव स्वरूप प्रस्तुत कवित्तों में अभिव्यक्त हुआ है।
अर्थ-ग्रहण-संबंधी प्रश्न
“उहाँ राम लछिमनहिं निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी॥
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ॥
सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ॥
मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता॥
सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनि मम बच बिकलाई॥
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू॥
सुत बित नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारहिं बारा॥
अस बिचारि जियँ जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता॥
जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना॥
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही॥
जैहउँ अवध कवन मुहु लाई। नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई॥
बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं॥
अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहिहि निठुर कठोर उर मोरा॥
निज जननी के एक कुमारा। तात तासु तुम्ह प्रान अधारा॥
सौंपेसि मोहि तुम्हहि गहि पानी। सब बिधि सुखद परम हित जानी॥
उतरु काह दैहउँ तेहि जाई। उठि किन मोहि सिखावहु भाई॥“
प्रश्न1:-‘बोले बचन मनुज अनुसारी’- का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर :- भाई के शोक में विगलित राम का विलाप धीरे –धीरे प्रलाप में बदल जाता है ,जिसमें लक्ष्मण के प्रति राम के अंतर में छिपे प्रेम के कई कोण सहसा अनावृत हो जाते हैं। यह प्रसंग ईश्वर राम में मानव सुलभ गुणों का समन्वय कर देता है| वे मनुष्य की भांति विचलित हो कर ऐसे वचन कहते हैं जो मानवीय प्रकृति को ही शोभा देते हैं |
प्रश्न2:- राम ने लक्ष्मण के किन गुणों का वर्णन किया है?
उत्तर :-राम ने लक्ष्मण के इन गुणों का वर्णन किया है-
● लक्ष्मण राम से बहुत स्नेह करते हैं |
● उन्होंने भाई के लिए अपने माता –पिता का भी त्याग कर दिया |
● वे वन में वर्षा ,हिम, धूप आदि कष्टों को सहन कर रहे हैं |
● उनका स्वभाव बहुत मृदुल है |वे भाई के दुःख को नहीं देख सकते |
प्रश्न3:- राम के अनुसार कौन सी वस्तुओं की हानि बड़ी हानि नहीं है और क्यों ?
उत्तर :-राम के अनुसार धन ,पुत्र एवं नारी की हानि बड़ी हानि नहीं है क्योंकि ये सब खो जाने पर पुन: प्राप्त किये जा सकते हैं पर एक बार सगे भाई के खो जाने पर उसे पुन: प्राप्त नहीं किया जा सकता |
प्रश्न4:- पंख के बिना पक्षी और सूंड के बिना हाथी की क्या दशा होती है काव्य प्रसंग में इनका उल्लेख क्यों किया गया है ?
उत्तर :- राम विलाप करते हुए अपनी भावी स्थिति का वर्णन कर रहे हैं कि जैसे पंख के बिना पक्षी और सूंड के बिना हाथी पीड़ित हो जाता है ,उनका अस्तित्व नगण्य हो जाता है वैसा ही असहनीय कष्ट राम को लक्ष्मण के न होने से होगा |
सौंदर्य-बोध-संबंधी प्रश्न
“किसबी, किसान-कुल ,बनिक, भिखारी ,भाट,
चाकर ,चपल नट ,चोर, चार ,चेटकी|
पेटको पढ्त,गुन गढ़त, चढ़त गिरि,
अटत गहन –गन अहन अखेट्की|
ऊंचे –नीचे करम ,धरम –अधरम करि,
पेट ही को पचत, बचत बेटा –बेटकी |
‘तुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें ,
आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेटकी|”
प्रश्न1:- कवितावली किस भाषा में लिखी गई है?
उत्तर :- ब्रज भाषा
प्रश्न2:- कवितावली में प्रयुक्त छंद एवं रस को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :- इस पद में 31-31 वर्णों का चार चरणों वाला समवर्णिक कवित्त छंद है जिसमें 16 एवं 15 वर्णों पर विराम होता है।
प्रश्न3:- कवित्त में प्रयुक्त अलंकारों को छांट कर लिखिए
i. अनुप्रास अंलकार–
किसबी, किसान-कुल ,बनिक, भिखारी ,भाट,
चाकर ,चपल नट ,चोर, चार ,चेटकी|
ii. रूपक अलंकार– राम– घनश्याम
iii. अतिशयोक्ति अलंकार– आगि बड़वागितें बड़ि है आग पेट की।
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